प्यारे दोस्तों,
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।
गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. अशरफ अल–कुद्रा की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 7 अक्टूबर के बाद से गाज़ा में इजरायल के सशस्त्र बल 10,000 से अधिक फ़िलिस्तीनियों को मार चुके हैं। मारे गए लोगों में से लगभग आधे बच्चे हैं। इसके अलावा 25,000 से अधिक लोग घायल हैं, और हजारों लोग अभी भी मलबे में दबे हुए हैं। इज़रायली टैंकों ने गाज़ा शहर को घेरना शुरू कर दिया है। गाज़ा की आबादी एक महीने पहले 6,00,000 थी। लेकिन अब वहाँ के मुहल्ले ख़ाली पड़े हैं। हजारों फ़िलिस्तीनी नागरिकों को इजरायल मार चुका है। बचे हुए लोग गाज़ा के दक्षिण में स्थित शिविरों की तरफ भाग रहे हैं। गाज़ा शहर को सूचना व संचार से काटकर इज़रायल वहाँ घर–घर छापे मारने की तैयारी में है। अब उसका आतंक हवाई जहाज़ों तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि गली–गली में दस्तक दे रहा है। जिनके घर अभी उनके छापों से बचे हुए हैं, वे महमूद दरविश (1941-2008) की कविता गाते होंगे। यह कवित फिलिस्तीनी घर के दरवाजे को गिरने के लिए तैयार खड़े इजरायली सैनिक को संबोधित है:
तुम, जो हमारे दरवाजे की दहलीज पर खड़े हो,
अंदर आ जाओ और हमारे साथ अरबी कॉफ़ी पिओ
(शायद तुम्हें लगे कि तुम भी हमारी तरह इंसान हो)
तुम, जो हमारे दरवाजे की दहलीज पर खड़े हो,
हमारी सहरों से बाहर निकल जाओ
ताकि हमें भी लगे कि
हम भी तुम्हारी तरह इंसान हैं
जब इजरायली सैनिक घर–घर छापे मारेंगे तो वो कॉफी नहीं पी पाएँगे। इसलिए नहीं कि वहां कॉफी या पानी नहीं बचा है, बल्कि इसलिए क्योंकि इजरायली सैनिकों को बताया गया है कि फिलिस्तीनी इंसान नहीं हैं। उन्हें बताया गया है कि फ़िलिस्तीनी आतंकवादी और वहशी हैं। कब्ज़ा करने वाली ताकतों की नज़र में, फिलिस्तीनियों पर हमला करना, उनपर गोली चलाना, उनकी हत्या करना या उनका नामों–निशाँ मिटा देना ही उनका एकमात्र इलाज है। इज़रायली अधिकारियों के बयान और युद्ध में उनका रवैया नरसंहार और फिलिस्तीनियों के ख़ात्मे की भावनाओं से लैस है। यही कारण है कि लोगों की मौतों और युद्धविराम की बात को नज़रअंदाज कर दिया जाता है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के प्रवक्ता जेम्स एल्डर ने मौजूदा स्थिति के बारे में बोलते हुए कहा कि, ‘गाज़ा हजारों बच्चों के लिए कब्रगाह बन गया है। [और] बाकी सभी के लिए एक ज़िंदा नरक‘।
अमेरिका के उच्च अधिकारी एक तरफ़ ‘मानवीय विराम‘ की बात करते हैं, लेकिन साथ ही वे इजरायली सेना को अरबों डॉलर व हथियार पर हथियार दे रहे हैं। ‘मानवीय विराम‘ एक क़ानूनी ढकोसला है, जिसका गाज़ा–वासियों के अस्तित्व से कोई लेना–देना नहीं है: यह विराम थोड़े समय के लिए बमबारी को समाप्त कर सकता है, शायद सिर्फ़ कुछ घंटों के लिए, ताकि घायलों को हटाया जा सके और कुछ सहायता पहुंचाई जा सके, लेकिन इसके बाद गाजा में इजरायल की जानलेवा बमबारी को फिर हरी झंडी मिल जाएगी। अब तक, इज़रायल गाजा पर 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए दो बमों के कुल वजन से भी ज़्यादा टन विस्फोटक गिरा चुका है।
अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रायोजित युद्धविराम और राजनीतिक वार्ता की संभावना से फ़िलिस्तीन के मामले में पहली बार इनकार नहीं किया है। इससे पहले अमेरिका ने अपने उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सहयोगियों के साथ मिलकर यूक्रेन मामले में ऐसा ही किया था। यूक्रेन युद्ध के लिए 61.4 बिलियन डॉलर और फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ इज़रायली नरसंहार के लिए 14.1 बिलियन डॉलर के समेत उनका कुल पूरक व्यय 105 बिलियन डॉलर है (यह 2023 के लिए 858 बिलियन डॉलर के अंडर–रिपोर्टेड सैन्य बजट से अतिरिक्त व्यय है)। रूसी सैनिकों के यूक्रेन में प्रवेश करने के कुछ दिनों बाद बेलारूस और तुर्की में यूक्रेनी और रूसी अधिकारियों के बीच शांति वार्ता शुरू हो गई थी। लेकिन नाटो ने इन वार्ताओं को रोक दिया। युद्ध बढ़ता गया और अब तक इसमें लगभग 10,000 नागरिक मारे गए हैं। एक साल और आठ महीने के युद्ध के दौरान यूक्रेन में मरने वाले नागरिकों की संख्या से ज़्यादा नागरिक फिलिस्तीन में पिछले चार हफ़्तों में मारे जा चुके हैं।
यह कोई संयोग नहीं है कि ये तीन देश – अमेरिका, यूक्रेन और इज़राइल – ही एकमात्र ऐसे देश हैं जिन्होंने क्यूबा पर छह दशक से जारी अमेरिकी प्रतिबंध को समाप्त करने के लिए इस साल के वार्षिक संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं किया था। (यह प्रतिबंध औपचारिक रूप से 3 फरवरी 1962 को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा लगाया गया था लेकिन अनौपचारिक रूप से 1960 से ही शुरू हो गया था)। अमेरिका ने न केवल एक देश के रूप में क्यूबा पर, बल्कि एक प्रक्रिया के रूप में क्यूबा की क्रांति पर भी यह नाकाबंदी लागू की है। 1959 की क्यूबा क्रांति ने जोरदार ढंग से घोषणा की थी कि वह क्यूबा क्षेत्र की संप्रभुता की रक्षा करेगी और क्यूबा के लोगों की गरिमा को आगे बढ़ाएगी। अमेरिका ने इसे क्यूबा द्वीप पर अपने आपराधिक हितों के लिए ख़तरे के रूप में देखा। इसके अलावा क्यूबा की क्रांतिकारी प्रक्रिया के प्रसार की संभावना से अमेरिका को वैश्विक मामलों पर अपनी पकड़ खोने का ख़तरा भी सताने लगा। यदि क्यूबा अमेरिका के स्वामित्व वाले अंतरराष्ट्रीय निगमों की मांगों को मानने से पहले अपने लोगों की देखभाल करने और यहां तक कि अपने अधिकार के लिए लड़ने वाले दुनिया के अन्य लोगों के प्रति एकजुटता दिखाने में कामयाब होता, तो शायद अन्य देश भी इसी तरह का रास्ता अपनाने लगते। अन्य देशों द्वारा संप्रभु रास्ता अख्तियार करने की संभावना से डरकर क्यूबा के खिलाफ़ नाकाबंदी को सशक्त बनाया गया।
हालाँकि 1960 के बाद से नाकाबंदी के कारण क्यूबा की क्रांति में सैकड़ों अरब डॉलर का नुक़सान हुआ है, लेकिन फिर भी यह प्रतिबंध क्यूबाई क्रांति को जनता की गरिमा के निर्माण से नहीं रोक पाए हैं। उदाहरण के लिए, विश्व बैंक के अनुसार 2020 में, कठोर नाकाबंदी और कोविड–19 महामारी के बावजूद, क्यूबा की सरकार ने अपने सकल घरेलू उत्पाद का 11.5% हिस्सा शिक्षा पर खर्च किया, जबकि अमेरिका ने केवल 5.4% हिस्सा खर्च किया था। क्यूबा के बच्चों के लिए न केवल स्कूली शिक्षा मुफ़्त है, बल्कि क्यूबा के सभी बच्चों को स्कूल में भोजन भी मिलता है और वर्दी भी। क्यूबा में चिकित्सा शिक्षा भी मुफ़्त है। यही कारण है कि प्रत्येक 1,000 क्यूबा–वासियों के लिए 8.4 चिकित्सक और 7.1 नर्सें मौजूद हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा में क्यूबा के विदेश मंत्री ब्रूनो रोड्रिग्ज पैरिला ने कहा कि ‘लोगों पर ध्यान देना क्यूबा सरकार की प्राथमिकता रही है और हमेशा रहेगी।‘ उन्होंने कहा, नाकाबंदी ‘आर्थिक युद्ध‘ हो सकता है, लेकिन क्यूबा की क्रांति – जिसने दशकों से इस ‘आर्थिक घेराबंदी‘ का सामना किया है – हार नहीं मानेगी। यह मजबूती से खड़ी रहेगी।
नाकाबंदी क्रूरता है। विदेश मंत्री रोड्रिग्ज पैरिला ने उस क्रूरता के कुछ उदाहरण पेश किए, जैसे कि जब अमेरिकी सरकार ने क्यूबा (व कई अन्य लैटिन अमेरिकी देशों) को पल्मोनरी वेंटिलेटर और ऑक्सीजन का आयात करने से रोका था। लेकिन इसके जवाब में, क्यूबा के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने अपने स्वयं के वेंटिलेटर विकसित किए। उन्होंने कोविड–19 के टीके भी खुद बनाए थे। रोड्रिग्ज पैरिला ने कहा कि, महामारी के दौरान, अमेरिकी सरकार ने अन्य देशों को मानवीय छूट की पेशकश की, लेकिन क्यूबा को इससे महरूम कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘वास्तविकता यह है कि अमेरिकी सरकार ने अवसरवादी रूप से क्यूबा के प्रति अपनी शत्रुतापूर्ण नीति में कोविड–19 [महामारी] का उपयोग एक सहयोगी के रूप में किया।‘
दरविश ने इजरायली सैनिकों से मानवता के बारे में पूछा था कि क्या वे फ़िलिस्तीनियों को इंसान के रूप में देखने में सक्षम हैं। क्यूबा पर नाकाबंदी करने वाले अमेरिका के सरकारी अधिकारियों से भी यही पूछा जाना चाहिए: क्या वे क्यूबावासियों को इंसान के रूप में देखने में सक्षम हैं?
इस साल जून में, पेरिस पोएट्री मार्केट ने अपने 2023 के काव्य महोत्सव के लिए क्यूबा की कवयित्री नैन्सी मोरेजोन को मानद अध्यक्ष बनने का आमंत्रण भेजा था। कार्यक्रम से ठीक पहले आयोजकों ने यह आमंत्रण रद्द कर दिया और कहा कि वे ‘दबाव‘ और ‘अफवाहों‘ के चलते ऐसा कर रहे हैं। क्यूबा के विदेश मंत्रालय ने इसे ‘क्यूबाई संस्कृति के प्रति फासीवादी नफरत की घेराबंदी‘ कह कर इसकी निंदा की। नैन्सी मोरेजोन की कविता ‘बायें हाथ के लिए शोक गीत‘ पढ़ें। यूँ लगता है कि वो दरविश की मानवता और क्यूबा के संगीतकार मार्टा वाल्डेस (जिन्हें यह कविता समर्पित है) की लय के साथ संवाद कर रही हैं:
मानचित्र पर उन सभी
क्षैतिज, ऊर्ध्वाधर, [या] विकर्ण रेखाओं का पता लगाया जा सकता है
जो ग्रीनविच मेरिडियन से मैक्सिको की खाड़ी तक
कमोबेश
हमारी विशिष्टता को दर्शाती हैं
आपकी कल्पना में
बड़े–बड़े नक्शे
और पृथ्वी के अनंत ग्लोब भी होंगे
मार्ता
लेकिन आज मुझे लगता है कि
स्कूल की नोटबुक के काग़ज़ पर बना
सबसे छोटा, सबसे सूक्ष्म मानचित्र
पूरे के पूरे इतिहास को अपने में समेटने के लिए पर्याप्त होगा।
स्नेह–सहित,
विजय।