
अंतुअन कोज्टोम लाम (मेक्सिको), आत्मा, 2013
प्यारे दोस्तों,
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।
दुनिया भर में कोरोनावायरस की संक्रामक सैर जारी है। लगभग 3,50,000 मौतें हो चुकी हैं और 55 लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हैं। इसी बीच, बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफ़ान अम्फ़ान आया। इस शक्तिशाली तूफ़ान ने बांग्लादेश और भारत (ओडिशा और पश्चिम बंगाल) में तबाही मचा दी। यदि आप इस समय में मानवजाति का दर्द महसूस नहीं करते, तो आप मानव होना भूल गए हैं।

बैंक्सी (अज्ञात), गेम चेंजर, 2020.
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान में, कोरोनाशॉक पर हमारा अध्ययन जारी है, जो बताता है कि क्यों इस महामारी के आगे पूँजीवादी व्यवस्था विफल हो रही है, जबकि समाजवादी ख़ेमे ने काफ़ी तेज़ी से इसपर क़ाबू पाया किया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्व अर्थशास्त्री केनेथ रोगॉफ ने 2005 में लिखा था कि, ‘समाजवाद और पूँजीवाद के बीच अगला महायुद्ध मानव स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा पर आधारित होगा।’ हमारा आकलन बताता है कि आर्थिक ग़रीबी के बावजूद दुनिया के समाजवादी हिस्सों की प्रगति के कारणों में से एक यह है कि वे विज्ञान को गंभीरता से लेते हैं। इसी वजह से, कई वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के परामर्श से, हमने वायरस और इसके प्रतिरोधकों के बारे में समझाने के लिए रेड अलर्ट #7 लिखा है।

रेड अलर्ट नं. 7: नोवेल कोरोनवायरस और COVID-19 के बारे में आवश्यक तथ्य
वायरस और बैक्टीरिया में क्या अंतर है?
वायरस और बैक्टीरिया मनुष्य को संक्रमित करने वाले दो प्रमुख प्रकार के रोगाणु हैं। बैक्टीरिया सबसे पुराने जीवों में से एक है और इनमें जीवित रहने और प्रजनन करने के लिए सभी आवश्यक घटक मौजूद होते हैं। कुछ ही बैक्टीरिया मानव रोग का कारण बनते हैं; बहुत से बैक्टीरिया अच्छे हैं। कुछ हमारे ज़िंदा रहने के लिए ज़रूरी भी हैं।
वायरस को पूरी तरह से जीव के रूप में परिभाषित नहीं किया जाता, क्योंकि वे ख़ुद से प्रजनन नहीं कर सकते हैं। ये नाभिकीय अम्ल में निहित आनुवंशिक सामग्री और प्रोटीन से मिलकर गठित होते हैं। ये आमतौर पर बैक्टीरिया की तुलना में बहुत छोटे होते हैं।
वायरस आनुवांशिक परजीवी हैं जिन्हें अपना पुनरुत्पादन करने के लिए अन्य जीवित कोशिकाओं की आवश्यकता होती है। ये अपने धारक की कोशिकाओं पर आक्रमण कर, कोशिका की जैव रासायनिक मशीनरी को हाइजैक कर लेते हैं ताकि को अपनी संख्या को तेज़ी से बढ़ा सकें। नये निर्मित वायरस फिर कोशिका छोड़कर, कभी-कभी उसे नष्ट करके, तथा कभी अन्य कोशिकाओं में प्रवेश करके संक्रमण के चक्र को दोहराते हैं।
बैक्टीरिया को मारना आसान होता है, क्योंकि उनकी अपनी रासायनिक प्रक्रियाएँ होती हैं जिन्हें दवाओं से रोका जा सकता है, और वे वायरस की तुलना में बहुत धीमी गति से प्रजनन करते हैं। हमारे पास पुरानी सल्फा दवाओं से लेकर अन्य एंटीबायोटिक्स जैसी दवाएँ हैं, जो हमारे शरीर में बैक्टीरिया के संक्रमण को सफलतापूर्वक नियंत्रित कर सकती हैं।

मसरू शिचीनोह (जापान), कोई एक अच्छा है, 2003.
नोवेल कोरोनावायरस क्या है?
SARS-CoV-2 वायरसों के एक ऐसे परिवार से संबंधित है जिन्हें कोरोनावायरस कहा जाता है, जो आमतौर पर स्तनधारियों और पक्षियों को संक्रमित करते हैं। सात कोरोनावायरस ऐसे हैं जो मनुष्यों को संक्रमित करते हैं, इनमें से चार पहले ही आ चुके हैं। SARS-CoV-2 कोरोनावायरसों में से एक वायरस है जो COVID-19 रोग का कारण बनता है। इसकी सतह पर नुकीले उभार होते हैं, जो माइक्रोस्कोप से देखने पर क्राउन (मुकुट) या कोरोना जैसे दिखते हैं।
यदि जीवों की अन्य प्रजातियाँ हमारे साथ निकट संपर्क में हैं तो उन प्रजातियों से मनुष्यों में वायरस आने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, औद्योगिक पशु पालन केंद्र (factory farming) और पशु-पक्षियाँ के बाज़ार ऐसे संभावित क्षेत्र हैं जहाँ वायरस मनुष्यों में हस्तांतरित हो सकता है, इसे प्राणीजन्य हस्तांतरण (zoonotic transfer) कहते हैं।
चमगादड़ अक्सर इन वायरसों के एक प्रमुख स्रोत के रूप में काम करते हैं। चमगादड़ से मनुष्यों में वायरस का हस्तांतरण सीधे भी हो सकता है, या यह अन्य जानवरों के माध्यम से हो सकता है जो मध्यवर्ती धारक की तरह काम करते हैं। बिल्ली, बंदर, पैंगोलिन और कुत्ते भी इन वायरसों को शरण दे सकते हैं, और इसलिए चमगादड़ और हमारे बीच मध्यस्थता का काम कर सकते हैं। कई वायरस; जैसे कि इबोला, रेबीज़, इन्सेफ़ेलाइटिस, SARS (जिसे अब SARS-CoV-1 नाम दिया गया है), चिकनगुनिया, ज़ीका और निपा इसी तरह से चमगादड़ से इंसानों में आए हैं।
चमगादड़ों के अलावा, जो अन्य वायरस मनुष्यों में महामारी का कारण बन चुके हैं, वे पक्षियों और सूअरों से आते हैं। सूअरों, पक्षियों और हम मनुष्यों में जो वायरस साझा हैं, उनमें से सबसे प्रसिद्ध है फ़्लू वायरस के विभिन्न उपभेदों का वायरस समूह। स्वाइन फ़्लू या बर्ड फ़्लू में से ही कोई 1918 के स्पेनिश फ़्लू का कारण था, जो संभवतः कंसास में शुरू हुआ था। ये 2009-2010 की स्वाइन फ़्लू का कारण भी बना जो उत्तरी अमेरिका में शुरू हुई थी, और जिसने लगभग 16 लाख लोगों को संक्रमित किया और लगभग 2,84,000 लोगों ने जान गँवाई। घातक H5N1 इन्फ़्लूएंज़ा, जिसे अब एक बड़ा ख़तरा माना जाता है, स्वाइन और बर्ड फ़्लू का एक संयोजन है। यह पक्षियों के माध्यम से और फिर पालतू जानवरों जैसे बत्तख़, पोल्ट्री या पोल्ट्री फ़ार्म के माध्यम से मानव आबादी में फैलता है।
चूँकि वायरस में जीवित कोशिका के सभी तंत्र नहीं होते हैं, इसलिए वे धारक कोशिकाओं का उपयोग करते हैं। वायरस में डीएनए या आरएनए होता है। डीएनए हमारी आनुवंशिक सूचना होती है, जबकि आरएनए इस आनुवंशिक सूचना का उपयोग उन प्रोटीन का उत्पादन करने के लिए करता है जिनकी हमारे शरीर को आवश्यकता होती है। हेपेटाइटिस सी, इबोला, SARS के दोनों प्रकार, इन्फ़्लूएंज़ा, पोलियो, खसरा और एड्स फैलाने वाला एचआईवी, आरएनए वायरस हैं। नोवेल कोरोनावायरस – SARS-CoV-2 – एक आरएनए वायरस है।

हर्बर्ट प्लोबर्गर (ऑस्ट्रिया), ऑप्थेल्मोलॉजिकल मॉडल्स के साथ सेल्फ़–पोर्ट्रेट, 1928-1930.
नोवेल कोरोनावायरस से इतनी मौतें क्यों हुई हैं?
SARS-CoV-1 और MERS-CoV-1 दोनों की मृत्यु दर SARS-CoV-2 की मृत्यु दर से बहुत अधिक थी। SARS में, संक्रमण के बाद मृत्यु दर (कुल संक्रमित लोगों में से मृत) 11 प्रतिशत थी, जबकि MERS में ये दर लगभग 35 प्रतिशत थी। इसकी तुलना में, SARS-CoV-2 या COVID-19 से होने वाली मौतें 1 प्रतिशत के लगभग है, जो SARS या MERS की तुलना में बहुत कम है। हालाँकि ये फ़्लू से संक्रमण और उससे होने वाली मृत्यु दर से काफी ज़्यादा है, जो कि 0.1% से भी कम है।
SARS-CoV-2 ख़तरनाक है, क्योंकि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी से फैलता है। एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में आसानी से संचारित होने की इसकी क्षमता के कारण इसका संक्रमण बहुत बड़े पैमाने पर फैल सकता है, और इससे होने वाली कुल मौतें बहुत ज़्यादा हो सकती हैं। SARS-CoV-2, 65 साल से ज़्यादा की उम्र के लोगों को ज़्यादा प्रभावित करता है। उम्र ज़्यादा होने के साथ हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर, अस्थमा या अन्य पुरानी बीमारियों की वजह से इसका ख़तरा और ज़्यादा बढ़ जाता है। इस उम्र के लोगों के साथ-साथ जिन लोगों में प्रतिरक्षा क्षमता कम है या जिन्हें श्वसन-सम्बंधी दिक़्क़तें हैं, उनमें COVID-19 की मृत्यु दर बहुत ज़्यादा देखने को मिल रही है। उन देशों में जहाँ कमज़ोर प्रतिरक्षक क्षमता के या पुरानी बीमारीयों के बुज़ुर्ग रोगी नर्सिंग होम्स में एक साथ रहते हैं, वहाँ संक्रमण काफ़ी तेज़ी से फैला है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि COVID-19 केवल बुज़ुर्गों के लिए ख़तरनाक है।
SAR-CoV-2 ने SARS-CoV-1 और MERS के मुक़ाबले ज़्यादा प्रभावी तरीक़े से ख़ुद को मानव धारकों के अनुरूप ढाल लिया है। मनुष्यों में या अब तक अज्ञात मध्यवर्ती धारक में, COVID-19 वायरस वर्तमान रूप में रूपांतरित होने के बाद अब मानव कोशिकाओं से जुड़ने में विशेष रूप से प्रभावी हो चुका है। SARS-CoV-2 की सतह पर मौजूद नुकीला प्रोटीन हमारे शरीर में फेफड़ों, लीवर, गुर्दे और आँतों की अनेकानेक कोशिकाओं की सतह पर मौजूद ACE-2 रिसेप्टर्स से जुड़ जाता है।
संक्रमण की शुरुआत संक्रमित लोगों के नाक या मुँह से निकलकर हवा में फैलने वाले कणों के माध्यम से होने की संभावना है। इसलिए, शुरू में संक्रमण नाक, गले या ऊपरी श्वसन मार्ग में होता है। यदि शरीर वहीं संक्रमण से लड़कर उसे हरा दे, तो केवल गले में हल्की जलन, सूखी खाँसी या हल्के बुख़ार जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। कई बार, संक्रमित लोगों में संक्रमण के लक्षण दिखते ही नहीं; वो एसिम्पटोमैटिक होते हैं। हालाँकि जिन लोगों में कम लक्षण दिखते हैं या जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखते वे भी दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं।
ज़्यादातर लोगों के लिए COVID-19 एक गंभीर बीमारी नहीं है। लेकिन कुछ मामलों में, संक्रमण फेफड़ों तक जाता है – निचले श्वसन मार्ग तक- जिससे निमोनिया शुरू हो जाता है। ऐसे रोगियों के फेफड़ों के सीटी स्कैन से इसे साफ़ तौर पर देखा जा सकता है। वृद्ध लोगों में COVID-19 के साथ सेकंडेरी बैक्टीरिया संक्रमण भी हो सकते है।
कुछ मामलों में COVID-19 विशेष रूप से ख़तरनाक हो जाता है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ज़रूरत से ज़्यादा काम (overreact) करने लगती है। बढ़ी हुई प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया न केवल संक्रमित कोशिकाओं पर हमला करती है, बल्कि स्वस्थ कोशिकाओं को भी अपना शिकार बना लेती है। शरीर में बहुत ज़्यादा साइटोकिन प्रवाहित होने से (cytokine storm) फेफड़ों को और ज़्यादा नुक़सान पहुँचता है। 1918-20 के फ़्लू में भी साइटोकिन स्टॉर्म ही इतनी भयावह मृत्यु दर का कारण बना था। इसके अतिरिक्त, क्योंकि SARS-CoV-2 के नुकीले प्रोटीन शरीर के अन्य अंगों के ACE-2 सतह रिसेप्टर से जुड़ सकते हैं, इसलिए ये वायरस अन्य महत्वपूर्ण अंगों पर भी हमला कर सकता है और कई अंगों को ख़राब (multiple organ failure) कर सकता है।

इवान वेपख्वाद्ज़े (USSR), परिप्रेक्ष्य. युवा वैज्ञानिक, 1981.
महामारी रोकने में समर्थ वैक्सीन या दवाएँ बनने की क्या संभावना है?
टीकाकरण
वायरस के कारण होने वाले संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने के लिए टीकाकरण प्रमुख तरीक़ा बन गया है। जबकि हमने प्लेग जैसी बैक्टीरिया की बीमारियों के ख़िलाफ़ भी टीके का उपयोग किया है, और अभी भी उन्हें टाइफ़ाइड जैसी अन्य बीमारियों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करते हैं। सुल्फा दवाओं व पेनिसिलिन जैसी व्यापक स्पेक्ट्रम वाली एंटीबायोटिक दवाओं की खोज के साथ बैक्टीरिया संक्रमण को नियंत्रित करना आसान हो गया है।
वायरस से होने वाला (वायरल) संक्रमण मुख्य रूप से शरीर के बीमारी से लड़ने वाले तंत्र द्वारा रोका जाता है। हमारे शरीर की एंटीबॉडीज़ और टी कोशिकाएँ बैक्टीरिया या वायरस द्वारा किए गए किसी भी बाहरी आक्रमण से लड़ती हैं। टीका हमारे शरीर को विशिष्ट वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाने का संकेत देते हैं। शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली टीका द्वारा शरीर में पहुँचाए गए आक्रमणकारियों को याद रखती है और यह जानती है कि जब वास्तविक संक्रमण होगा तो उसके वायरस/बैक्टीरिया से कैसे लड़ना है। वायरल रोगों के लिए, सही मायने में समूह प्रतिरक्षा (herd immunity) टीकाकरण से आती है, जो आबादी के एक बड़े हिस्से की रक्षा कर संचरण की शृंखला को तोड़ देती है।
शोध संस्थान और कंपनियाँ टीका बनाने के लिए अलग-अलग तरीक़े अपना रही हैं। एक दृष्टिकोण के अंतर्गत मौजूदा प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जा रहा है जिसके तहत एंटीबॉडी बनाने के लिए जीवित या निष्क्रिय वायरस या वायरस के कुछ भागों का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह के टीके ज़्यादा प्रचलित हैं। अन्य दृष्टिकोण के अंतर्गत नये प्रकार के टीके बनाने के लिए आनुवंशिक इंजीनियरिंग का उपयोग होता है। दोनों तरह के टीकों के क्लिनिकल परीक्षण चल रहे हैं। टीके के विकास के क्लिनिकल परीक्षण चरण के दौरान अधिकांश टीके विफल हो जाते हैं। कभी वे एंटीबॉडी विकसित ही नहीं कर पाते, कभी उनका प्रभाव बहुत कम होता है, या कभी वे नकारात्मक प्रतिक्रियाओं की शुरुआत कर देते हैं जिससे टीके के बाद और भी गंभीर संक्रमण हो सकता है। टीका बनाने में न्यूनतम 12 से 18 महीने लग सकते हैं।
टीके अक्सर पूर्ण पेटेंट संरक्षण में विकसित किए जाते हैं ताकि निजी दवा कंपनियाँ मुनाफ़ा कमा सकें, भले ही टीके बनाने के प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में सार्वजनिक धन निवेश किया जाता है। फ़िलैंथ्रोपिक पूँजी – जिसने GAVI (द वैक्सीन एलायंस) जैसा निकाय निर्मित किया है – का दावा है कि वह जन कल्याण का समर्थन करती है, लेकिन वो यह मानने से इनकार करती है कि टीके बिना किसी पेटेंट संरक्षण के उपलब्ध होने चाहिए। दूसरी ओर, चीन ने कहा है कि वह जो टीके विकसित कर रहे हैं, उन्हें सार्वजनिक भलाई के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा। 73 वें विश्व स्वास्थ्य सभा में, हर देश – अमेरिका को छोड़कर – इस संकल्प का समर्थन किया कि सभी COVID-19 दवाओं और टीकों को स्वेच्छा से एक वैश्विक सार्वजनिक पूल में रखा जाए।
एक बार जब कोई दवा काम कर जाती है, या कोई टीका विकसित हो जाता है, तो वैज्ञानिक रूप से विकसित कोई भी देश उस दवा या टीके की नक़ल कर सकता है। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ (जैसे कि विश्व व्यापार संगठन के व्यापार से संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकार (TRIPS)) और अमेरिका अपने घरेलू कानूनों का उपयोग करते हुए एकतरफा व्यापार प्रतिबंधों की धमकी देता है और इस तरीक़े के किसी प्रयास के ख़िलाफ़ ‘संरक्षणवादी’ नीति अपनाता है।
दवाएँ
SARS-CoV-2 वायरस से लड़ने के लिए मौजूदा दवाओं को इस उद्देश्य के लिए पुन:अनुकूलित (repurpose) किया जा रहा है। मानव परीक्षण से ही पता चलेगा कि ये अनुकूलित दवाएँ प्रभावी हैं या नहीं। कई दवा परीक्षण चल रहे हैं, जैसे कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के ‘सॉलिडैरिटी ट्रायल्स’ के अंतर्गत कई परीक्षण किए जा रहे हैं।
क्यूबा के आकस्मिक आपदाओं और गंभीर महामारी में विशिष्ट चिकित्सकों के हेनरी रीव अंतर्राष्ट्रीय टुकड़ी के दो हज़ार से अधिक डॉक्टर विज्ञान और चिकित्सा ज्ञान में विश्वास के साथ दुनिया भर में महामारी से लड़ने के लिए पहुँचे हैं। 2005 में गठित इस टुकड़ी का नाम एक अमेरिकी सैनिक के नाम पर रखा गया है, जो 1868 से 1878 के बीच क्यूबन आर्मी ऑफ़ लिबरेशन में लड़े थे। उनकी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता क्यूबा के चिकित्साकर्मियों को प्रेरित करती है। भाषावाद और जातिवाद की घुटन भरी हवा उनके लिए नहीं है। अंतर्राष्ट्रीयता और विज्ञान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता मानवता में हमारे विश्वास की पुष्टि करती है। CODEPINK ने क्यूबा के चिकित्साकर्मियों को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार देने का आह्वान किया है। हमें उम्मीद है कि ऐसा ही होगा।
स्नेह-सहित,
विजय।