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Li Zhong, Medical workers putting on their gowns to fight the ‘evil’ virus, 2020.

Li Zhong, Medical workers putting on their gowns to fight the ‘evil’ virus, 2020.

प्यारे दोस्तों,

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।

30 जून 1958 को माओ त्से-तुंग ने रेनमिन रिबाओ (पीपुल्स डेली) में पढ़ा कि शिस्टोसोमियासिस-या बिलहार्ज़िया को जियांग्शी प्रांत के युकियांग में ख़त्म कर दिया गया है। वो इससे इतने प्रेरित हुए कि उन्होंने ‘प्लेग के देवता की विदाई’ नामक एक कविता लिखी:

सैकड़ों गाँव मातम से झुलस गए, लोग बर्बाद हो गए;

हज़ारों घर वीरान हुए, भूत विलाप करते रहे।

 

 

हम प्लेग के देवता से पूछते हैं, ‘तुम कहाँ बंधे हो?’
जलती हुई काग़ज़ की कश्तियों और मोमबत्ती से आसमान रौशन है।

माओ हुनान प्रांत के शाओशान में बड़े हुए थे, इसलिए वे बिलहार्ज़िया के आतंक और सैकड़ों वर्षों से ग्रामीण चीन को बर्बाद करने वाले समयबद्ध तरीक़े से आने वाले प्लेग के प्रकोप को भी जानते थे। प्लेग से मारे गए शि दाओनन (1765-1792) ने शक्तिशाली कविता ‘चूहों की मौत’ लिखी थी:

लोग भूत से दिखते हैं।
भूत मानवीय आत्मा के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहे हैं।
दिन के उजाले में मिले लोग वास्तव में भूत हैं।
शाम के समय सामने आने वाले भूत वास्तविक लोग हैं।

कम्युनिस्ट बीमारी मिटाने के लिए दृढ़-संकल्पित थे। 1930 के दशक में माओ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सार्वजनिक स्वास्थ्य आयोग में शामिल हो गए। 1934 में, जब वो जियांग्सी सोवियत में थे, तब माओ ने सार्वजनिक स्वास्थ्य को पार्टी के कामों की सूची में सबसे ऊपर रखा। जब कम्युनिस्ट यान’न में थे, तब उनकी सरकार ने अपने बजट का 6 प्रतिशत सार्वजनिक स्वास्थ्य समिति के स्वास्थ्य-देखभाल कार्य के लिए आवंटित किया। करोड़ों लोगों के सामाजिक जीवन को नकारने वाली पुरानी व्यवस्था को पलटना ज़रूरी था; इसके लिए केवल राज्य सत्ता पर क़ाबिज़ होना काफ़ी नहीं था, बल्कि जन-अभियान भी ज़रूरी थे।

 

 

Urban sanitation, 1952.

शहरी स्वच्छता, 1952

 

1950 में, चीन की नयी कम्युनिस्ट सरकार ने पहली राष्ट्रीय स्वास्थ्य कांग्रेस का आयोजन किया, जिसने चार प्रमुख सिद्धांतों को अपनाया:

  1. स्वास्थ्य कर्मचारियों को मुख्य रूप से किसानों और श्रमिकों के जन-समूहों की सेवा करनी चाहिए।
  2. रोग निवारण प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए।
  3. पारंपरिक और आधुनिक डॉक्टरों को समान रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  4. चिकित्सा कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी के साथ बड़े पैमाने पर अभियान चलाकर स्वास्थ्य-कार्य किया जाना चाहिए।

मार्च 1952 में कम्युनिस्ट पार्टी ने एक महामारी निवारण समिति बनाई और देशभक्त जन स्वास्थ्य अभियान शुरू किया। एन्सेफेलोमाइलाइटिस, मलेरिया, खसरा, टाइफ़ाइड और बिलहार्ज़िया को काफ़ी हद तक नियंत्रित या ख़त्म कर दिया गया। ये अभियान अंततः 1978 की प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर अल्मा अता घोषणा का आधार बना। 5 जुलाई 2017 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने उस अभियान के लिए चीन की सरकार को स्वास्थ्य शासन प्रणाली का उत्कृष्ट मॉडल पुरस्कार दिया

 

Take actions to prevent respiratory diseases, 1970.

श्वसन की बीमारियों को रोकने के लिए कार्रवाई करें, 1970

 

चीन में जीवन स्तर का सुधार कर प्लेग और हैज़ा जैसे पुराने रोगों को काफ़ी हद तक ख़त्म कर दिया गया है; लेकिन नयी बीमारियाँ आ रही हैं, और इनमें से कुछ विनाशकारी भी हैं। नया कोरोनावायरस इनमें से एक है, और यही आज के द ग्रेट लॉकडाउन का रचनाकार है। वायरस का पहला वास्तविक सबूत दिसंबर के अंत में वुहान के डॉक्टरों को मिला। उन्होंने इसकी सूचना अपने अस्पताल प्रशासकों को दी, जिन्होंने आगे राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोगों को इसके बारे में सूचित किया। कुछ ही दिनों के भीतर, चीन की सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को इसकी सूचना दे दी थी। बीमारी सामने आने के कुछ हफ़्तों में ही, सरकार ने वुहान शहर सहित हुबेई प्रांत को बंद कर दिया, और संक्रमण की कड़ी तोड़ने के लिए राज्य-संसाधन जुटाए व जन-कार्यवाइयाँ शुरू कीं। 1950 के राष्ट्रीय स्वास्थ्य कांग्रेस के चार सिद्धांत वायरस के मुक़ाबले में चीन के लिए मददगार रहे।

WHO ने जनवरी के शुरुआत में दुनिया को वायरस के घातक होने की चेतावनी दे दी थी और 30 जनवरी को सार्वजनिक आपातकाल की घोषणा कर दी थी। उसी दिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि, ‘हमें लगता है कि हमारे यहाँ यह बहुत अच्छी तरह से नियंत्रण में है।’ बुर्जुआ सरकारें ठोस वैज्ञानिक तथ्यों की बजाये अनुमान के आधार पर निर्णय लेती रहीं और अपने चैंपियनों – जैसे कि ट्रम्प और ब्राज़ील के जयेर बोल्सोनारो- की जय-जयकार करती रहीं। जनवरी, फ़रवरी और मार्च के महीनों में, ट्रम्प ख़तरे को कम करके बताते रहे। उनका ट्विटर फ़ीड इसके आवश्यक साक्ष्य उपलब्ध कराता है। 9 मार्च को, ट्रम्प ने वायरस की तुलना सामान्य फ़्लू से की। उन्होंने लिखा, ‘इसके बारे में सोचें!’ दो दिन बाद, WHO ने वैश्विक महामारी की घोषणा कर दी। 13 मार्च को ट्रम्प ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की। WHO के द्वारा सार्वजनिक आपातकाल घोषित किए जाने के छह सप्ताह बाद।

 

 

इन सबके बावजूद, ट्रम्प ने इस संकट के प्रति एक ख़तरनाक प्रतिक्रिया देनी शुरू की। उन्होंने संकट के लिए वायरस या उत्तरी अटलांटिक राज्यों में राज्य संस्थानों के पतन और उनकी सरकारों की अक्षमता को दोषी ठहराने की बजाये चीन पर (और WHO को) इल्ज़ाम लगाना शुरू कर दिया।

मेरे सहयोगियों वेयान ज़ू, दू ज़ियाओजुन, और मैंने शोध किया है कि चीन के अधिकारियों को वायरस के बारे में पता कैसे चला, वायरस के बारे में जानकारी WHO और दुनिया के पास कैसे पहुँची, और कैसे चीन संक्रमण की शृंखला को तोड़ने में सक्षम रहा। ख़ासकर चीनी स्रोतों पर आधारित हमारा शोध ट्रम्प और अन्य बुर्जुआ सरकारों के ज़ेनोफ़ोबिया (चीन के लोगों के प्रति नफ़रत) का प्रतिकार प्रस्तुत करता है। हमारे विश्लेषण के केंद्र में कोरोना आपदा की अवधारणा है। यह शब्द इस बात को संदर्भित करता है कि कैसे एक वायरस ने पूरी दुनिया को भयावह तरीक़े से जकड़ लिया है। यह संदर्भित करता है कि बुर्जुआ राज्यों में सामाजिक व्यवस्था कैसे चरमरा गई हैं, जबकि दुनिया के समाजवादी हिस्सों की सामाजिक व्यवस्था संकट के इस समय में भी क़ायम है।

कृपया हमारी पुस्तिका पढ़ें, जिसे आप हमारी वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं या डाउनलोड कर सकते हैं।

 

Noureddine Daifallah, Hommage-à-Imam-Al-Jazouli, 2014.

नौरेडीन डेफल्लाह, इमाम-अल-जज़ौली को श्रद्धांजलि, 2014

 

डेमोक्रेटिक वे (मोरक्को) के एक नेता अब्दुल्ला एल हरीफ़ ने इस सप्ताह कोरोना आपदा के बारे में मुझसे बात की।

कोविद -19 हमें क्या सिखाता है?

कोविद -19 पूँजीवाद की विफलता को प्रकट करता है। बड़े पूँजीवादी देशविशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली, फ्रांस और स्पेनवैश्विक महामारी का सामना करने में असमर्थ रहे हैं। इन देशों ने पूँजी का हित लोगों के जीवन से ऊपर रखा। बुर्जुआ राज्यों की राजनीतिक व्यवस्था पर विश्वास में कमी आई है। वे जनता को बचाने में विफल रहे हैं, और सबसे अमीर लोगों पर कर लगाकर अपनी प्रतिक्रियाओं के लिए धन जुटाने के बजाये जनता को ही फ़ंड देने के लिए मजबूर कर रहे हैं। नवउदारवाद की नीति अपनाकर इन सरकारों ने सार्वजनिक स्वास्थ्यदेखभाल क्षेत्र को नष्ट कर दिया और वायरस से लड़ने के लिए जनता को झोंक दिया। इतना ही नहीं, वायरस ने पूँजीवाद के नैतिक पतन को भी सामने ला दिया है; उनके द्वारा आपराधिक तरीक़े से बुज़ुर्गों को छोड़ दिया जाना और क्यूबा, ​​ईरान तथा वेनेजुएला के लिए ट्रेडरुकावटों को बढ़ाना (यहाँ तक कि, वेनेजुएला को IMF की सहायता पैकेज देने से भी इनकार कर दिया गया है) इसके सबूत हैं

वायरस पर चीन की प्रतिक्रिया को आप कैसे समझते हैं?

चीन वायरस को हराने में इसीलिए सक्षम रहा क्योंकि वहाँ की सरकार ने त्वरित, कुशल और उचित उपाय किए। उन्होंने संसाधन जुटाए क्योंकि मानव जीवन को उन्होंने अपनी प्राथमिकता माना। चीन की मज़बूत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली नेजो लोगों की सेवा करने के लिए उन्मुख हैएक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चीन और क्यूबा ने वायरस से लड़ने के लिए दुनिया भर में अपनी मेडिकल टीमों को भेजकर हमें एकजुटता और अंतर्राष्ट्रीयता का पाठ सिखाया है।

हम द्विध्रुवीय विश्व बनने के गवाह बन रहे हैं। एक ध्रुव अमेरिका है, जो सैन्य बल, विश्व मुद्रा के रूप में डॉलर को स्थापित करने, वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय संगठनों पर अमेरिकी नियंत्रण जैसे मूल्यों पर आधारित है। दूसरा उभरता हुआ ध्रुव चीन है, जो एक मज़बूत, संप्रभु लेकिन खुली अर्थव्यवस्था पर आधारित है। चीन की कोई सैन्य महत्वाकांक्षा नहीं है, और वो अन्य लोगों के ख़िलाफ़ युद्ध शुरू नहीं करतावो अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का सम्मान करता है और अन्य देशों के साथ साम्राज्यवादी नहीं बल्कि वाणिज्यिक समझौते करता है। अमेरिकी ध्रुव अपने आधिपत्य को बिगड़ते देख, चीन पर भड़क रहा है। ट्रम्प जैसी सरकारों का उद्देश्य चीन का दोष बताकर महामारी से निपटने में स्वयं द्वारा किए गए अपराधों पर से जनता का ध्यान भटकाना और उनको गुमराह करना है।

आप भविष्य की क्या उम्मीद करते हैं?

मानवता दोराहे पर है: या तो हम बर्बरता चुनेंगे या सहयोग और एकजुटता। वैज्ञानिक और तकनीकी क्रांति से उत्पादक शक्तियाँ अत्यधिक विकसित हुई हैं; इससे सभी लोगों के लिए गरिमापूर्ण तरीक़े से रह पाने का आधार बना हैलेकिन पूँजीपतियों के अनैतिक धन संचयन ने इस आधार को ध्वस्त कर दिया है। हम लड़ रहे हैं पूँजी की बजाये इंसान को केंद्र में लाने के लिए। इसके लिए साम्राज्यवाद का विरोध करने वाली और प्रत्येक मनुष्य की क्षमताओं के विकास की गारंटी देने वाली सर्वोच्च मानव सभ्यता के निर्माण के लिए प्रयासरत सभी ताक़तों को मिलाकर एक राजनीतिक शक्ति का निर्माण करने की ज़रूरत है।

 

 

रोजर वाटर्स, क्या हम ‘चैन से सुन्न’ पड़े हैं ?, 29 अप्रैल 2020

 

मेरे साथ हाल में हुई बातचीत के दौरान, पिंक फ़्लॉइड के क्रांतिकारी संगीतकार रोजर वाटर्स ने अब्दुल्ला हरीफ़ की बात दोहराई कि मानवता बर्बरता या सहयोग में से कोई एक चुनने की दुविधा में है। ‘बजाय एक दूसरे से लड़ने के, एक दूसरे का सहयोग करते हुए ही’ उन्होंने कहा कि ‘हम आगे बढ़ सकेंगे और इस नाज़ुक ग्रह को बचा सकेंगे जिसे हम अपना घर कहते हैं’।

 

 

शंघाई के एक चित्रकार ली झोंग ने अपने डेढ़ महीने के क्वारंटाइन के दौरान वुहान के श्रमिकों और लोगों के सम्मान में 129 वाटरकलर पेंटिंग बनाईं – हर दिन दो से ज़्यादा। उनकी पेंटिंग से चीन और कोरोना आपदा पर हमारी पुस्तिका (जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं) सुशोभित है। टिंग्स चक, हमारी प्रमुख डिज़ाइनर, शंघाई में ली झोंग से मिलीं; उनकी बातचीत पुस्तिका के अंत में छपी है। कलाकारों को क्या करना चाहिए? टिंग्स ने ली झोंग से पूछा। ‘वे स्थिति को सकारात्मक रूप से दर्शा सकते हैं’, झोंग ने कहा। ‘उन्हें सच्चा होना चाहिए। अन्य देशों को दोष न दें या ग़लत जानकारी न फैलाएँ, क्योंकि सबसे बड़ी चुनौती वायरस को हराना है, जिसके लिए हमारी एकजुटता की ज़रूरत है।’

कोरोना के देवता को विदाई, हम गाना चाहते हैं; ग्रेट लॉकडाउन को विदाई।

 

स्नेह-सहित,

विजय।