प्यारे दोस्तों,
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।
संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से इस आरोप के आधार पर अपना समर्थन वापस ले लिया है कि WHO की कोरोनावायरस के लिए तैयारी नहीं है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने WHO को ‘चीन की कठपुतली’ कहते हुए WHO की चीन से स्वतंत्रता पर सवाल उठाया है। इन बयानों में एक शातिर स्वर है, ट्रम्प लगातार सभी सबूतों को दरकिनार करते हुए ये साबित करना चाह रहे हैं कि चीनी सरकार ने 2019 के आख़िर में वायरस की जानकारी दबा कर रखी थी। एक संक्षिप्त वीडियो में हमारी टीम ने चीन और COVID-19 के बारे में पाँच प्रमुख सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश की है:
चीन और WHO पर किया जा रहा हमला इस संकट के प्रबंधन में संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राजील जैसे देशों की सरकारों की विफलता से ध्यान हटाने के मक़सद से की जा रही सोची समझी चाल लगती है। ब्राज़ील में, राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने अब वायरस के संक्रमण और मृत्यु दर संबंधी ज़रूरी आँकड़ों के प्रकाशन पर रोक लगा दी है। उन्होंने संविधान को स्थगित करने और स्वतः-तख़्तापलट कर पूरी सत्ता क़ब्ज़ाने की धमकी भी दी है।
ट्रम्प के WHO से फ़ंड वापस लेने के बाद, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, ‘ये COVID-19 महामारी को रोकने के लिए एक साथ आने का समय है, न कि वैश्विक संस्थाओं के प्रयासों का नेतृत्व और समन्वय कर रहे विश्व स्वास्थ्य संगठन के संसाधनों को रोकने का समय है।’ नॉर्वे की पूर्व प्रधान मंत्री ग्रो हार्लेम ब्रुन्डलैंड ने भी इसी तरह की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि ‘WHO पर हमला करना इस समय हमारे लिए सबसे आख़िरी ज़रूरत है’, WHO एक ऐसा संगठन है, जिसके पास ‘आवश्यक अनुभव और जानकारी का अवलोकन करने व उसे साझा करने की शक्ति भी है।’ इनमें से किसी के कहने का ट्रम्प पर कोई असर नहीं हुआ।
WHO की पूर्व प्रमुख होने के नाते, ब्रुन्डलैंड को पता है कि वो किस बारे में बात कर रहीं हैं। वह इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ रेड क्रॉस और रेड क्रीसेंट सोसाइटीज़ के महासचिव अलहद्ज़ अस सय के साथ वैश्विक तैयारी निगरानी बोर्ड की सह-अध्यक्ष भी थीं। उनकी सितंबर 2019 में प्रकाशित रिपोर्ट ने चेतावनी दी थी कि ‘दुनिया तेज़ी से फैलने वाले, विषैले श्वसन-संबंधी रोगाणु की महामारी के लिए तैयार नहीं है।’ उसी महीने, ब्रुन्डलैंड ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा मुहैय्या करवाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की उच्च-स्तरीय बैठक में दुनिया के नेताओं से कहा था कि स्वास्थ्य बजट में कटौती करना ‘एक भारी ग़लती’ है और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के लिए सार्वजनिक वित्त जारी करने की अविलंब ज़रूरत है। ऐसी चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया गया।
इस सप्ताह, ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान ने ब्रुन्डलैंड और अन्य लोगों द्वारा दी गई चेतावनी पर आधारित स्वास्थ्य एक राजनीतिक विकल्प है (डोजियर नंबर 29, जून 2020) जारी किया है। कोरोनावायरस से उजागर हो रही स्वास्थ्य संबंधी नाकामयाबियों पर हमारी समझ बनाने के लिए हमने चार देशों – (अर्जेंटीना, ब्राजील, भारत और दक्षिण अफ्रीका) जहाँ ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान के कार्यालय हैं- के सार्वजनिक स्वास्थ्यकर्मियों व यूनीयन के सदस्यों से बात की। वे बताते हैं कि कैसे स्वास्थ्यकर्मी और जन-आंदोलन, राज्य की बहुत कम सहायता के साथ इस बेहद संक्रामक वायरस से लड़ रहे हैं। उन्होंने इस वायरस और भविष्य में निश्चित रूप से सामने आ सकने वाले इस तरह के अन्य वायरसों से लड़ने की बेहतर स्थिति सुनिश्चित करने के लिए राज्य और समाज से की गई अपनी माँगें भी हमारे साथ साझा कीं। इन स्वास्थ्यकर्मियों व उनकी यूनियनों और संगठनों से हमने जो कुछ भी सीखा, उसके आधार पर हमने माँगों की एक सूची बनाई है। ये निम्नलिखित हैं:
- सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की सभी स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमताओं का ध्यान कोविद-19 के गंभीर मामलों के उपचार की दिशा में केंद्रित करें।
- उन क्षेत्रों और समुदायों को विशेष सहायता प्रदान करें जो महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
- वायरस के प्रसार को रोकने के लिए आइसोलेशन जैसी नीतियाँ लागू करें; न्यूनतम आय कार्यक्रम, सामाजिक किराया, बेरोज़गारी बीमा (ग़ैर-योगदानकर्ताओं के लिए भी), जैसी ज़रूरी सब्सिडी और नीतियाँ लागू करें ताकि अनौपचारिक श्रमिकों सहित मज़दूर भूखे रहे बिना क्वारनटीन का पालन कर सकें, और जिन बेघरों को आइसोलेशन की ज़रूरत है उनके रहने के लिए ख़ाली पड़ी इमारतों में आपातकालीन पहुँच सुनिश्चित करें।
- श्रमिकों की सुरक्षा हेतु उन्हें अच्छी क्वालिटी वाले PPE और मास्क व अन्य आवश्यक उपकरण प्रदान करें। फ़्रंटलाइन श्रमिकों को रोग का सामना करने के लिए पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
- फ़्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मियों को उचित स्वास्थ्य कार्यकर्ता पहचान पत्र की गारंटी दें ताकि वे आइसोलेशन और क्वारनटीन के आदेशों के तहत जुर्मानों, हिंसा या राज्य द्वारा जारी किए गए अन्य दंडों का सामना किए बिना आवश्यक स्वास्थ्य कार्य कर सकें।
- स्वास्थ्यकर्मियों की कोविद-19 टेस्टिंग बढ़ाएँ।
- अस्पतालों और अन्य चिकित्सा केंद्रों में वेंटिलेटर और इंटेन्सिव केयर यूनिट बेड व अन्य उपकरणों की उपलब्धता बढ़ाएँ।
- श्रमिकों के अपना श्रम वापस लेने के अधिकार को मान्यता दें, यदि वे मानते हैं कि किसी काम से उनके स्वास्थ्य या जीवन को ख़तरा है (यह माँग अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन कन्वेंशन 155 और 187 पर आधारित है)।
- डॉक्टरों, नर्सों और व सार्वजनिक स्वास्थ्यकर्मियों सहित सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण स्कूल स्थापित करने के लिए फ़ंड दें।
- स्वास्थ्य कर्मचारियों का वेतन बढ़ाएँ व जल्दी और नियमित रूप से उसका भुगतान करें।
- स्वास्थ्य कर्मचारियों को (यदि वे बीमार पड़ते हैं या बीमारी से मर जाते हैं) बेहतर स्वास्थ्य और जीवन बीमा योजनाओं दें। सभी लोगों को मुफ़्त और सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा की गारंटी दी जानी चाहिए।
- सामान्य स्वास्थ्य क्षेत्र की या विशेष रूप से कोविद -19 संकट के लिए नीतियाँ बनाने वाले समितियों में स्वास्थ्यकर्मियों की यूनियनों को शामिल करने की गारंटी दें और सुनिश्चित करें कि ऐसी नीतियाँ निर्धारित करने में उनकी बात सुनी जाए।
- प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के विस्तार की दिशा में तुरंत बड़े फ़ंड दें और बजट-कटौती की नीतियाँ वापिस लें।
- अस्पतालों से ग्रामीण क्लीनिकों तक, चिकित्सा उपकरण निर्माताओं से लेकर दवा निर्माताओं तक संपूर्ण स्वास्थ्य क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र में स्थानांतरित करें।
- इस वायरस और इस तरह के अन्य वायरसों से संबंधित अनुसंधान के लिए तुरंत पर्याप्त फ़ंड दें।
- ये सुनिश्चित करें कि महामारी के दौरान किए गए सुधार इसके ठीक हो जाने के बाद भी क़ायम रहें।
हम उम्मीद करते हैं कि आप इन माँगों को सबसे साझा करेंगे और इन पर आम सहमति बनाने में मदद करेंगे। ‘आवश्यक श्रमिकों’ की प्रशंसा करना एक बात है, लेकिन उनकी माँगों को आवश्यक समझना बिलकुल दूसरी।
स्वास्थ्यकर्मी जीवन के लिए प्रतिबद्ध हैं। जब ये लगने लगा कि (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के) वुहान में संक्रमण की कड़ी तोड़ी जा चुकी है तो चीनी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं -जो कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य भी हैं- ने अपने मास्क उतारते हुए एक वीडियो बनाया। उस वीडियो में उनकी भावना स्पष्ट थी: उन्होंने जो काम किया था, उस पर उन्हें गर्व था, उन्हें गर्व था कि वे संक्रमण की कड़ी तोड़ पाए, और वे इस बात से ख़ुश थे कि जीवन की मृत्यु पर जीत हुई है।
तुर्की कवि नाज़िम हिकमत ने जीवन पर ज़ोर देते हुए एक आकर्षक कविता लिखी है, जिसका एक हिस्सा हमने यहाँ शामिल किया है:
जीना कोई मख़ौल नहीं है:
तुम्हें इसे गंभीरता से लेना चाहिए,
इतना और इस हद तक
कि, मानो, तुम्हारे हाथ बंधे हैं पीठ के पीछे
और पीठ दीवार से,
या किसी प्रयोगशाला में
अपना सफ़ेद कोट और सुरक्षात्मक चश्मा पहने,
तुम मर सकते हो लोगों के लिए-
उन लोगों के लिए भी जिनका चेहरा तुमने कभी नहीं देखा,
जबकि तुम जानते हो कि जीना
सबसे सच्ची, सबसे ख़ूबसूरत चीज़ है।
मेरा मतलब है, कि जीने को तुम्हें इतनी गंभीरता से लेना चाहिए
कि, मिसाल के तौर पर, सत्तर साल के होने पर भी तुम ज़ैतून के पेड़ लगाओ-
और वो भी अपने बच्चों के लिए नहीं,
लेकिन इसलिए कि हालाँकि तुम मौत से डरते तो हो, पर इसे मानते नहीं,
क्योंकि जीना, मेरा मतलब है, ज़्यादा मायने रखता है।
जीना कोई मख़ौल नहीं है, और न ही ज़िंदा रहने की क़ीमत। यह क़ीमत, इस समय, स्वास्थ्यकर्मियों व सहायक स्टाफ़ श्रमिकों द्वारा चुकाई जा रही है। यह क़ीमत हमारे समाजों के अन्य प्रमुख क्षेत्रों से जुड़े लोग भी चुका रहे हैं: खेत मज़दूर, कारख़ाने के श्रमिक, और परिवहन कर्मचारी जिनकी सेवाएँ लॉकडाउन नहीं की जा सकतीं। वे लोग जो कैंटीन व इस तरह की अन्य आपातकालीन सुविधाओं को संचालित करते हैं, जिनके अभाव में बहुत से लोग जीवित नहीं रह पाते। ये क़ीमत उन परिवारों द्वारा भी चुकाई जा रही है जिनके पास एक दूसरे से शारीरिक दूरी बनाने और WHO के अन्य सुझावों का पालन करने के लिए बहुत कम साधन हैं।
ट्रम्प और बोल्सोनारो जैसे लोगों को इन श्रमिकों या उनके समुदायों की आवाज़ों में कोई दिलचस्पी नहीं है। वे अपनी विफलताओं के लिए दूसरों को दोषी ठहराकर अपनी छवि चमकाने में लगे हैं। जबकि ये श्रमिक ही हैं, जिनकी गंभीरता ने इस विकट समय में हमारे समाज को एक साथ बाँधा हुआ है। यही समय है कि हम उन्हें हमारा मार्गदर्शन करने की अनुमति दें।
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान और साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष का अंतर्राष्ट्रीय सप्ताह मिलकर
हमारे समय को परिभाषित करने वाले कुछ शब्दों (पूँजीवाद, नवउदारवाद, हाइब्रिड युद्ध और साम्राज्यवाद) पर पोस्टर प्रदर्शनियों की एक सीरीज़ आयोजित कर रहें हैं। 11 जून को हुई पहली प्रदर्शनी ‘पूंजीवाद’ की थीम पर थी। प्रदर्शनी में छब्बीस देशों के और इक्कीस संगठनों के सतत्तर कलाकारों ने भाग लिया। इस सीरीज़ में, आपको न केवल एक सड़ती हुई पूंजीवादी व्यवस्था नज़र आएगी, बल्कि आप दुनियाभर के लोगों के संघर्षों से बन रही नई दुनिया की झलकियाँ भी देख पाएँगे।
साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष का अंतर्राष्ट्रीय सप्ताह की पोस्टर प्रदर्शनी। पहली प्रदर्शनी ‘पूंजीवाद’.
स्नेह-सहित,
विजय।