फ़िलिस्तीन के लोग फ़िलिस्तीन की धरती पर ही रहेंगे: 13वां न्यूज़लेटर (2024)
प्यारे दोस्तो,
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।
15 फरवरी 2024 को, जेरेड कुशनर (जो कि डोनाल्ड ट्रम्प के दामाद हैं और ट्रम्प के राष्ट्रपति काल में वरिष्ठ सलाहकार रहे थे) ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर तारेक मसूद के साथ लंबी चर्चा की। इस चर्चा के दौरान, कुशनर ने ‘ग़ज़ा की तटवर्ती संपत्ति‘ के बारे में बात की, जो उन्होंने कहा, ‘बहुत मूल्यवान‘ हो सकती है। ‘अगर मैं इज़राइल होता‘, उन्होंने कहा, ‘मैं बस नेगेव [रेगिस्तान] में बुलडोजर से कुछ ढहा देता [और] मैं लोगों को [ग़ज़ा से] वहां ले जाने की कोशिश करता… आगे बढ़कर काम खत्म करना ही सही कदम होगा‘।
कुशनर द्वारा नेगेव (अरबी में अल–नक़ाब) को चर्चा के विषय के रूप में चुना जाना दिलचस्प है। अल–नक़ाब, जो अब दक्षिणी इज़राइल में स्थित है, लंबे समय से तनाव और संघर्ष का स्थान रहा है। सितंबर 2011 में, इज़रायली सरकार ने नेगेव में बेडौइन सेटलमेंट (बस्ती) की व्यवस्था पर विधेयक पारित किया था, जिसे प्रवर–बेगिन योजना के रूप में भी जाना जाता है, और जिसके तहत पैंतीस ‘गैर–मान्यता प्राप्त‘ गांवों से 70,000 फ़िलिस्तीनी बेडौइनों को बेदखल किया गया था। यानी कुशनर ने इज़राइल को अवैध रूप से पहले से भी ज़्यादा फ़िलिस्तीनियों को अल–नकाब में स्थानांतरित करने की सलाह दी है। इनमें से कई फ़िलिस्तीनी फ़िलिस्तीन के उन शहरों से बेदख़ल कर ग़ज़ा भेजे गए थे जो अब इज़रायल के भीतर हैं। कुशनर को पता ही होगा कि 1949 जिनेवा कन्वेंशन के अनुच्छेद 49 के अनुसार अल–नक़ाब में आबादी का स्थानांतरण और ग़ज़ा पर कब्ज़ा करना दोनों ही अवैध कदम हैं।
2011 में फ़िलिस्तीन के बेडौइनों और आज ग़ज़ा के फ़िलिस्तीनियों को जिस स्तर के विस्थापन का सामना करना पड़ रहा हैं वह 1948 में इज़रायली राज्य के निर्माण के बाद से फ़िलिस्तीनियों की दुर्दशा को दर्शाता है। 1976 से हर साल, दुनिया भर के फ़िलिस्तीनी 30 मार्च को भूमि दिवस मनाते हैं। यह दिन गैलील क्षेत्र से फ़िलिस्तीनियों को खदेड़ने और गैलील क्षेत्र के यहूदीकरण (यिहुद हा–गैलील) की इज़रायली राज्य की कोशिशों के ख़िलाफ़ फ़िलिस्तीनियों द्वारा किए गए प्रदर्शन में छ: फ़िलिस्तीनियों की हत्या की याद में मनाया जाता है। इज़रायली शासन 1948 से ही पूरे गैलील और अल–नकाब क्षेत्र पर कब्ज़ा करने की कोशिश करता रहा है, लेकिन उसे फ़िलिस्तीनी बेडौइनों सहित सभी फ़िलिस्तीनियों के उग्र प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है। इज़रायल की हिंसा जॉर्डन नदी से लेकर भूमध्य सागर तक ग्रेटर इज़रायल (एरेत्ज़ इज़रायल हशलेमा) की स्थापना के लिए यहाँ के लोगों को डराने और उन्हें वहाँ से बेदख़ल करने में विफल रही है। इज़रायल अपना लक्ष्य प्राप्त करने में सफल नहीं हो सका है। इज़रायल फ़िलिस्तीनियों या बेडौइनों को वहाँ से पूरी तरह ख़त्म नहीं कर सकता। उसका शुद्ध ज़ायोनी राज्य का सपना निरर्थक है।
9 दिसंबर 1975 को, नाज़ारेथ की फ़िलिस्तीनी आबादी ने 67% वोट के साथ कम्युनिस्ट पार्टी (रकाह) के तौफीक ज़य्याद को चुना। ज़य्याद (1929-1994), एक जाने–माने कवि थे, जिन्होंने जबरन बेदखल करने की इज़रायली नीति के खिलाफ गैलिल के फ़िलिस्तीनियों के बीच संयुक्त मोर्चा बनाने में निरंतर भूमिका निभाई थी, जिसके कारण उन्हें अबु अल–अमीन (भरोसेमंद व्यक्ति) कहा जाता था। उनकी इन गतिविधियों के लिए, ज़य्याद को कई बार गिरफ्तार किया गया, लेकिन वो डटे रहे। ज़य्याद 1948 में कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए, 1952 में नाज़ारेथ के अरब वर्कर्स ट्रेड यूनियन कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उन्होंने अपने गृहनगर नाज़ारेथ में पार्टी का नेतृत्व किया, और 1973 में नेसेट (इज़राइली संसद) में एक सीट जीती और 1976 में डेमोक्रेटिक फ्रंट फ़ोर पीस एंड इक्वालिटी के उम्मीदवार के रूप में अपने शहर के मेयर चुने गए। उनकी जीत ने इज़रायली सरकार को अचंभित कर दिया था। लेकिन गैलील के फ़िलिस्तीनियों ने, जो 1948 से अपनी ज़मीन और घर चुराए जाने के प्रयासों के खिलाफ लड़ रहे थे, उनकी जीत का जश्न मनाया।
1975 में, इज़रायली अधिकारियों ने घोषणा की कि वे अरब भूमि से 20,000 डनम (18 मिलियन वर्ग मीटर) जब्त कर लेंगे। ज़मीन का अधिकतम भाग मध्य गैलील या ‘क्षेत्र 9′ में पड़ता था, जिसका मतलब था अर्राबा, दीर हन्ना और सखनिन के गांवों को विलुप्त किया जाना था। ये कोई नई योजनाएँ नहीं थीं। 1956 से ही इज़रायल ने नाज़ारेथ के आसपास के अरब गांवों को विस्थापित करने के लिए अल–बिनेह, दीर अल–असद और नाहेफ जैसे शहरों की स्थापना शुरू कर दी थी: सबसे पहले, उसने नटजेरेथ इलिट (जिसे 2019 से नोफ हगालिल के रूप में जाना जाता है) का निर्माण किया, और फिर, 1964 में, इसने कार्मिकेल स्थापित किया।
जब मैं 2014 में नाज़रेथ गया, तो मुझे शहर की परिधि में घूमने के लिए ले जाया गया। मैंने पाया कि किस प्रकार से पुराने फ़िलिस्तीनी शहर को बंजर करने के लिए नई यहूदी बस्तियों डिज़ाइन किया गया था। हनीन ज़ोबी, जो तब बलाद के लिए फ़िलिस्तीनी पार्टी नेसेट की सदस्य थीं, ने मुझे बताया कि कैसे नाज़ारेथ, जहां उनका जन्म हुआ था, वेस्ट बैंक की तरह, धीरे–धीरे अवैध बस्तियों, रंगभेदी दीवार, चौकियों और इज़रायली सेना के नियमित हमलों से तबाह हो रहा है।
30 मार्च 1976 की आम हड़ताल शुरू होने से पहले ही इज़रायली शासन ने निहत्थे फ़िलिस्तीनियों को बेरहमी से पीटने के लिए सशस्त्र सेना और पुलिस की एक टुकड़ी भेजी दी, जिन्होंने सैकड़ों लोगों को घायल कर दिया और छह की मौत हो गई। हड़ताल का नेतृत्व कर रहे तौफीक ज़य्याद ने लिखा कि यहाँ से ‘संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़‘ आया, क्योंकि इससे ऐसा ‘भूचाल आया जिसने राज्य को एक सिरे से दूसरे तक हिलाकर रख दिया।‘ ज़य्याद ने लिखा कि, इज़रायली शासन ने ‘अरबियों को सबक सिखाने‘ की योजना बनाई थी, लेकिन ‘उस [हमले] के कारण हड़ताल की तुलना में कहीं अधिक प्रतिक्रिया हुई। जिसका असर हड़ताल में मारे गए शहीदों के अंतिम संस्कार में दिखाई दिया, जिनमें हजारों लोगों ने भाग लिया।‘ वह दिन भूमि दिवस बन गया, जो कि अब फ़िलिस्तीन की संप्रभुता के संघर्ष के कैलेंडर का अभिन्न हिस्सा है।
इज़रायली शासन जनता के आक्रोश से विचलित नहीं हुआ। 7 सितंबर 1976 को, हिब्रू अखबार अल–हमीशमार ने नाज़ारेथ सहित उत्तरी जिले के प्रशासन अधिकारी यिसरायल कोएनिग द्वारा लिखित एक ज्ञापन प्रकाशित किया। कोएनिग के नस्लवादी ज्ञापन में अट्ठाईस नई यहूदी बस्तियों के निर्माण हेतु फ़िलिस्तीनी भूमि पर कब्ज़ा करने और फ़िलिस्तीनियों से दिन भर काम करवाने का आह्वान किया गया ताकि उनके पास सोचने के लिए समय ही न बचे। इज़रायल के तत्कालीन प्रधान मंत्री, यित्ज़ाक राबिन ने उस ज्ञापन की निंदा नहीं की, जिसमें कि गैलील के यहूदीकरण की विस्तृत योजना भी दर्ज की गई थी। उनकी योजनाएं कभी बंद नहीं हुईं।
2005 में, इज़रायली सरकार ने निर्णय लिया कि उप प्रधानमंत्री गैलील और अल–नकाब का प्रशासन करेंगे। शिमोन पेरेज़, जिन्होंने यह पदभार संभाला, ने तब कहा था कि ‘नकाब और गैलील का विकास आने वाले वर्षों की सबसे महत्वपूर्ण ज़ायोनी परियोजना है।‘ सरकार ने इन दोनों क्षेत्रों को यहूदी बहुल क्षेत्रों में बदलने और फ़िलिस्तीनी बेडौइनों सहित सभी फ़िलिस्तीनियों को वहां से खदेड़ने के लिए 45 करोड़ डॉलर आवंटित किए। वह योजना आज भी जारी है।
जेरेड कुशनर के बयानों को खुशफ़हमी कह कर खारिज किया जा सकता है, क्योंकि यह बयान कुछ हद तक हास्यास्पद है। हालाँकि, ऐसा करना गुमराह कर सकता है: कुशनर ट्रम्प के अब्राहम समझौते के वास्तुकार थे, जिसके कारण बहरीन, मोरक्को और संयुक्त अरब अमीरात के साथ इज़रायल के संबंध सामान्य हो गए। उनका इज़राइल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ भी घनिष्ठ संबंध हैं (नेतन्याहू लिविंगस्टन, न्यू जर्सी में कुशनर के बचपन के बेडरूम में रहा करते थे)।
अल–नकाब एक गर्म रेगिस्तान है, एक ऐसा स्थान जहां फ़िलिस्तीनी बेडौइनों के निष्कासन के बाद कुछ आबादी रहती है। लेकिन समुद्र तट पर रिसोर्ट बनाने के लिए और पूर्वी भूमध्य सागर में प्राकृतिक गैस भंडार के दोहन के लिए इज़रायल ग़ज़ा में बड़ी संभावनाएं देख रहा है। यह कारण है कि ग़ज़ा ज़ायोनी एजेंडे में निरंतर शामिल होता रहा है, जो कि कुशनर के बयान में साफ़ नज़र आता है। लेकिन, यदि इतिहास की मानी जाए, तो ऐसा नहीं होगा कि फ़िलिस्तीनी ग़ज़ा छोड़कर अल–नकाब या कम से कम सिनाई रेगिस्तान में चले जाएंगे। वे लड़ेंगे। वे डटे रहेंगे।
सितंबर 1965 में, मॉस्को से फ़िलिस्तीन लौटने के बाद, तौफीक ज़य्याद ने ‘‘हियर वी विल रिमेन (हम यहीं रहेंगे)’ कविता लिखी। यह कविता उसके अगले साल अल–इत्तिहाद प्रेस द्वारा प्रकाशित हाइफ़ा पत्रिका में उनकी क्लासिक ‘आई शेक योर हैंड‘ के साथ छपी। ‘आई शेक योर हैंड‘ कविता को मिस्र के गायक शेख इमाम ने संगीत दिया और गीत के रूप में दुनिया भर के फ़िलिस्तीनी बच्चों ने यह कविता रट ली (‘मेरे हाथ से खून बह रहा था, और फिर भी मैंने हार नहीं मानी‘)। 1976 की घटनाओं ने नाज़ारेथ में ज़य्याद की लोकप्रियता को और बढ़ा दिया, जहां वह 1994 में अपनी मृत्यु तक मेयर बने रहे। दुखद बात यह है कि जब वे वेस्ट बैंक से लौटे, तो एक कार दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। वे ओस्लो समझौते के बाद वेस्ट लैंड में यासर अराफात का फ़िलिस्तीन में स्वागत करने के लिए गए थे। भूमि दिवस के बारे में सोचते हुए, और ग़ज़ा के बारे में सोचते हुए, यहाँ कॉमरेड ज़य्याद की ‘हियर वी विल रिमेन‘ कविता का अनुवाद पढ़ें:
लिड्डा में, रामला में, गैलील में,
हम रहेंगे,
तुम्हारे सीने पर दीवार बन कर,
और तुम्हारे गले में
कांच के टुकड़े बन कर
या कैक्टस के काँटे बन कर,
और तुम्हारी आँखों में
रेतीले तूफ़ान की तरह चुभेंगे.
हम रहेंगे,
तुम्हारे सीने पर दीवार बन कर,
तुम्हारे रेस्तरां में बर्तन साफ़ करेंगे,
तुम्हारे बार में तुम्हें शराब परोसेंगे,
तुम्हारी रसोइयों के फर्श साफ करेंगे
तुम्हारे नीले दाँतों से
हमारे बच्चों के लिए रोटियाँ छीन लेंगे।
हम यहीं रहेंगे,
[और] गीत गाएँगे.
क्रोधित सड़कों पर उतर आएँगे,
जेलों को गरिमा से भर देंगे।
लिड्डा में, रामला में, गैलील में,
हम रहेंगे,
अंजीर और जैतून के पेड़ों
की हरियाली की रक्षा करेंगे,
हमारे बच्चों में विद्रोह की भावना बढ़ाएँगे
जैसे आटे में ख़मीर बढ़ता है।
स्नेह–सहित,
विजय।