ब्राज़ील के भूमिहीन मज़दूर चालीस साल से मानवता के निर्माण के लिए संघर्ष कर रहे हैं: 16वां न्यूज़लेटर (2024)
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विएनो की कलाकृति
प्यारे दोस्तो,
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।
ब्राज़ील के भूमिहीन श्रमिक आंदोलन (एमएसटी) की बस्तियों में रहने वाले भूमिहीन श्रमिकों ने अक्टूबर और दिसंबर 2023 के बीच ग़ज़ा के फ़िलिस्तीनियों को भेजने के लिए लगभग 13 टन खाद्य सामग्री इकट्ठा की थी। देश भर में मौजूद एमएसटी की सहकारी समितियों ने एकजुटता अभियान में भाग लिया; सांता कैटरीना के कूपरोएस्टे से दूध आया, पोर्टो एलेग्रे क्षेत्र श्रमिकों की सहकारी समिति (Cootap), टेरा लिवरे कोऑपरेटिव, और रियो ग्रांडे डो सुल की सहकारी समिति (Cooperav) से चावल आया, और सेरा की टेरा कॉन्क्विस्टाडा समिति से मकई का आटा। यह सहायता सामग्री ब्राज़ीलियाई वायु सेना के ज़रिए फ़िलिस्तीन की खेत मज़दूर यूनियन को भेजी गई थी। एमएसटी के राष्ट्रीय नेता जेन कैब्रल ने कहा कि, ‘फ़िलिस्तीनी लोगों को, अपनी संप्रभुता के लिए लड़ रहे सभी लोगों की तरह, अन्य लोगों की ओर से एकजुटता कार्रवाइयों की आवश्यकता है।‘ वास्तव में, दुनिया को ब्राज़ील के भूमिहीन श्रमिकों के उदाहरण का अनुसरण करना चाहिए।
भोजन एकत्र करना फ़िलिस्तीनी लोगों के साथ एमएसटी की एकजुटता कार्रवाई का केवल एक पहलू है। दूसरा समान रूप से महत्वपूर्ण पहलू ग़ज़ा में इज़रायल के नरसंहार के संबंध में ब्राज़ील में आम सहमति बनाना है। पिछले कई दशकों में, लैटिन अमेरिका में दक्षिणपंथी इंजील आंदोलन ने ब्राज़ील और अन्य जगहों पर इज़रायल समर्थक राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा दिया है। यह आंदोलन इस उम्मीद में इज़रायल का बचाव करता है कि वह यरूशलेम की अल–अक्सा मस्जिद को तबाह कर वहां ‘तीसरा मंदिर‘ बनाएगा। इस दृष्टिकोण के तहत, मंदिर ईसा मसीह की वापसी का द्वार खोलेगा, जिसके फलस्वरूप यहूदियों सहित सभी गैर–ईसाइयों को अंतत: शाश्वत दंड मिलेगा। लैटिन अमेरिका में इंजील पादरियों – जिनमें से कइयों को क्रिश्चियन यूनाइटेड फ़ॉर इज़रायल जैसे अमेरिका–आधारित ईसाई ज़ायोनी समूहों से फंड मिलता है – ने इस बेहद घृणित, मानवता–विरोधी दृष्टिकोण को फैलाने का काम किया है। यह एक महत्वपूर्ण कारण है कि इस क्षेत्र के दक्षिणपंथी नेता, जिनमें ब्राज़ील के पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो और अर्जेंटीना के वर्तमान राष्ट्रपति जेवियर माइली शामिल हैं, इज़रायल और ज़ायोनी परियोजना के कट्टर समर्थक हैं। इस प्रकार, ग़ज़ा के लिए भोजन इकट्ठा करने के लिए एमएसटी द्वारा चलाया गया सामूहिक अभियान ब्राज़ील में ईसाई ज़ायोनीवाद के विकास का मुकाबला करने, फ़िलिस्तीनी लोगों के अधिकारों की वकालत करने और अपने सदस्यों को फ़िलिस्तीनी संघर्ष के बारे में शिक्षित करने व इस संघर्ष के साथ अपने संबंधों को गहरा करने का अभियान भी था।
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जुडी दुआर्ते की कलाकृति
एमएसटी, अपने लगभग बीस लाख सदस्यों के साथ, लैटिन अमेरिका में सबसे बड़ा सामाजिक–राजनीतिक आंदोलन है और दुनिया में सबसे बड़े किसान आंदोलनों में से एक है। चालीस साल पहले, 1984 में शुरू हुआ एमएसटी आंदोलन भूमिहीन श्रमिकों के बीच अपना आधार बनाने और उसे बरकरार रखने के अपने अनूठे तरीक़ों के कारण लगातार बढ़ता रहा है। हमारा हालिया डोसियर, The Political Organisation of Brazil’s Landless Workers’ Movement (MST), उन सिद्धांतों की जांच करता है जिनके फलस्वरूप एमएसटी पुर्तगाली उपनिवेशवाद, नरसंहार और ग़ुलामी की विरासत तथा अमेरिका समर्थित सैन्य तानाशाही में नीहित गैर–बराबरियों वाले ब्राज़ील में इस उल्लेखनीय संगठन का निर्माण करने में सक्षम रहा है। इस डोसियर में शामिल कलाकृतियां, जिन्हें इस न्यूज़लेटर में भी शामिल किया गया है, एमएसटी, ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान, एएलबीए मूवमेंट्स और इंटरनेशनल पीपल्स असेंबली द्वारा आयोजित कला प्रदर्शनी ‘एमएसटी के चालीस साल‘ के लिए बनाई गईं थी। ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान के कला विभाग से जारी होने जा रहा दूसरा मासिक बुलेटिन उसी प्रदर्शनी पर केंद्रित होगा; आप इस बुलेटिन के लिए यहां सदस्यता ले सकते हैं।
एमएसटी के तीन लक्ष्य हैं: ज़मीन के लिए संघर्ष करना, कृषि सुधार के लिए लड़ना और समाज में बदलाव लाना। ब्राज़ील के 1988 के संविधान के आधार पर, एमएसटी अनुत्पादक भूमि को जब्त कर उन पर बस्तियां (settlements) और शिविर (encampments) बनाने के लिए भूमिहीन श्रमिकों को संगठित करता है। वर्तमान में, लगभग पांच लाख परिवार ऐसी बस्तियों में रहते हैं और उन्होंने भूमि का कानूनी स्वामित्व प्राप्त कर लिया है, जहां 1,900 किसान संघ, 185 सहकारी समितियां और एमएसटी के स्वामित्व वाली 120 कृषि–औद्योगिक साइटें बनाई गई हैं। इसके अतिरिक्त 65,000 परिवार शिविरों में रह रहे हैं और कानूनी मान्यता के लिए लड़ रहे हैं। यह संस्थाएं खुद ही फ़िलिस्तीन भेजे गए सामान का उत्पादन करती हैं। ब्राज़ील में पूंजीपति वर्ग सरकार पर अपने प्रभुत्व के माध्यम से अर्थव्यवस्था व ग्रामीण इलाकों पर अपना शासन चलाता है, ताक़त के इस असमान संतुलन के बावजूद एमएसटी वर्षों से अपनी पहुंच बढ़ाने में सक्षम रहा है और वर्तमान में देश के छब्बीस राज्यों में से चौबीस राज्यों में काम कर रहा है। यह ताकत एमएसटी के जनाधार व उसके संगठनात्मक तरीकों का परिणाम है। डोसियर में बताया गया है कि, एमएसटी के संगठनात्मक सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि कृषि सुधार बस्तियों (settlements) के निवासियों को हमेशा गति में रहना चाहिए। सात संगठनात्मक सिद्धांत एमएसटी की इस गति को संचालित करते हैं: राजनीतिक दलों, चर्च, सरकारों व अन्य संस्थानों के संबंध में संगठन की स्वायत्तता, जिसके लिए संगठनात्मक एकता आवश्यक है; संगठन के निर्माण में भाग लेने व सामूहिक नेतृत्व के निर्णयों के संबंध में अनुशासित रहने के लिए सदस्यों का प्रशिक्षण; अध्ययन का महत्व; और अंतर्राष्ट्रीयता की आवश्यकता।
एमएसटी केवल भूमि के लिए नहीं लड़ता; यह कृषि सुधार लागू करने और समाज को बदलने का भी प्रयास करता है। दूसरे शब्दों में, यह आंदोलन कृषि–आधारित पूंजीवाद की बजाए कृषि पारिस्थितिकी का मॉडल स्थापित करना चाहता है, जो संतुलित और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देता है – जो प्रकृति के दोहन की बजाए उसका संरक्षण करता है और समाज के लिए स्वस्थ भोजन का उत्पादन करता है।
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डूडा ओलिवा की कलाकृति
दुनिया में 240 करोड़ से अधिक आबादी खाद्य असुरक्षित है। सूडान से लेकर फ़िलिस्तीन में अकाल पड़ रहे हैं, जो अक्सर विभिन्न प्रकार के संघर्षों से संबंधित हैं। हम संयुक्त राष्ट्र के पारिवारिक खेती दशक के बीच में हैं, जो कि 2019 में शुरू हुआ था और 2028 में समाप्त होगा। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की गणना है कि पारिवारिक किसान या छोटे किसान दुनिया के भोजन का एक तिहाई से अधिक उत्पादन करते हैं तथा उप–सहारा अफ्रीका और एशिया में ऐसे किसान 80% भोजन का उत्पादन करते हैं। फिर भी छोटे और पारिवारिक किसान उस ज़मीन के मालिक नहीं हैं, जिस पर वे खेती करते हैं, न ही उनके पास अपनी उत्पादकता बढ़ाने के लिए पूंजी है। परिणामस्वरूप, कई छोटे किसान बाजार के लिए भोजन का उत्पादन करते हैं लेकिन अपने परिवारों को खिलाने के लिए पर्याप्त नहीं जुटा पाते, जिससे लाखों छोटे किसानों के बीच भूख की महामारी फैल रही है।
खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार, ‘दुनिया के 60 करोड़ खेतों में से अधिकांश छोटे [खेत] हैं। एक हेक्टेयर से छोटे खेत कुल खेतों का 70% हिस्सा बनाते हैं, लेकिन कुल कृषि भूमि का केवल 7% ही संचालित करते हैं।‘ भूमि स्वामित्व में यह बड़ी असमानता दुनिया भर के एमएसटी सरीखे संगठनों के काम की केंद्रीय बिंदु है; जैसे तंजानिया में म्विवाता संगठन (जिसके बारे में हम इस साल के अंत में एक डोसियर प्रकाशित करेंगे) और भारत की अखिल भारतीय किसान सभा (जिसके बारे में हमने अपने जून 2021 के डोसियर, भारत में किसान विद्रोह में लिखा था)। 160 लाख सदस्यों वाली किसान सभा 2017 में रंगभेदी इज़रायल के खिलाफ बहिष्कार, विनिवेश और प्रतिबंध (बीडीएस) आंदोलन में शामिल हुई और तीन लाख किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले म्विवाता संगठन ने दिसंबर 2023 में अपनी वार्षिक बैठक के दौरान इज़रायल द्वारा फ़िलिस्तीनियों के नरसंहार की निंदा की। क्योंकि, ये किसान जानते हैं कि उनका काम केवल भूमि का पुनर्वितरण करना नहीं है, बल्कि दुनिया भर में सामाजिक व्यवस्था का परिवर्तन करना है।
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नतालया ग्रेगोरिनि की कलाकृति
1968 में, ब्राज़ील के अमेज़न में पैदा हुए थियागो डी मेलो (1926–2022) को सैन्य तानाशाही की आलोचना करने के कारण निर्वासन में भेज दिया गया था। वे चिली गए, जहां उनकी दोस्ती पाब्लो नेरुदा से हुई। जल्द ही, डी मेलो को फिर से एक सैन्य तानाशाही से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा, 1973 में तत्कालीन राष्ट्रपति साल्वाडोर अलेंदे के नेतृत्व वाली समाजवादी परियोजना के खिलाफ तख्तापलट के कारण उन्हें चिली से बाहर निकाल दिया गया था। डी मेलो पहले अर्जेंटीना और फिर यूरोप गए। यूरोप जाते हुए उन्होंने हवाई जहाज़ में, 1975 में, अपनी क्लासिक कविता पैरा ओस क्यू विराओ (“आने वालों के नाम”) लिखी थी। कविता की आखिरी कुछ पंक्तियाँ उस दर्द को बयान करती हैं जिससे सामाजिक परिवर्तन के संघर्ष का रास्ता चुनने वालों को पार जाना होना है:
दर्द भुलाकर: यह समय है
एक दिशा में चलने वालों के संग
हाथ में हाथ डालकर आगे बढ़ने का,
भले ही अभी बहुत दूर हों हम
प्यार की क्रिया
के सही माने समझने से।
सबसे पहले, यह समय है
खुद का
अकेला अगुआ
होने से बचने का।
यह मिलने का समय है।
(हमारी गलतियों की सच्चाई हमारे सीने में दोटूक और बेबाक़ जलती है)
यह रास्ता बनाने का समय है।
जो आगे आएंगे वो लोग ही होंगे,
और वे संघर्ष के ज़रिए खुद को जाने लेंगे।
एमएसटी को चालीसवीं वर्षगांठ पर शुभकामनाएं! आंदोलन के संस्थापकों में से एक, जोआओ पेद्रो स्टेडाइल द्वारा अनुशंसित हमारे डोसियर को पढ़ना न भूलें:
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‘मैं इस अंतर्राष्ट्रीय किसान संघर्ष सप्ताह के दौरान एमएसटी के सांगठनिक अनुभवों पर ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान द्वारा हाल में जारी किए गए डोसियर को पढ़ने की सिफ़ारिश करता हूं।‘
स्नेह–सहित,
विजय।