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अक्टूबर / 2024

Sabra and Shatila Massacre, 1983

हमारे वजूद और मानव सभ्यता के विकास के लिए हैं हमारी क्रांतियाँ: तैंतालीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)

दुनिया में अब जबकि एक नई बांडुंग स्पिरिट उभरने लगी है इसलिए हमें ग्लोबल साउथ को उसकी अपनी गतिशीलता के आधार पर समझना होगा न कि सिर्फ पश्चिम से इसके संबंधों के आधार पर।
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Helen Zughaib (Lebanon), Reading Coffee Cups, c. 2021

समग्र विश्लेषण कैसे किया जाए: बयालीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)

मुख्यधारा का मीडिया फिलिस्तीन, जहाँ अब तक 114,000 लोग मारे जा चुके हैं, पर खबर करते हुए सच को या तो तोड़-मरोड़ रहा है या उसे छिपाते हुए झूठ पेश कर रहा है। इससे उलट…
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Etel Adnan (Lebanon), Untitled, 2017

हवाई बमबारी की विभीषिका: इकतालीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)

पिछले एक साल से इज़राइल फिलिस्तीनियों का नरसंहार कर रहा है और इस दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका ने उसे 17.9 बिलियन डॉलर की रिकार्ड सैन्य सहायता दी है।
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Comrade Cháng’é

चीन का शिऑन्ग’आन न्यू एरिया: चालीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)

1 अक्टूबर 1949 को पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना हुई। अपनी क्रांतिकारी प्रक्रिया के पचहत्तर वर्षों में, चीन ने कई चुनौतियों का सामना करते हुए भी उल्लेखनीय प्रगति की है।
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Archive

मानसिक स्वास्थ्य के लिए जूझती दुनियाः उनचालीसवां न्यूज़लेटर (2024)

मानसिक स्वास्थ्य संकट का प्रतिकार हमारे समाज के पुनर्निर्माण में निहित है। पूंजीवाद की गला-काट प्रतिस्पर्धा की संस्कृति की बजाय हमें एकजुटता और देखभाल पर आधारित संस्कृति को स्थापित करना होगा।
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किलेबंदी के लिए बाक़ी है बस एक रात: अड़तीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)

हाल ही में दिए गए संकेतों से पता चलता है कि नाटो यूक्रेन को रूसी क्षेत्र पर हमला करने के लिए पश्चिमी देशों द्वारा प्रदान की गई मिसाइलों का उपयोग करने की अनुमति दे सकता…
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एक गीत से जलती है जनता के मन में क्रांति की चिंगारी: सैंतीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)

कविताएँ, गीत, गाथाएँ, गुज़रे दौर के संघर्षों की याद ज़िंदा रखती हैं और इन स्मृतियों से नए संघर्षों के लिए प्रेरणा मिलती है। यही संस्कृति की द्वन्द्वात्मक धुरी है।
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प्रवासियों की दुनिया में शरणार्थियों की तीन नई किस्में: छत्तीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)

कोई भी प्रवासी अपना घर छोड़ना नहीं चाहता है और न ही उन देशों में द्वयं दर्जे का नागरिक बनना चाहता है जिनकी वजह से उन्हें अपनी ज़मीन से अलग होना पड़ा।
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इससे पहले कि वो दुनिया के लिए अपनी कहानी लिख पाती, उसे बेरहमी से कत्ल कर दिया गया: पैतींसवाँ न्यूज़लेटर (2024)

कोलकाता में एक युवा महिला डॉकटर की हत्या के बाद स्वास्थ्य कर्मियों, मेडिकल यूनियनों, तथा महिला संगठनों ने देश भर में लामबंद होकर लैंगिक हिंसा तथा स्वास्थ्य कर्मियों ने खतरनाक काम की परिस्थितियों का विरोध…
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इस अनिश्चित दौर में लैटिन अमेरिकी सरकारों की कमज़ोरी: चौतीसवाँ न्यूज़लेटेर (2024)

वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति चुनाव में मदुरो की जीत को स्वीकार न कर पाने पर यूनाइटेड स्टेट्स ने ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ अमेरिकन स्टेट्स में 16 अगस्त को एक प्रस्ताव पारित करवाया जिसमें नैशनल एलेक्टोराल काउन्सल से चुनावी…
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खास किस्म के चरम दक्षिणपंथ पर दस विचार: तैंतीसवाँ न्यूज़लेटर (2024) 

फ़ासीवाद एक नाकाफ़ी शब्द है क्योंकि यह उदार और दक्षिणपंथी ताकतों की अंतरंगता या नज़दीकियों को नकारता है। इस हफ्ते के न्यूज़लेटर में हम इस ‘अंतरंगता’ को समझने और खास किस्म के चरम दक्षिणपंथ के…
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वेनेज़ुएला एक अनूठा गतिशील देश: बत्तीसवाँ न्यूज़लेटर (2024) 

वेनेजुएला का विपक्ष 28 जुलाई के राष्ट्रपति चुनाव में फिर से धोखाधड़ी का रोना रो रहा है, लेकिन सबूत पेश करने में विफल रहा है। इस बीच, लाखों चाविस्टा, जो समझते हैं कि अमेरिकी-हाइब्रिड युद्ध…
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फिलिस्तीन में भी लौटेंगे पंछी: इकत्तीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)

गज़ा में बिगड़ते हालात के बीच नेतन्याहू को यूएस कांग्रेस में और हथियार माँगने के लिए सराहा गया। इसके विपरीत बीजिंग ने एकता और शांति स्थापित करने के लिए फिलिस्तीनी गुटों को न्यौता दिया। 
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एक जंग लगी बेल्ट और टूटी सड़क का देश: तीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)

1941 की ‘अमेरिकी सदी’ और ट्रम्प के ‘अमेरिका की बर्बादी’ के बीच अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की आर्थिक समृद्धि से गिरावट की ओर गया है। आज इसे राजनीतिक विभाजन, आर्थिक संकट, गरीबी और सामाजिक…
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प्रशांत महासागर और उसके द्वीप न निषिद्ध हैं और न उन्हें भुला दिया गया है: उनतीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)

कनाकी (न्यू कैलेडोनिया) में मूल निवासियों और प्रांसीसी उपनिवेशवादी सरकार के बीच जबरदस्त संघर्ष चल रहा है। मौजूदा अशांति की जड़ में है संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में प्रशांत महासागर का बढ़ता सैन्यकरण। 
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एक शांतिमय या पुरसुकून दुनिया बनाना ही एकमात्र यथार्थवादी काम है: अट्ठाईसवाँ न्यूज़लेटर (2024)

इस्ला ग्रांडे में एफ्रो-कोलंबियाई निवासी एक सतत बिजली प्लांट की ज़रूरत पर बहस कर रहे हैं। इनकी यह कोशिश राष्ट्रपति पेट्रो के सौर्य ऊर्जा या सोलर पावर को बढ़ावा देने में भी दिखती है, जिसका…
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