प्यारे दोस्तों,
ट्राईकांटिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की तरफ़ से अभिवादन।
दिसंबर 2019 में वुहान (चीनी जनवादी गणराज्य) के कई लोगों में संक्रमण विकसित होना शुरू हुआ; शुरुआती संकेतों से लगता है कि इस संक्रमण का वायरस हुअन सीफूड होलसेल मार्केट से निकला है, लेकिन इस बात की अभी पुष्टि नहीं हुई है। इस नए कोरोनावायरस – 2019-nCoV- ने पहले महीने में सैकड़ों लोगों को संक्रमित किया। आधिकारिक रूप से घोषणा की गयी है कि तीस शहर पहले स्तर के आपातकाल से ग्रसित हैं, और देश के ज़्यादातर हिस्सों को – जिनमें 1.1 करोड़ की आबादी वाला वुहान भी शामिल है – पूरी तरह से अलग कर दिए जाने की ज़रूरत है। संक्रमित लोगों की संख्या लगभग 10,000 तक पहुँचते ही, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 30 जनवरी को इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम गेबराईसेस ने कहा, ‘चीन ने जिस गति से इस महामारी का पता लगाया, इसके वायरस को अलग कर जीनोम को अनुक्रमित किया और इसे डब्ल्यूएचओ के साथ साझा किया, दुनिया बहुत भव्य है, इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। पारदर्शिता बनाने और अन्य देशों को समर्थन देने में भी चीन की प्रतिबद्धता इसी तरह की है। कई मायनों में, चीन ने महामारी से बचने के नए मानक स्थापित किए हैं। यह अतिशयोक्ति नहीं है।’ हाल ही में शुरू हुए छाओ कलेक्टिव ने इस तरह की महामारी के संदर्भ में पूंजीवादी व्यवस्था- जिसे जन-हित को मुनाफ़े के आगे रखना नहीं आता- के विपरीत चीन की समाजवादी व्यवस्था के फायदों पर एक छोटी रिपोर्ट प्रकाशित की है। गेबराईसेस ने तीन शक्तिशाली वाक्यों के साथ अपना वक्तव्य समाप्त किया था:
यह तथ्यों का समय है, डर का नहीं।
यह विज्ञान का समय है, अफ़वाहों का नहीं।
यह एकजुटता का समय है, लांछन का नहीं।
तथ्यों और एकजुटता का सवाल महत्वपूर्ण है। अमेरिकी वाणिज्य सचिव विल्बर रॉस को लगा था कि कोरोनावायरस का प्रकोप चीनी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाएगा और संयुक्त राज्य अमेरिका में नौकरियां लाएगा। असंवेदनशील होने के साथ-साथ ये टिप्पणी उनकी संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों की— जो कारों और कंप्यूटरों से भी कहीं ज़्यादा वस्तुयों के लिए चीनी निर्माण पर भरोसा करते हैं; संयुक्त राज्य अमेरिका में उपयोग की जाने वाली दवाओं के लिए 80% सक्रिय दवा सामग्री का उत्पादन चीन और भारत में किया जाता है, और 90% अमेरिकी विटामिन सी की खुराक चीन में बनाई जाती है— आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं के बारे में अधूरी समझ को भी दर्शाती है,। साम्राज्यवादी ब्लॉक के जुनूनी व्यापार युद्ध की बजाए हमें गेबराईसेस के लांछन के विरुद्ध एकजुटता के आह्वान से प्रेरित होना चाहिए।
अपने बयान के बीच में, डब्लूएचओ के महानिदेशक गेबराईसेस ने कहा, ‘मैं उन हज़ारों बहादुर स्वास्थ्य पेशेवरों और सभी अग्रिम प्रतिसाददाताओं को बहुत सम्मान और धन्यवाद देता हूं, जो वसंत महोत्सव के दौरान भी 24/7 बीमारों का इलाज कर, जिंदगियाँ बचाने और इस प्रकोप को नियंत्रण में लाने का काम कर रहे हैं’। संसाधनों को नए अस्पतालों—जैसे कि वुहान होशेंसन अस्पताल जिसे अत्यधिक तेज़ी से बना कर इस सप्ताह खोला गया— के निर्माण में लगाया गया है।
चीन के डॉक्टर-नर्स स्वेच्छा से संक्रमित लोगों की मदद करने और प्रकोप को रोकने के लिए वुहान जाने के लिए आगे आए। शंघाई मेडिकल ट्रीटमेंट एक्सपर्ट टीम के मुख्य चिकित्सक झांग वेन्होंग ने कहा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य जो डॉक्टर हैं और मेडिकल पेशेवर हैं उन्हें इस समय मोर्चे पर रहना चाहिए।
जब एक डॉक्टर और नर्स कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल होते हैं, झांग वेनहोंग ने कहा, वे लोगों की सेवा करने की शपथ लेते हैं; ये शपथ इस समय उनका मार्गदर्शन कर रही है। वुहान यूनियन मेडिकल कॉलेज में, इकतीस नर्सों ने अपनी शिफ्ट की तैयारी में लगने वाले समय को कम करने के लिए अपने लंबे बालों को काट दिया; कम्युनिस्ट पार्टी के युवा डॉक्टर अस्पतालों में शिफ्ट करने के लिए इक्कठे हो गए हैं ताकि वायरस को रोका जा सके। सरकारी-कंपनियां रिकॉर्ड संख्या में मास्क बनाने का काम कर रही हैं, खाद्य नियंत्रण नीतियों से इस समय संभावित मुद्रास्फ़ीति को रोका गया है, और देश की GDP को लगने वाले धक्के की चिंता योजनाकारों पर छोड़ दी गयी है। वे कहते हैं, जन-हित को मुनाफ़े के आगे रखा जाना चाहिए।
ट्राईकांटिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान में, हम वैश्विक स्वास्थ्य संकट के साथ-साथ समाजवादियों और समाजवादी राज्यों की चिकित्सा एकजुटता के प्रति असीम प्रतिबद्धता पर चर्चा कर रहे हैं। यह सवाल तब उठाया गया जब बोलिविया और ब्राजील दोनों ने क्यूबा के डॉक्टरों को हटा दिया, जिनमें से अधिकांश इन देशों के औद्योगिक और कृषि मजदूर वर्ग के बीच चिकित्सा देखभाल का आधार बन गए थे। 2014 में टाइम मैगज़ीन ने इबोला सेनानियों को अपने पर्सन ओफ़ द ईयर के रूप में चुना। जब पश्चिमी अफ्रीका में इबोला का प्रकोप फैला, तो क्यूबा के चिकित्सक समुदाय ने वहाँ जाकर बीमारी से लड़ने में मदद करने का फैसला किया। पश्चिम अफ्रीका पहुँचे नर्सों और चिकित्सकों में से सबसे ज़्यादा- 256 लोग – क्यूबा से थे। प्रतिबद्धता इतनी ज़्यादा थी कि क्यूबा के एक डॉक्टर फेलिक्स बाएज़ इबोला से संक्रमित हो गए, एक स्विस अस्पताल में ईलाज और क्यूबा में अपने घर लौटने के बाद वो फिर से अपने साथियों की मदद के लिए सिएरा लियोन जाना चाहते थे। एक महीने के भीतर, वो फ़्रीटाउन से दो घंटे दूर पोर्ट लोको में काम करने के लिए वापस आ गए थे।
वुहान पल्मोनरी अस्पताल में इंटेन्सिव केयर यूनिट के निदेशक डॉ. हू मिंग कोरोनावायरस के शुरुआती दिनों में ही इससे संक्रमित हो गए। ठीक होते ही डॉ फेलिक्स बाएज़ के साथ डॉ हू मिंग अपने वार्ड में वापस पहुँच गए। उनके मरीज़ों को बाएज़ जैसे समाजवादी डॉक्टरों की जरूरत है।
बावजूद इसके, सितंबर, 2019 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने क्यूबा पर डॉक्टरों की तस्करी करने का आरोप लगाया, और ब्राजील के जायर बोल्सनारो ने ब्राजील में कार्यरत 8,300 क्यूबाई चिकित्सा-कर्मियों को ‘बंधुआ मज़दूर’ कहा। इससे आपको बोल्सनारो और क्यूबाई डॉक्टरों के विविध द्दृष्टिकोणों का ही पता चलता है कि बोल्सनारो इन डॉक्टरों की समाजवादी प्रतिबद्धता को गुलामी की तरह देखता है।
यही कारण है कि हमारे डोजियर नं. 25, पीपुल्स पॉलीक्लिनिक्स: द इनिशिएटिव ऑफ तेलुगु कम्युनिस्ट मूवमेंट (फरवरी 2020), एक शानदार जन-दवा परियोजना- भारत के पॉलीक्लिनिक्स- पर है। ये पॉलीक्लिनिक्स कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े डॉक्टरों द्वारा चलाए जा रहे हैं जो खुद को आर्थिक रूप से समृद्ध करने की बजाए लोगों के लिए काम करते हैं। ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के बाद चिकित्सा कर्मियों की आवश्यकता स्पष्ट थी। लेकिन ब्रिटिश शासन के अंत के समय पर भारत में कोई चिकित्सा तंत्र ख़ास रूप से अस्तित्व में नहीं थी। 7,200 भारतीयों पर एक डॉक्टर था। भारत ने अपनी स्वतंत्रता तो हासिल की थी, लेकिन 11% की साक्षरता दर और व्याप्त गरीबी के साथ, स्वतंत्रता एक वास्तविकता से अधिक आकांक्षा थी।
भारत के तेलुगु-भाषी भागों (अब 86 मिलियन लोग) में, कम्युनिस्ट आंदोलन से जुड़े डॉक्टरों ने श्रमिक वर्ग और किसानों को चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए क्लीनिक और अस्पताल – विशेष रूप से नेल्लोर पीपल्स पॉलिक्लिनिक – स्थापित किए। ये पॉलीक्लिनिक न केवल देखभाल कार्य करते थे, बल्कि दूर-दराज़ के ग्रामीण इलाक़ों और छोटे शहरों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचने के लिए यहाँ चिकित्साकर्मियों को प्रशिक्षित भी किया गया। जब पॉलीक्लिनिक के संस्थापकों में से एक ने कहा कि वह पूर्णकालिक तर पर क्रांतिकारी बनना चाहते हैं, तो कम्युनिस्ट नेता पी. सुंदर्रइया ने उनसे कहा कि लोगों का चिकित्सक होना भी एक क्रांतिकारी काम है। ये डोजियर में इन सब वामपंथी चिकित्सा कर्मियों के बारे में बताता है जो ख्याति से दूर लोगों के लिए काम करते हैं और स्वास्थ्य सेवायों के निजीकरण की प्रवृत्ति को कम करने के लिए चिकित्सा प्रयोगों में लगे हैं। डॉ. झांग वेन्होंग, डॉ. फेलिक्स बाएज़ और डॉ. पी. वी . रामचंद्र रेड्डी के बीच कोई ज़्यादा फ़र्क़ नहीं है।
इनके और इराकी कम्युनिस्ट पार्टी व इराकी महिला लीग की नेता डॉ. नाज़िहा अल-दुलीमी के बीच कोई ज़्यादा अंतर नहीं है। डॉ. अल-दुलामी ने 1940 के दशक में बगदाद के मेडिकल कॉलेज में अध्ययन किया था। वो जनवरी 1948 में एंग्लो-इराक संधि के नवीनीकरण के खिलाफ अल-वातबा सहित अन्य साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलनों से जुड़ी रहीं। वह कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त कर और रॉयल अस्पताल में थोड़े समय के लिए काम करने के बाद, कार्ख अस्पताल में काम करने लगीं। डॉ. अल-दुलामी ने बगदाद के शवाका जिले में एक मुफ्त चिकित्सा क्लिनिक की स्थापना की। उनकी कम्युनिस्ट गतिविधियों के लिए सजा के रूप में, अधिकारी उन्हें देश भर में- कभी सुलेमानीया या कर्बला और कभी उमराह- स्थानांतरित करते रहे। प्रत्येक स्थान पर, उन्होंने गरीबों की सेवा के लिए एक मुफ्त क्लिनिक स्थापित किया। डॉ. अल-दुलामी ने बेजेल बैक्टीरिया/यव -जिसका प्रभाव बच्चों पर ज़्यादा होता है- को मिटाने के लिए दक्षिणी इराक में काम किया। 1958 की क्रांति के बाद, डॉ. अल-दुलामी नगर पालिकाओं की मंत्री बनीं; बगदाद के थावरा (क्रांति) जिले के निर्माण में और 1959 के नारीवादी नागरिक कानून पारित करवाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। बा’थ के सत्ता में आने के बाद उन्हें निर्वासित कर दिया गया, लेकिन अपने आखिरी दिनों तक वो लोगों की डॉक्टर और कम्युनिस्ट के रूप में काम करती रहीं।
यदि डॉ. अल-डुलामी आज जीवित होतीं, तो कोरोनोवायरस को पराजित करने में मदद करने के लिए वुहान और हुबेई प्रांत के अन्य हिस्सों में गए डॉक्टरों और नर्सों में शामिल होतीं।
अगस्त 1960 में चे ग्वेरा ने हवाना में क्रांतिकारी चिकित्सा पर एक व्याख्यान दिया। उन्होंने उल्लेख किया कि उनके व्याख्यान से कुछ महीने पहले, डॉक्टरों के एक समूह ने तब तक ग्रामीण इलाकों में काम करने से इनकार कर दिया, जब तक कि उन्हें इसके लिए अधिक वेतन नहीं मिलता। यह सामान्य बात है, चे ने कहा, ये पूंजीवादी तर्क हमारी मानवता की भावना को बाधित करने का काम करता है। क्या होगा अगर क्रांतिकारी क्यूबा में छात्रों से डॉक्टर बनने के लिए फ़ीस ना ली जाए, और सामाजिक धन से युवाओं को डॉक्टर बनने मदद मिले, ‘अगर दो – तीन सौ किसान, जादू से, विश्वविद्यालय के हॉल में से प्रकट हो जाएँ?’ 1958 में क्यूबा में प्रत्येक 1,051 लोगों के लिए एक डॉक्टर था। 1953 में तानाशाही शासन द्वारा हवाना मेडिकल स्कूल को बंद कर दिया गया था; इसे 1959 में इसके 161 प्रोफेसरों में से 23 (बाक़ी अन्य डॉक्टरों के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए थे) के साथ फिर से खोला गया। क्रांति ने किसान का रुख किया, जिन्होंने चिकित्सा का अध्ययन किया, और फिर – असीम प्रतिबद्धता के साथ – क्यूबा के चिकित्सा कौशल को दुनिया के अन्य हिस्सों में ले जाने के मिशन में जुट गए। आज, क्यूबा में प्रत्येक 121 लोगों के लिए 1 डॉक्टर है; संयुक्त राज्य में, प्रत्येक 384 लोगों के लिए 1 डॉक्टर है। ये क्यूबा के चिकित्सा-कार्यकर्ता, भारत के पॉलीक्लिनिक्स के चिकित्सा कर्मियों और चीन में चिकित्सा कार्यकर्ता की तरह -चे के कथानुसार ‘एकजुटता का एक नया हथियार’ हैं।
यह एकजुट होने का समय है, लांछन लगाने का नहीं।
स्नेह-सहित,
विजय।