प्रेम बिना जी रहे हैं हज़ारों लोग, पानी बिना कोई नहीं जी सकता: 14वां न्यूज़लेटर (2024)
प्यारे दोस्तो
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।
नवंबर 2023 तक यह स्पष्ट हो गया था कि इज़रायली सरकार ने ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनियों को पानी से वंचित करना शुरू कर दिया था। सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता के मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत पेड्रो अरोजो–अगुडो ने कहा कि, ‘इज़रायल द्वारा ग़ज़ा पट्टी में साफ़ पेयजल के प्रावधान को रोकना अंतरराष्ट्रीय कानून का खुला उल्लंघन है, जिसके चलते हर घंटे ग़ज़ावासियों के लिए प्यास से मरने और सुरक्षित पेयजल की कमी से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है‘। उन्होंने कहा कि ‘इज़रायल को पानी को युद्ध के हथियार के रूप में इस्तेमाल करना बंद करना चाहिए‘। ग़ज़ा पर इज़रायल के हालिया हमले से पहले ही ग़ज़ा के एकमात्र तटीय जलभृत में 97 प्रतिशत पानी विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के आधार पर मानव उपभोग के लिए असुरक्षित था। अपने हमलों के दौरान, इज़रायल ने ग़ज़ा की जल शोधन (वॉटर प्यूरिफ़िकेशन) प्रणाली को लगभग नष्ट कर दिया है और पानी साफ़ करने के लिए आवश्यक सामग्रियों और रसायनों के प्रवेश पर रोक लगा दी है।
अक्टूबर 2023 की शुरुआत में, इज़रायली अधिकारियों ने संकेत दिया कि वे नरसंहार को अंजाम देने के लिए ग़ज़ा की जल प्रणालियों पर अपने नियंत्रण को हथियार के रूप में इस्तेमाल करेंगे। सीमा पर सरकारी गतिविधियों के समन्वय (सीओजीएटी) के प्रमुख, इज़रायली मेजर जनरल घसान एलियन ने 10 अक्टूबर को कहा था कि, ‘मानव रूपी जानवरों के साथ तदनुसार व्यवहार किया जाता है। इज़राइल ने ग़ज़ा पर पूर्ण नाकेबंदी लागू की है। न मिलेगी बिजली, न मिलेगा पानी, बस तबाही होगी। तुम नर्क चाहते थे, तुम्हें नर्क मिलेगा‘। 19 मार्च को, फ़िलिस्तीन के लिए संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादी समन्वयक जेमी मैकगोल्ड्रिक ने कहा कि ग़ज़ा को ‘जल और स्वच्छता प्रणालियों के लिए स्पेयर पार्ट्स‘ के साथ–साथ ‘वॉटर ट्रीटमेंट रसायनों‘ की आवश्यकता है, क्योंकि ‘इन महत्वपूर्ण वस्तुओं की कमी कुपोषण संकट के प्रमुख कारकों में से एक है‘। ‘कुपोषण संकट‘ अकाल के बारे में बात करने का एक तरीका है।
ऑक्सफैम और इंटेग्रेटेड फ़ूड सिक्यूरिटी फ़ेज़ क्लासिफ़िकेशन के अनुसार, ग़ज़ा की पूरी आबादी ‘वर्तमान में उच्च स्तर की तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है‘। ग़ज़ा पर हो रहे हमलों ने दुनिया की आबादी के सामने खड़ी दुविधाओं को और तीखा कर दिया है। विश्व जल दिवस (22 मार्च) पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट से पता चलता है कि, 2022 में 2.2 अरब लोगों की सुरक्षित पेयजल तक पहुंच नहीं थी, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक पांच में से चार लोगों के पास बुनियादी पेयजल की कमी थी, और 3.5 अरब लोगों की सफाई व्यवस्था तक पहुँच नहीं थी। जिसके परिणामस्वरूप, हर दिन, पांच वर्ष से कम उम्र के एक हजार से अधिक बच्चे अपर्याप्त पानी, और स्वच्छता की कमी से जुड़ी बीमारियों से मर जाते हैं। ये बच्चे उन 14 लाख लोगों में शामिल हैं जो हर साल इन कमियों के कारण मर जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि, चूंकि महिलाएं व लड़कियां पानी की प्राथमिक संग्रहकर्ता हैं, इसलिए जल की अपर्याप्त उपलब्धता या बुनियादी ढांचे की गैर–मौजूदगी या जलवायु परिवर्तन के चलते आने वाले सूखे के कारण जब जल व्यवस्था खराब हो जाती है, तो वे पानी ढूंढने में अधिक समय बिताती हैं। इसके परिणामस्वरूप लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर में वृद्धि हुई है।
यूएन विमन द्वारा 2023 में किए गए एक अध्ययन में महिलाओं और लड़कियों के लिए जल संकट के खतरों का वर्णन किया गया है:
सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता तक पहुंच में असमानताएं सभी को समान रूप से प्रभावित नहीं करती हैं। उदाहरण के लिए, माहवारी के दौरान प्राइवेसी की अधिक आवश्यकता का मतलब है कि जिन महिलाओं, लड़कियों व अन्य लोगों को मासिक धर्म होता है, वे उन लोगों की तुलना में साझा स्वच्छता सुविधाओं तक कम पहुंच पाते हैं, जिन्हें माहवारी नहीं होती, जिससे मूत्र एवं प्रजनन पथ के संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। जहां सुरक्षित और संरक्षित सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, वहाँ सुविधाओं का उपयोग करने के विकल्प अक्सर सुबह और शाम तक ही सीमित होते हैं, जहां उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ता है।
ढाका (बांग्लादेश), जहां 200,000 लोगों के लिए केवल एक सार्वजनिक शौचालय है, जैसे दुनिया भर के कई शहरों में सार्वजनिक शौचालयों तक पहुंच की कमी अपने आप में महिलाओं के लिए एक गंभीर खतरा है।
जलवायु आपदा के कारण पीने के पानी तक पहुंच और भी सीमित हो रही है। उदाहरण के लिए, गर्म होते महासागर का अर्थ है ग्लेशियरों का पिघलना, जो समुद्र स्तर को ऊपर उठाएगा और जिसके चलते खारे पानी से भूमिगत जलभृत दूषित होते जाएँगे। इसके साथ ही, कम बर्फबारी के कारण जलाशयों में पानी कम हो गया है, जिसका मतलब है कि पीने और कृषि में उपयोग करने के लिए पानी कम हो गया है। संयुक्त राष्ट्र जल रिपोर्ट से पता चलता है, बढ़ते सूखे की घटनाएँ अब कम से कम 1.4 अरब लोगों को सीधे प्रभावित कर रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया की आधी आबादी साल के कम से कम कुछ हिस्से में पानी की गंभीर कमी का अनुभव करती है, जबकि एक चौथाई को पानी के तनाव के ‘अत्यंत उच्च‘ स्तर का सामना करना पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि, ‘जलवायु परिवर्तन से इन घटनाओं की आवृत्ति और गंभीरता में वृद्धि होने का अनुमान है, जिससे सामाजिक स्थिरता के लिए गंभीर जोखिम खड़े होंगे।‘ सामाजिक स्थिरता का मुद्दा महत्वपूर्ण है, क्योंकि सूखा लाखों लोगों को पलायन और भुखमरी के लिए मजबूर कर रहा है।
जलवायु परिवर्तन निश्चित रूप से जल संकट का एक प्रमुख कारक है, लेकिन नियम–आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था भी एक अहम कारक है। पूंजीवादी सरकारों को जल संकट पैदा करने में उनकी ज़िम्मेदारी से बचने के बहाने के रूप में जलवायु परिवर्तन की अनैतिहासिक धारणा पर उँगली उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उदाहरण के लिए, पिछले कई दशकों में, दुनिया भर की सरकारों ने अपशिष्ट जल उपचार सुविधाओं को बेहतर बनाने पर ध्यान नहीं दिया है। नतीजतन, 42% घरेलू अपशिष्ट जल का उचित उपचार नहीं किया जाता, जो पारिस्थितिक तंत्र और जलभृतों को नुकसान पहुंचाता है। इससे भी अधिक हानिकारक तथ्य यह है कि केवल 11% घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग किया जा रहा है।
अपशिष्ट जल उपचार में निवेश बढ़ने से जल स्रोतों में प्रवेश करने वाले प्रदूषण की मात्रा कम हो जाएगी और ग्रह पर हमारे लिए उपलब्ध मीठे पानी का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा। ऐसी कई नीतियां हैं जिन्हें जल संकट से तुरंत निपटने के लिए अपनाया जा सकता है, जैसे कि तटीय मैंग्रोव और आर्द्रभूमि की रक्षा; वर्षा जल संरक्षण; अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग; और भूजल संरक्षण के लिए यूएन वॉटर द्वारा प्रस्तावित नीतियां। लेकिन यह नीतियां पूंजीवादी फर्मों को मंज़ूर नहीं हैं, क्योंकि उनके मुनाफ़ों की गिनती प्रकृति के विनाश से बढ़ती है।
<डोजियर नं. 2>
मार्च 2018 में, हमने अपना दूसरा डोसियर ‘सिटीज़ विदआउट वॉटर‘ प्रकाशित किया था। छह साल पहले हमने जो दिखाया था, उस पर विचार करना आज भी सार्थक है:
जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल का तकनीकी पेपर VI (आईपीसीसी, जून 2008) जलवायु परिवर्तन एवं जल पर केंद्रित है। इस दस्तावेज़ में वैज्ञानिक सहमति यह है कि – कार्बन–सघन पूंजीवाद से प्रेरित – मौसम पैटर्न में बदलाव जल चक्र पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। जिन क्षेत्रों में अधिक वर्षा होगी, वहां वर्षा के वेग के कारण अधिक भूजल नहीं एकत्र हो पाएगा, क्योंकि महासागरों में पानी का तेजी से प्रवाह हो जाएगा। ऐसी उच्च वेग वाली वर्षा न तो जलभरों (प्राकृतिक जल स्रोतों) को भरती है, न ही मनुष्यों को जल संग्रहण की अनुमति देती है। वैज्ञानिक भूमध्यसागर और दक्षिणी अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में सूखे की उच्च दर की भी भविष्यवाणी कर रहे हैं। यह वह तकनीकी रिपोर्ट है जिसने यह संख्या सामने रखी है कि एक अरब से अधिक लोग पानी की कमी से पीड़ित होंगे।
पिछले एक दशक से, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम जल–गहन जीवनशैली के बढ़ने और जल प्रदूषण के बारे में चेतावनी दे रहा है। ये दोनों – जीवनशैली और प्रदूषण – पूरे ग्रह पर पूंजीवादी सामाजिक संबंधों और पूंजीवादी उत्पादक तंत्र के प्रसार के परिणाम हैं। जीवनशैली के संदर्भ में, संयुक्त राज्य अमेरिका में औसत निवासी प्रति दिन 300 से 600 लीटर पानी की खपत करता है। यह एक भ्रामक आंकड़ा है। इसका मतलब यह नहीं है कि एक व्यक्ति इतनी अधिक मात्रा में पानी का सेवन करते हैं। इस पानी का अधिकांश उपयोग जल–सघन कृषि और ऊर्जा उत्पादन सहित जल–सघन औद्योगिक उत्पादन में किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) बुनियादी स्वच्छता और भोजन तैयार करने के लिए प्रति व्यक्ति प्रति दिन 20 लीटर पानी के उपयोग की सिफारिश करता है। दोनों के बीच का अंतर आकस्मिक नहीं है। जल–गहन जीवनशैली में – वॉशिंग मशीन और डिशवॉशर का उपयोग, कारों की धुलाई व बगीचों में पानी, और साथ ही कारखानों व फैक्ट्री फार्मों में पानी का उपयोग आदि शामिल है।
जल प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। एस्क्वेल, अर्जेंटीना में, लोगों ने देखा कि कॉर्पोरेट सोना खदान से निकलने वाले प्रदूषक उनके पीने के पानी को बर्बाद कर रहे थे। उन्होंने ‘पानी की कीमत सोने से भी अधिक है‘ (एल अगुआ वेले मास क्यू एल ओरो) का नारा दिया। खनन निगमों द्वारा निष्कर्षण (में साइनाइड के उपयोग) और कृषि व्यवसाय (में उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग) की क्रूर तकनीकों ने स्वच्छ पानी के भंडार को बर्बाद कर दिया है। एस्क्वेल के लोगों का कहना है कि उनका नीला सोना असली सोने से ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने 2003 में एक सार्वजनिक सभा आयोजित की जिसमें निजी निगमों के हितों के विरुद्ध उन्होंने पानी पर अपना अधिकार जताया।
यह बताया जाना चाहिए कि WHO के अनुसार प्रतिदिन 4.7 बिलियन लोगों के इस्तेमाल के लिए कम से कम 9.5 बिलियन लीटर पानी की आवश्यकता होती है – जबकि इतना पानी दुनिया के गोल्फ कोर्सों में हर दिन इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के लिए, थाईलैंड के 60,000 गाँवों द्वारा उपयोग किया जाने वाला पानी, थाईलैंड में एक गोल्फ कोर्स में इस्तेमाल होने वाले पानी के बराबर है। ये हमारी वर्तमान व्यवस्था की प्राथमिकताएँ हैं।
दूसरे शब्दों में, पानी की कमी के कारण हर दिन मरने वाले पांच साल से कम उम्र के हजारों बच्चों को पाइप से पानी उपलब्ध कराने की बजाए गोल्फ कोर्स में पानी पहुँचना अधिक महत्वपूर्ण है। यही पूंजीवादी व्यवस्था के मूल्य हैं।
स्नेह–सहित,
विजय।