प्यारे दोस्तों,
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।
फ़रवरी के आख़िरी दिनों में मैं विक्टर जारा की क़ब्र पर श्रद्धांजली देने सैंटियागो गया। 16 सितंबर 1973 के दिन विक्टर जारा को बेरहमी से मार दिया गया था। जारा एक थियेटर निर्देशक, गीतकार और कम्युनिस्ट थे जिन्हें साल्वाडोर एलेंदे की समाजवादी सरकार के ख़िलाफ़ हुए तख़्तापलट के बाद गिरफ़्तार कर लिया गया था। उन्हें जेल में प्रताड़ित किया गया और फिर उनकी हत्या कर दी गई। जारा को जनरल ऑगस्टो पिनोशे की सैन्य तानाशाही के अन्य पीड़ितों के साथ रिकोलेटा में सीमेंटेरीयो जनरल के पीछे दफ़नाया गया था। 2009 में, इस हत्या की जाँच के सिलसिले में जारा के शरीर को क़ब्र से निकाला गया और दोबारा कुछ दूरी पर दफ़नाया गया। उनकी पुरानी क़ब्र पर लिखा हुआ है– el derecho de vivir en paz (शांति से जीने का अधिकार)।
ये शब्द जारा की 1971 में रिलीज़ हुई एल्बम के टाइटल सौंग के हैं। ये गीत उस एल्बम का पहला गीत था। इसे हो ची मिन्ह के नेतृत्व में अमेरिकी साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ लड़ रहे वियतनामी लोगों के लिए गाया गया था। एक बेहद सरल गीत, जो शांति से जीने के अधिकार की बात से शुरू होता है। इस गीत में हो ची मिन्ह, एक कवि, जो कि वियतनाम से संपूर्ण मानव जाति के हक़ में लड़ रहे थे, के बारे में बताया गया है। 1945 में जब वियतनाम ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की तब जारा तेरह साल के थे। वियतनाम के लोगों ने अपने देश को मुक्त कराने के लिए बड़े दृढ़ संकल्प के साथ संघर्ष किया था। इससे पहले कि वियतनाम अपने समाजवादी एजेंडे पर आगे बढ़ता, वहाँ युद्ध छेड़ दिया गया, पहले फ़्रांस और फिर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा। अमेरिका ने वियतनामी लोगों के ख़िलाफ़ –परमाणु बम के अलावा– अपने सभी हथियार इस्तेमाल किए।
इस युद्ध के बारे में दो बातों पर दुनिया भर के क्रांतिकारी स्पष्ट थे। पहली ये कि वियतनामी लोगों की हार से दुनिया भर के राष्ट्रीय मुक्ति संघर्षों को बहुत बड़ा झटका लगेगा, क्योंकि उससे अमेरिका और उसके सहयोगियों को अन्य मुक्ति आंदोलनों को कुचलने की शक्ति मिलेगी। दूसरी यह कि उपनिवेशवाद को ख़त्म करने और स्वतंत्रता पाने के प्रति संवेदनशील प्रत्येक व्यक्ति को ‘दो, तीन या कई वियतनाम बनाने होंगे‘, जैसा कि चे ग्वेरा ने अपने ट्राइकॉन्टिनेंटल के नाम संदेश (1966) में लिखा था। चे ग्वेरा को 1967 में मार डाला गया था, तब उनकी उम्र 39 साल थी; विक्टर जारा केवल 40 वर्ष के थे जब उनकी हत्या कर दी गई थी।
1971 तक, निर्मम हवाई बमबारी और रासायनिक हथियारों के उपयोग के बावजूद अपने देश के उत्तरी हिस्से को सुरक्षित रख वियतनाम ने काफ़ी विश्वास हासिल कर लिया था। हमलावर दक्षिण में साइगॉन की ओर बढ़े; 1968 का टेट हमला भी इन्हीं हमलों में शामिल है। 1969 में हो ची मिन्ह की मृत्यु हो गई, वे अंत तक अपने इरादों पर दृढ़ रहे। जारा का गीत हो ची मिन्ह और वियतनामी सेनानियों को श्रद्धांजलि देता था; ये गीत स्वतंत्रता के प्रति एक अंतर्राष्ट्रीयतावादी रुख़ अपनाने की आवश्यकता को दर्शाता था। यह गीत शुद्ध प्रेम की लौ है, एक अंतर्राष्ट्रीय गीत जो शांति से जीने के अधिकार की घोषणा करता है।
इस तरह के गाने कभी पुराने नहीं होते। ऐसे गीत उम्मीद जगाते हैं, संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं और यथार्थ से अलग एक दुनिया की कल्पना प्रस्तुत करते हैं। सैंटियागो, चिली के प्लाजा डे ला डिग्निडाड में घूमते हुए आपको दीवारों पर जारा की तस्वीरों के साथ उनके गीतों के अंश लिखे मिलेंगे। ये तस्वीरें अलग–अलग राजनीतिक समूहों के लोगों और कई चित्रकारों द्वारा बनाई गईं हैं, जो अपने क्रांतिकारी अतीत से सीधा जुड़ाव महसूस करते हैं और जो महसूस करते हैं कि तानाशाही के अवशेष अभी बचे हुए हैं। 1973 से हर शुक्रवार शाम को, सरकारों के सामान्य नवउदारवादी झुकाव, और 2018 में सत्ता में आई सेबेस्टियन पिन्येरा की मतलबी सरकार का विरोध करने के लिए जनता का एक बड़ा समूह वहाँ इकट्ठा होता है। पिन्येरा, एक रूढ़िवादी जिसने पिनोशे को सज़ा देने का विरोध किया था, ने कटौतियों की नीतियाँ अपनाई हैं। जिसके कारण पहले स्कूली बच्चे और अब पूरी जनता बड़े पैमाने पर सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रही है। विरोध प्रदर्शनों की इस लहर की ओर सरकार का रवैया दमनकारी रहा है – प्रदर्शनकारियों को ग़ैरक़ानूनी प्रतिबंधों, गिरफ़्तारियों, पुलिस हिंसा और यौन हिंसा तक का सामना करना पड़ा है। गुस्तावो गैटिका जैसे प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों की आँखों में रबर बुल्लेट्स मारी गईं हैं; मुझे ‘आँखों में गोली मारने वाला‘ मोहम्मद सोबी एल–शेनावी याद आ गया, जिसने 2011 में मिस्र के काहिरा में तहरीर स्क्वायर के प्रदर्शनकारियों को गोलियाँ मारी थीं।
2018 में एक अदालत के फ़ैसले के बाद आठ सेवानिवृत्त अधिकारियों को जारा की हत्या के सिलसिले में 15 साल क़ैद की सज़ा मिल चुकी है; लेकिन उनके सपने को आगे बढ़ाने वाले लोग ही उन्हें वास्तविक न्याय दिलवा सकते हैं। 2019 के प्रदर्शनों की लहर में उनका गीत आंदोलन का ऐन्थम बन गया था, जिसे इंति–ज़िमानी के उनके साथी पूरी भावना के साथ प्लाज़ा में गाते थे। पिछले महीने के एक शुक्रवार की शाम को प्लाज़ा डे ला डिग्निडाड में विरोध प्रदर्शन के दौरान मैंने देखा कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछार की; वहाँ के लोग जनतंत्र की इस दिनचर्या और सरकार के दमन से परिचित हो चुके हैं। जॉर्ज और मार्सेलो कोलोन ने मुझे बताया, कि जब वे लोगों की भीड़ में से स्टेज की ओर जारा का हो ची मिन्ह के लिए गाया गया गीत गाने के लिए जा रहे थे तो वो कितने भावुक महसूस कर रहे थे।
इंति–ज़िमानी, El derecho de vivir en paz (शांति से जीने का अधिकार), प्लाज़ा डे ला डिग्निडाड, सैंटीआगो, चिली, 2019।
1980 से, चिली पिनोशे की तानाशाही के दौरान बने संविधान के अनुसार चल रहा है। इसलिए, आप समझ सकते हैं कि विरोध प्रदर्शनों की लहर की एक अहम माँग थी नया संविधान बनाना। 2020 में, देश के 78% लोगों ने नये संविधान का मसौदा तैयार करने के हक़ में वोट किया; अप्रैल 2021 में, वे इसे बनाने के लिए संविधान सभा में वोट करेंगे।
जारा का गीत हमारे समय में एक एन्थम बनकर लौटा है इसका क्या अर्थ हो सकता है, शांति से जीने के अधिकार की माँग अनेकों पीढ़ियों के लिए सार्थक है? यह गीत वियतनामी क्रांति के लिए चिली के एक व्यक्ति ने इस संवेदनशीलता के साथ लिखा था कि वियतनाम का संघर्ष और ये गीत दोनों अंतर्राष्ट्रीय हैं। चिली में हो रहे संघर्ष में कुछ भी अनजाना नहीं है, पिन्येरा की सरकार या चिली के कुलीन वर्ग द्वारा जनता को सताए जाने की कहानी केवल चिली की नहीं है। अभिजात्य वर्ग के कर हड़ताल के परिणामस्वरूप ही उदारवाद की नीतियाँ लागू होती हैं, वे अपने धन को सृजनात्मक कामों के लिए इस्तेमाल करने के बजाय, उसे अवैध बैंकों में जमा करना ज़्यादा पसंद करते हैं। उनके लिए मेहनतकशों की दीर्घकालिक पीड़ा कोई मायने नहीं रखती, जिन्हें अब महामारी से गहराए संकट में ज़िंदा रहने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। यही कारण है कि विरोध प्रदर्शन चिली की वास्तविकता का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं।
प्रतिरोध के गीत गाती जनता की अहिंसक भीड़ और पानी की बौछारें और आँसू गैस के गोले फेंकने वाले पुलिस के ट्रक दोनों ही चिली की आम दिनचर्या का हिस्सा बन गए हैं। यही कारण है कि जब रॉजर वाटर्स ने 2020 में एल डेरेचो डे विविर एन पाज़ को गाया तो दिल्ली की सड़कों से लेकर न्यूयॉर्क की गलियों में यह अंतर्राष्ट्रीय गीत सुना गया।
रोजर वाटर्स, एल डेरेचो डे विविर एन पाज़, 2020।
28 फ़रवरी को, पश्चिम बंगाल में चुनावी अभियान शुरू होने के साथ लगभग दस लाख लोग कोलकाता के ब्रिगेड ग्राउंड में लाल झंडे तले इकट्ठा हुए। कम्युनिस्ट नेता मोहम्मद सलीम ने कहा, ‘हम अपने अधिकार माँगते हैं‘, शांति से जीने का अधिकार। हो ची मिन्ह के लिए गाए गए चिली के एन्थम की गूँज हर कहीं सुनाई पड़ती है। सलीम जहाँ बोल रहे थे, वहाँ से कुछ ही दूरी पर हो ची मिन्ह सरनी में अमेरिकी दूतावास स्थित है; वियतनाम के ख़िलाफ़ अमेरिकी युद्ध के दौरान, वहाँ के लोगों के साथ एकजुटता दिखाते हुए, इस जगह का नाम बदलकर हो ची मिन्ह सरनी कर दिया गया था।
मौजूदा दौर में, हमारे संघर्षों के तरीक़ों या अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता की ज़रूरत को लेकर वामपंथ में उस प्रकार की स्पष्टता नहीं है। क्यूबा और वेनेज़ुएला के ख़िलाफ़ अमेरिकी साम्राज्यवाद के तीखे हमले जारी हैं, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने —‘आत्मरक्षा’ के बेतुके नाम पर— सीरिया पर बमबारी को वाजिब बताया है। जनता को अपने एजेंडे ख़ुद बनाने का अधिकार होना चाहिए था, लेकिन यहाँ जनता पर प्रतिबंध लगाने और उन्हें व उनकी माँगों को अवैध दर्शाने के लिए हाइब्रिड युद्ध की नीतियाँ अपनाई जा रही हैं। इंति–ज़िमानी के मार्सेलो कोलोन से मैंने पूछा कि उनके लिए सैंटियागो में प्रदर्शनकारियों की इतनी बड़ी भीड़ के सामने जारा के साम्राज्यवाद–विरोधी, अंतर्राष्ट्रीयवादी गीत गाने क्या का मतलब है:
हो ची मिन्ह के लिए आज के संदर्भ में गाना मेरे लिए बहुत ही ख़ास है, क्योंकि यह मुझे उस समय में वापस ले जाता है जब हम दुनिया से जुड़े हुए थे, एकजुटता की दुनिया से, साम्राज्यवाद–विरोधी संघर्ष से। और इससे मुझे पता चलता है कि लोगों को अपने अहं और अपने हितों से परे न सोच पाने वाले व्यक्तिवादी प्राणियों में बदलकर, नवउदारवाद ने [हमें] कितनी भयानक क्षति पहुँचाई है। मुझे लगता है कि सामाजिक आक्रोश में, लोगों ने इस गीत को केवल शांति से जीने के अधिकार के लिए नहीं बल्कि गरिमा और एकजुटता के साथ व्यापक शांति में जीने के अधिकार के लिए गाया था। मैं यह नहीं बताना चाहता हूँ कि क्यों [जारा ने] हो ची मिन्ह के बारे में लिखा था, लेकिन मुझे लगता है कि हर किसी को इस एकजुटता की कार्रवाई को समझना चाहिए … मैंने वियतनाम के लिए ख़ून दिया था, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं होता है।
भारत में किसानों और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के बीच चल रहा गतिरोध अब चौथे महीने में पहुँच गया है। मोदी और पिन्येरा दोनों के एजेंडे उनके कारपोरेट सहयोगियों के प्रति उनकी वफ़ादारी का परिणाम हैं। पिन्येरा या मोदी, किसी का भी निजीकरण, क्रोनिज़्म और सरकारी दमन की नीतियों से पीछे हटने का इरादा नहीं है। वेनेज़ुएला और क्यूबा के लोगों द्वारा अनुभव की गई तकलीफ़े ही भारत के किसान और खेत–मज़दूर झेल रहे हैं। मानव अधिकारों के बारे में उदार भाषणों के बावजूद, दुनिया की तमाम आबादी के मुक़ाबले मुट्ठी–भर लोगों के हितों के लिए अधिक प्रतिबद्धता स्पष्ट है। ‘दो, तीन या कई वेनेज़ुएला‘ या ‘दो, तीन या कई किसान आंदोलन‘ बनाने की ज़रूरत कभी भी इतनी स्पष्ट नहीं थी और न ही एकजुटता कभी इतनी आवश्यक।
“शांति से जीने का अधिकार” कोई बेमतलब वाक्य नहीं है; यह प्रभावी रूप से बाइडेन, मोदी, पिन्येरा जैसों द्वारा संचालित मौजूदा प्रणाली के लिए एक चुनौती है। इस साधारण अधिकार की माँग युद्ध भड़का सकती है, क्योंकि ये अधिकार सामाजिक संपत्ति पर ज़रा से लोगों के एकाधिकार को ख़त्म करने की माँग करता है।
चिली में “फुएरा पिन्येरा” या “पिन्येरा वापस जाओ” का नारा दिया जा रहा है; ये नारा पिन्येरा –और उस जैसों– द्वारा संचालित व्यवस्था के वापस जाने की माँग करता है।
स्नेह–सहित,
विजय।
मैं ट्राईकॉन्टिनेंटल हूँ:
डैनियल टिराडो, अंतर्क्षेत्रीय कार्यालय
सूचना प्रौद्योगिकी प्रबन्धक
मैं हमारी वेबसाइट को बेहतर बनाने और उसका विस्तार करने के लिए हमारे इंडिया ऑफ़िस की वेब टीम के साथ काम करता हूँ। हम जल्द ही दक्षिण अफ़्रीका और भारत के लिए क्षेत्रीय पेज शुरू करने जा रहे हैं और हम कार्ल मार्क्स की “पूँजी” पर ऑनलाइन कोर्स के लिए ऑडियोविज़ुअल सामग्री बना रहे हैं। इसके लिए हम पॉप्युलर एजुकेशन शिक्षकों और क्रांतिकारियों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम के साथ काम कर रहे हैं। हम पूँजी जैसे व्यापक विषय पर दुनिया के लोगों के लिए अनेकों भाषाओं में सामग्री कैसे बना सकते हैं? हम मिलकर इस प्रकार की चुनौतियों को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। मैं ऑनलाइन कार्यक्रमों के लिए ओपन–सोर्स विकल्प भी ढूँढ़ रहा हूँ, जिससे कि हम मुख्यधारा के प्लेटफ़ॉर्मों से अलग हट सकें।