किलेबंदी के लिए बाक़ी है बस एक रात: अड़तीसवाँ न्यूज़लेटर (2024)
हाल ही में दिए गए संकेतों से पता चलता है कि नाटो यूक्रेन को रूसी क्षेत्र पर हमला करने के लिए पश्चिमी देशों द्वारा प्रदान की गई मिसाइलों का उपयोग करने की अनुमति दे सकता है। इससे टकराव और गहरा ही होगा।
प्यारे दोस्तो,
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन
13 सितंबर को वाशिंगटन, डीसी में एक संगोष्ठी में यूएस राष्ट्रपति जो बाइडन और यूके के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने संकेत दिए कि पश्चिम द्वारा दी गई मिसाइलों से यूक्रेन का रूस के भीतरी इलाक़ों में हमला भी उन्हें मंज़ूर होगा। इस बारे में कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन काफी हद तक साफ़ है कि उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की अंदरूनी बातचीत किस ओर जा रही है। वोटरों में 22% अप्रूवल रेटिंग वाले स्टार्मर के लंदन वापस आने के बाद उनके विदेश सचिव डेविड लैमी ने प्रेस को बताया कि उनकी सरकार यूके द्वारा यूक्रेन को मुहैया करवाए स्टॉर्म शैडो मिसाइल का इस्तेमाल रूस के भीतर करने पर लगे प्रतिबंधों को ख़त्म करने के लिए बाक़ी सहयोगियों से बातचीत कर रही है। यूके सेना के एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी सर जॉन मक्कोल ने इससे भी आगे बढ़कर कहा कि ये मिसाइलें आख़िरकार रूस के खिलाफ़ इस्तेमाल होंगी, लेकिन फिर भी सिर्फ़ इनके बूते यूक्रेन ख़ुद को बचाए नहीं रख सकता। दूसरे शब्दों में कहें तो यह जानते हुए कि इन मिसाइलों से लड़ाई में कोई बदलाव नहीं आएगा फिर भी ये लोग (बायडन, स्टार्मर और मक्कोल) इस तनाव को और गहरा करने का जोख़िम उठाने को तैयार हैं।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने दुनिया के सियासतदानों से चर्चा के केंद्र में पश्चिम द्वारा दी गई मिसाइलों को रखा है और यह दावा किया है कि अगर स्टॉर्म शैडो (यूके से प्राप्त), स्कैल्पस् (फ़्रांस से प्राप्त) और एटीएसीएमएस (यूएस से मिली) मिसाइलों के इस्तेमाल से रूस की ज़मीन पर स्थित सैन्य अड्डों पर हमला मुमकिन है। नाटो सदस्यों ने ये तीन मिसाइल सिस्टम पहले ही यूक्रेन को मुहैया करवा दिए हैं। अब अगर नाटो इनके इस्तेमाल करने की मंज़ूरी दे देता है तो इससे संकट काफ़ी गहरा जाएगा: अगर यूक्रेन इन मिसाइलों का इस्तेमाल रूस के खिलाफ़ करता है और बदले में रूस उन देशों पर हमले करता है जिन्होंने ये मिसाइल दिए हैं, तो नाटो चार्टर (1949) का अनुच्छेद 5 लागू किया जा सकता है जिससे सभी नाटो सदस्य सीधे तौर पर युद्ध में शामिल हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में कई परमाणु हथियारों से लैस देश (यूएस, यूके , फ़्रांस और रूस) की उंगलियाँ परमाणु हथियारों पर आ टिकेंगी और इससे पूरी दुनिया एक आग की भट्ठी में जलकर ख़त्म हो सकती है।
दिसंबर 2021 में रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच बातचीत की एक शृंखला चली, उस वक़्त भी यूक्रेन के साथ हुआ यह तनाव रोका जा सकता था। बातचीत के उस दौर का सार जान लेने से इस तनाव में अंतर्निहित मुद्दे उजागर हो सकते हैं:
1. दिसंबर 2021. यूएस राष्ट्रपति जो बाइडन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच दो घंटे लंबी विडियो बातचीत हुई। व्हाइट हाउस की एक पैराग्राफ भर की विज्ञप्ति में पूरा ध्यान यूक्रेन की सीमा पर रूसी सैनिकों की गतिविधियों पर था। क्रेमलिन की विज्ञप्ति थोड़ी लंबी थी और उसमें एक बात का ज़िक्र था जो यूएस ने नज़रंदाज़ कर दी थी: ‘व्लादिमीर पुतिन ने सारी ज़िम्मेदारी रूस पर डालने के खिलाफ़ चेतावनी दी जबकि नाटो यूक्रेन की क्षेत्रीय सीमाओं में पैर जमाने की कोशिश कर रहा था और रूसी सरहद पर अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने की कोशिश कर रहा था। इसी वजह से रूस प्रामाणिक और कानूनी तौर पर गारंटी हासिल करना चाहता है जिससे नाटो का पूर्वी दिशा में विस्तार और रूस के पड़ोसी देशों में हमलावर हथियारों की तैनाती की आशंका को ख़त्म किया जा सके’।
2. 15 दिसंबर 2021. रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रायबकोव अमेरिका के स्टेट्स फॉर यूरोपियन एण्ड यूरेशियन अफेयर्स के उप मंत्री केरन डोनफ्राइड से मास्को में मिले। इस मुलाक़ात के बाद छपी रूस की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि ‘यूएस और नाटो द्वारा यूरोपीय सेना और राजनीतिक परिस्थिति को अपने पक्ष में करने के प्रयासों के संदर्भ में सुरक्षा गारंटियों को लेकर उनकी तफ़सील से चर्चा हुई है’।
3. 17 दिसंबर 2021. रूस ने अपने और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच हुई एक संधि का ड्राफ्ट और नाटो के साथ हुए एक समझौते का ड्राफ्ट जारी किया। दोनों ही दस्तावेज़ों से साफ था कि रूस सिर्फ सुरक्षा गारंटी चाहता था कि पश्चिम के साथ अपनी यथास्थिति पर किसी तरह का ख़तरा नहीं होगा। इन दस्तावेज़ों में मिसाइलों और परमाणु हथियारों को लेकर स्पष्ट और ज़रूरी वक्तव्य हैं। संधि का ड्राफ्ट कहता है कि न तो यूएस और न ही रूस ‘अपनी राष्ट्रीय सीमाओं के बाहर या भीतर ऐसी जगहों पर ज़मीन से दाग़ी जाने वाली मध्यवर्ती और कम दूरी की मिसाइलों को तैनात करे जहाँ से दूसरे पक्ष पर हमला किया जा सकता है’ (अनुच्छेद 6) तथा दोनों ही पक्ष ‘अपनी राष्ट्रीय सीमाओं के बाहर परमाणु हथियार तैनात करने से बचेंगे’ (अनुच्छेद 7)। नाटो के साथ समझौते के ड्राफ्ट में कहा गया है कि नाटो का कोई भी देश ‘ज़मीन से दाग़ी जाने वाली मध्यवर्ती और कम दूरी की मिसाइल ऐसे इलाक़ों में तैनात करने से बचेगा जहाँ से वे दूसरे पक्षों के क्षेत्रों तक पहुँच सकें’। (अनुच्छेद 5)।
4. 23 दिसंबर 2021. अपने सालाना सम्मेलन में पुतिन ने एक बार फिर नाटो के पूर्व में बढ़ने और रूसी सीमा के पास हथियार तैनात करने के ख़तरे को लेकर रूस की चिंता ज़ाहिर की: ‘जैसा कि मैंने पहले कई बार दोहराया है और आप सब भी यह जानते हैं। हमें याद है कैसे 90 के दशक में हमसे वायदा किया गया था कि [नाटो] एक इंच भी पूर्व की ओर नहीं बढ़ेगा। आपने हमें बेशर्मी से धोखा दिया है: नाटो के विस्तार की पाँच लहर आ चुकी हैं और अब जैसा कि मैंने बताया रोमानिया में हथियार तैनात हो चुके हैं और पोलैंड में इसकी तैयारी हाल ही में शुरू हो चुकी है। यही तो हम कह रहे हैं, क्या आपको ये सब दिख नहीं रहा? हम किसी को धमकी नहीं दे रहे। क्या हमने यूएस की सीमाओं की ओर बढ़ने की कोशिश की? या फिर ब्रिटेन या किसी और देश की सीमाओं की ओर? ये तो आप हैं जो हमारी सरहद के पास आ गए हैं और अब आप कह रहे हैं कि यूक्रेन नाटो का सदस्य भी बन जाएगा। या अगर वह नाटो में शामिल न भी हो तो भी द्विपक्षीय समझौतों के आधार पर वहाँ सैन्य अड्डे और हथियार तैनात किए जाएंगे’।
5. 30 दिसंबर 2021. बाइडन और पुतिन ने स्थिति ख़राब होने को लेकर फोन पर बात की। इस बारे में क्रेमलिन ने जो सार पेश किया वो व्हाइट हाउस द्वारा जारी ब्योरे से ज़्यादा विस्तृत था इसलिए वो ज़्यादा उपयोगी भी था। जैसा कि उसमें बताया गया पुतिन ने ‘इस बात पर ज़ोर दिया कि बातचीत में नाटो के पूर्व की ओर विस्तार और रूस की सीमाओं के आसपास उसको ख़तरा पैदा करने वाले हथियारों की तैनाती को रोकने के लिए ठोस व कानूनी रूप से बाध्यकारी गारंटी देने की जरूरत है।‘
24 फ़रवरी 2022 को रूसी सेना यूक्रेन में दाख़िल हो गई।
रूस अपनी सुरक्षा गारंटी को लेकर तब से ही चिंतित है जबसे यूएस ख़तरनाक हथियारों की नियंत्रण व्यवस्था से एकतरफ़ा तौर पर पीछे हटने लगा। यूएस द्वारा 2001 में 1972 की एंटी बलिस्टिक मिसाइल ट्रीटी से अलग होना और 2019 में 1987 की मध्य दूरी परमाणु शक्ति संधि का निरस्तीकरण , पीछे हटने के स्पष्ट उदाहरण हैं। इन संधियों को ख़त्म करना और रूस की उसकी सुरक्षा गारंटी को लेकर की जा रही अपील को न पहचानना – इसके साथ ही युगोस्लाविया, अफ़ग़ानिस्तान और लीबिया में नाटो की आक्रामकता – ने मास्को की चिंता बढ़ा दी कि शायद पश्चिम यूक्रेन में या बाल्टिक राष्ट्रों में कम दूरी की मिसाइलें तैनात करने में कामयाब हो जाएगा, जिससे वे देश रूस के पश्चिमी शहरों पर हमला कर सकेंगे और रूस अपने बचाव में कुछ नहीं कर पाएगा। यही पश्चिम के साथ बातचीत में रूस का मुख्य बिंदु रहा है। दिसंबर 2021 में रूस ने जो संधियाँ पश्चिम के सामने रखी थीं, उन्हें गंभीरता से लिया गया होता तो हम आज इस स्थिति में न होते, जहाँ पश्चिमी देश रूस के ख़िलाफ़ नाटो की मिसाइलें इस्तेमाल करने पर चर्चा कर रहे हैं।
ऐक्यूरसी नाम की एक कंसलटिंग कंपनी का एक नया अध्ययन बताता है कि इस लड़ाई से यूएस और यूरोप की हथियार बेचने वाली कंपनियों को बेहद फ़ायदा हुआ है, फ़रवरी 2022 से हथियार बेचने वाली मुख्य कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइज़ेशन 59.7% बढ़ गया है। सबसे ज़्यादा मुनाफ़ा हुआ है हनीवेल (यूएस), राइनमेटल (जर्मनी), लियोनार्डो (इटली), बीएई सिस्टम्स (यूके), दस्साल्ट ऐवीऐशन (फ़्रांस), थेल्स (फ़्रांस), कॉनसबर्ग ग्रुपपेन (नॉर्वे) और साफ़रां (फ़्रांस)। हन्टिंगटन इंगल्स, लॉकहीड मार्टिन, जनरल डाइनैमिक्स और नॉर्थअप ग्रूमन जैसी यूएस की कंपनियों का मुनाफ़ा भी बढ़ा लेकिन उसका प्रतिशत इतना ज़्यादा नहीं था क्योंकि उनके पूर्ण मुनाफ़े पहले से ही बेहद ऊँचे स्तर पर थे। नाटो के ये मौत के सौदागर तो बेहिसाब मुनाफ़ा कमाते रहे और दूसरी तरफ़ इन देशों की जनता ईंधन और खाद्य पदार्थों के ऊँचे दामों की वजह से संकट झेलती रही।
शायद इस पूरी बहस की सबसे क्रूर विडंबना है कि यूक्रेन को रूस पर हमला करने की अनुमति से कोई सैन्य लाभ नहीं होगा। सबसे पहले तो रूस के हवाई सैन्य अड्डे अब इन मिसाइलों की रेंज से बाहर कर दिए गए हैं और दूसरी बात यह कि यूक्रेन के पास मिसाइलों की आपूर्ति कम है। संभावित परमाणु युद्ध का ख़तरा बढ़ा है यूएस के दो हालिया वक्तव्यों से। अगस्त में यूएस प्रेस ने रिपोर्ट किया कि बाइडन प्रशासन ने एक गुप्त मेमरैन्डम तैयार किया है जिसमें यूएस द्वारा चीन, उत्तर कोरिया और रूस के ख़िलाफ़ युद्ध के लिए परमाणु हथियार तैयार करने की बात कही गई है। यह ख़बर जून की एक अन्य रिपोर्ट के बाद आई कि यूएस अपनी परमाणु शक्तियों के विस्तार के बारे में सोच रहा है।
यह सब इस महीने होने वाली संयुक्त राष्ट्र की 79वीं जनरल असेंबली की बैठक की पृष्ठभूमि है, जहाँ सदस्य राष्ट्र एक नए ग्लोबल कम्पैक्ट पर चर्चा करेंगे। इस कम्पैक्ट के मसौदे में ‘शांति’ शब्द सौ बार से ज़्यादा इस्तेमाल किया गया है, लेकिन हमें तो जो शोर सुनाई दे रहा है वह सिर्फ़ युद्ध, युद्ध और युद्ध का है।
किशोरावास्था में मैं अक्सर कोलकाता के गोर्की सदन थिएटर जाता था और सोवियत निर्देशक आंद्रे तारकोव्स्की की फिल्में देखता, जिनमें ज़िंदगी और बेहतर होने की इच्छा पर चिंतन मिलता था। इनमें से ही एक फिल्म ‘मिरर’ (1975) युद्ध की विभीषिका के बारे में है। यह फिल्म निर्देशक के पिता अरसनी तारकोव्स्की की एक कविता पर आधारित है। यूक्रेन में जैसे–जैसे तनाव बढ़ रहा है, तारकोव्स्की की कविता ‘शनिवार, 21 जून’ (इसके अगले दिन नाज़ी जर्मनी ने 1941 में सोवियत रूस पर हमला किया था) हमें युद्ध के बढ़ते ख़तरों से आगाह करती है:
किलेबंदी के लिए बाक़ी है बस एक रात,
हमारी मुक्ति की आशा है मेरे हाथ।
मैं अतीत के लिए तड़प रहा हूँ; कि आगाह कर सकूँ
उन्हें जो इस युद्ध में मारे जाने के लिए हैं अभिशप्त।
सड़क पार से एक व्यक्ति सुनता है मेरा रुदन,
‘आ जाओ इधर, अभी और मृत्यु से जाओ बच’।
मैं जान जाऊँगा किस घड़ी युद्ध करेगा वार
कौन बचेगा कैम्पों में और कौन होगा ख़्वार।
कौन होंगे नायक जो पाएंगे पुरस्कार,
और कौन होंगे छलनी गोलियों से कतार दर कतार।
मैं देख रहा हूँ स्टालिनग्राड में बर्फ़, पटी हुई
दुश्मन सिपाहियों के शवों से।
हवाई हमलों की गर्त में दिख रहा है मुझे बर्लिन
रूसी पैदल सेना घुसी जा रही करते कदमताल।
दुश्मन का हर दाँव मैं पहले ही जान जाता हूँ
खुफ़िया विभाग से भी बहुत पहले
और मैं करता रहता हूँ विनती, पर सुनता नहीं कोई।
राहगीर ले रहे हैं खुली हवा में साँस,
जून की गर्मी के फूलों का लेते हुए लुत्फ़,
हैं सब आने वाले ख़तरे से बिल्कुल अनजान।
एक और हरकत – और मेरी आँखें गईं,
नहीं मालूम कब और कैसे मैं आ पहुँचा यहाँ।
मेरा ज़हन है खाली। मैं चमकीले आसमान को देखता हूँ,
मेरी खिड़की पर नहीं लगे हैं अभी जाल।
सस्नेह,
विजय