प्यारे दोस्तों,
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।
वेनेज़ुएला के नेशनल असेंबली इलेक्शन से एक रात पहले राष्ट्रपति निकोलस मदुरो काराकस के मिराफ़्लोरेस पैलेस में कुछ आगंतुकों से मिले। इस बातचीत के दौरान उन्होंने याद करते हुए बताया कि 1999 में गठित हुई संविधान सभा का सदस्य रहते हुए कैसे उन्होंने वेनेज़ुएला की राजनीतिक प्रणाली का क़ानूनी ढाँचा तैयार किया। मदुरो ने उनसे मिलने आए आगंतुकों को बताया कि वे पहली और दूसरी (क्रमशः 2000-2005 और 2005-2010) नेशनल असेंबली के सदस्य थे, और वे दूसरी नेशनल असेंबली के अध्यक्ष थे जब उन्हें विदेश मंत्री का पद सँभालने को कहा गया था। चौथी नेशनल असेंबली (2015-2020) के चुनाव के दौरान, सोशलिस्ट यूनिटी पार्टी ऑफ़ वेनेज़ुएला (पीएसयूवी), जिसके वे नेता हैं, बहुमत खो बैठी थी। ऐसा इसलिए हुआ ‘क्योंकि हमने ग़लतियाँ की थी‘, उन्होंने मुझे बताया। ‘इसे मानने में मुझे कोई झिझक नहीं है।’
जब काराकस में चौथी नेशनल असेंबली ने कार्यभार संभाला, तो संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार और वेनेज़ुएला की दक्षिणपंथी पार्टियों ने मदुरो सरकार और बोलीवियाई क्रांति को भंग करने के लिए इसका इस्तेमाल किया। अमेरिकी सरकार और वेनेज़ुएला में विपक्ष के सबसे प्रतिक्रियावादी दलों ने, नेशनल असेंबली के भीतर से एक अंजान नेता जुआन गुएडो को चुना और वेनेज़ुएला की राजनीति को अनुचित ठहराने के साधन के रूप में उसका प्रयोग किया। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो की घोषणाओं के आधार पर, अमेरिका के विदेश मामलों के विभाग ने बेहद विचित्र तरीक़े से गुएडो को वेनेज़ुएला का राष्ट्रपति घोषित कर दिया। हालाँकि राष्ट्रपति मदुरो की सरकार को उखाड़ फेंकने के उनके सभी प्रयास विफल रहे, लेकिन बढ़ते प्रतिबंधों और देश के बाहर वेनेज़ुएला की परिसंपत्ति को जबरन ज़ब्त करने की कोशिशों ने वेनेज़ुएला के लोगों और देश की संप्रभुता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
वेनेज़ुएला के संविधान के अनुसार, दिसंबर 2020 में चौथी नेशनल असेंबली का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा, इसका मतलब है कि पाँचवीं नेशनल असेंबली के गठन के लिए चुनाव होना था। यह चुनाव 6 दिसंबर को हुआ। चुनाव से थोड़ा पहले, मैं काराकस में कई राजनीतिक नेताओं से मिला, जो राष्ट्रपति मदुरो की सरकार का विरोध करते हैं और जिन्होंने पीएसयूवी उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ नेशनल असेंबली का चुनाव लड़ा है। एक्शन डेमोक्रेटिका (एडी) के एक नेता पेड्रो जोस रोजस ने कहा, ‘हम अदृश्य विपक्ष हैं’। ऐक्शन डेमोक्रेटिका और कॉमिटे डे ऑर्गनिज़ेशन पोलिटिका इलेक्टोरल इंडिपेंडिएनटे (सीओपीईआई) मिलकर, पार्टिडोक्रैसिया यानी पुराना राजनीतिक संस्थान का गठन किया है। ये पार्टियाँ सरकार के ख़िलाफ़ हैं, लेकिन राजनीतिक व्यवस्था के ख़िलाफ़ नहीं हैं और गुएडो के प्रतिक्रियावादी विपक्ष या शासन बदलने के अमेरिकी प्रयासों की पक्षधर नहीं हैं।
रोजस कहते हैं कि एकतरफ़ा अमेरिकी प्रतिबंधों का ‘वेनेज़ुएला के लोगों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। इनसे वो मक़सद पूरा नहीं हुआ है जो होना चाहिए था‘; यानी सत्ता परिवर्तन, जिसके लिए 1998 में ह्यूगो शावेज़ के सत्ता में आने के बाद से वेनेज़ुएला के ख़िलाफ़ अमेरिकी सरकार ने विभिन्न प्रकार के हाइब्रिड युद्ध छेड़ रखा है। सीओपीईआई के एक नेता जुआन कार्लोस अल्वाराडो ने कहा कि ‘घेराबंदी का देश पर भयानक प्रभाव पड़ा है‘। वास्तव में, चुनाव लड़ने वाले सभी विपक्षी दलों, जिनका यह मानना है कि लोकतांत्रिक रास्ता ही आगे का रास्ता हो सकता है, का कहना है कि वेनेज़ुएला के लोगों पर अमेरिकी प्रतिबंधों के गम्भीर प्रभावों का अध्ययन करने के लिए वे 2021 में राष्ट्रपति के साथ मिलकर एक आयोग स्थापित करने का काम करना चाहेंगे।
गुएडो और प्रतिक्रियावादी, अलोकतांत्रिक विपक्षी दल अमेरिकी सरकार तथा यूरोपीय संघ की तरह चुनाव से बहुत पहले से ही ये तर्क दे रहे हैं कि 6 दिसंबर का चुनाव फ़्रॉड है; चुनाव के बाद, अमेरिका और यूरोपीय संघ ने निंदा करते हुए अपने पुराने बयान भी जारी किए हैं। अमेरिकी विदेश विभाग ने अलग–अलग तरीक़े से कई मौक़ों पर चुनाव में दख़ल देने की कोशिश की; राष्ट्रीय चुनाव परिषद (सीएनई) के अधिकारियों, यहाँ तक कि उसके अध्यक्ष और विपक्षी उम्मीदवारों पर प्रतिबंध लगाए और धोखाधड़ी की झूठी कहानियाँ गढ़ी गईं। ब्रूनो गैलो (अवंज़ादा प्रोग्रेसिस्टा) और टिमोट्यो ज़ांब्रानो (कैंबिमोस) जैसे विपक्षी नेताओं ने मुझे बताया कि चुनाव में कोई धोखाधड़ी नहीं हुई है, हाँ सामान्य अनियमितताएँ ज़रूर सामने आईं हैं (जैसे कि, उन्होंने कहा, सरकारी मीडिया अधिकारीयों के पक्ष में बोल रहा है; हालाँकि प्राइवेट मीडिया विपक्ष के साथ है)। गैलो ने मुझे बताया कि वे दस साल से सीएनई के काम को ध्यान से देख रहे हैं, लेकिन उन्हें धोखाधड़ी के कोई पुख़्ता सुबूत नहीं मिले। उन्होंने कहा, जहाँ तक चुनावों का सवाल है, यह एक निष्पक्ष चुनाव है।
चुनाव का परिणाम रात में आया: पीएसयूवी ने अधिकांश सीटों पर जीत हासिल की, हालाँकि दक्षिणपंथी और वामपंथी विपक्षी दलों को कुल मिलाकर एक तिहाई वोट मिले। लगभग पचास लाख लोग पूरे देश के विभिन्न मतदान केंद्रों पर वोट डालने गए। लगभग 32% लोगों ने मतदान किया। महामारी के बीच, ईंधन की कमी (जिससे परिवहन बाधित होता है) के चलते, और दक्षिणपंथी दलों के बहिष्कार के आह्वान से उत्पन्न भय के माहौल में हुए इस ग़ैर–राष्ट्रपति चुनावों में इतना मतदान होना असामान्य नहीं है। उसी दिन रोमानिया में एक चुनाव में 30% मतदान हुआ है और इस वर्ष के फ़रवरी महीने में कोस्टा रिका के नगरपालिका चुनाव में 34% मतदाताओं ने वोट किया था। देश में हिंसा की कोई घटना नहीं हुई और न ही सीएनई को धोखाधड़ी की कोई गंभीर शिकायत ही मिली। चुनाव की अगली सुबह, वेनेज़ुएला के विदेश मंत्री जॉर्ज अर्रेज़ा ने चुनाव प्रक्रिया और मतदान के बारे में बोलते हुए कहा कि वेनेज़ुएला ने एक ‘शांतिपूर्ण यात्रा पूरी की है जिसमें लोकतंत्र की जीत हुई है और जिसमें वेनेज़ुएला के लोग विजयी हुए हैं।’
1998 में ह्यूगो चावेज़ के नेतृत्व में चले जन–आंदोलन के द्वारा चलाए गए चुनाव अभियान के बाद से, संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों ने वेनेज़ुएला व लैटिन अमेरिका के लोगों के लिए एक अलग भविष्य की संभावना के ख़िलाफ़ हाइब्रिड युद्ध छेड़ रखा है। ‘हाइब्रिड युद्ध’ ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान में हमारे काम के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है; यह विषय संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रभुत्व को चुनौती देने वाले किसी भी देश के ख़िलाफ़ संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले युद्ध के कई नये रूपों को समझने के लिए ज़रूरी है। जनवरी 2021 में ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान से जारी होने वाले डोज़ियर में हम दुनिया की स्थिति का विश्लेषण करते हुए हाइब्रिड युद्ध की अवधारणा को विधिवत रूप से विकसित करेंगे।
अपने प्रतिद्वंद्वियों पर सैन्य हमले करने की बजाय, अमेरिका कूटनीति, संचार, व्यापार और वाणिज्य जैसे क्षेत्रों में युद्ध कर रहा है। उदाहरण के लिए, विश्व मामलों पर ख़ास नैरेटिव (प्रचार) को आकार देने के लिए अमेरिकी मीडिया संगठनों का नियंत्रण करना; इस हथियार का इस्तेमाल अमेरिका का विरोध करने वाले वेनेज़ुएला जैसे देशों के ख़िलाफ़ किया जाता है। इस तरह से वेनेज़ुएला की सरकार को ‘सरकार‘ कह कर नहीं बल्कि ‘शासन‘ के रूप में वर्णित किया जाता है। उपनिवेशवाद के प्रभावों, पूँजीवादी विश्व व्यवस्था की बढ़ती असमानताओं, और साम्राज्यवादी शक्तियों के द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों और अन्य क्रूर हमलों का सामना कर इस देश की समस्याओं की जड़ उसकी सरकारी नीतियों और ‘भ्रष्टाचार‘ को बताया जाता है।
सूचना युद्ध, हाइब्रिड युद्ध का अहम हथियार है। इसलिए अमेरिका और यूरोपीय संघ के लिए ये महत्वपूर्ण है कि वे वेनेज़ुएला की राजनीतिक संस्कृति का खंडन करते हुए इस चुनाव को अस्वीकार्य करें; यूरोपीय संघ और अमेरिका द्वारा जारी किया गया बयान, शायद चुनाव होने से कई दिन पहले ही लिखा जा चुका था, क्योंकि 6 दिसंबर के दिन जो कुछ वास्तव में हुआ, वह कुछ भी इस बयान में नज़र नहीं आता। यूरोपीय संघ ने वेनेज़ुएला में अपने पर्यवेक्षक नहीं भेजे थे, इसलिए उनका बयान विश्वसनीय रिपोर्टों के बजाय उनके पूर्वाग्रहों पर आधारित था। मैं सीएनई का चुनावी पर्यवेक्षक था और मैं –मेरी व्यक्तिगत और पेशेवर राय में– यह कहना चाहता हूँ कि मैंने इस चुनाव में धोखाधड़ी होते नहीं देखा; विपक्षी नेताओं का भी यही मानना था, जिन्होंने मुझे स्पष्ट रूप से बताया कि उन्हें विश्वास ही नहीं है कि चुनाव में कोई धोखाधड़ी हुई है।
हाइब्रिड युद्ध के कई रूप हैं, और उन्हें ठीक तरह से देख पाना आसान नहीं है। साम्राज्यवाद–विरोधी पोस्टर प्रदर्शनी के आख़िरी चरण में ‘हाइब्रिड युद्ध‘ की थीम पर दुनिया भर के 18 देशों के 39 कलाकारों ने पोस्टर बनाए। ये कलाकृतियाँ हमारे समय को परिभाषित करने वाले इस युद्ध की दृश्य अभिव्यक्तियाँ हैं। वेनेज़ुएला के लोगों के साथ एकजुटता दिखाते हुए, यह प्रदर्शनी नैशनल असेम्बली चुनाव से ठीक पहले 3 दिसम्बर को लॉन्च की गई थी। ये पोस्टर दर्शाते हैं कि अमेरिका के नेतृत्व में चल रहे इस हाइब्रिड युद्ध के वेनेज़ुएला, भारत, क्यूबा, चीन, ब्राज़ील व अन्य देशों पर क्या प्रभाव पड़े हैं। ये पोस्टर साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ लोगों के संघर्ष का एक जीवंत प्रमाण हैं।
चुनाव से एक रात पहले, राष्ट्रपति मदुरो ने कहा कि वेनेजुएला के लोगों को ये उम्मीद थी कि अमेरिका इस चुनाव की वैधता को नकारेगा और वेनेज़ुएला के लोगों के सामने खड़ी गंभीर समस्याओं का हल करने के लिए आवश्यक एजेंडा आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे वेनेज़ुएला के राजनीतिक प्रतिनिधियों को रोकेगा। मदुरो ने मुझे मिराफ़्लोरेस पैलेस में बताया कि ‘अमेरिका ने चुनाव होने से काफ़ी समय पहले कह दिया था कि वे चुनावों के परिणामों को स्वीकार नहीं करते। हम डोनाल्ड ट्रम्प की मरणासन्न सरकार की नहीं सुनेंगे।’
संयुक्त राज्य में सत्ता के हस्तांतरण से ठीक पंद्रह दिन पहले 5 जनवरी को वेनेज़ुएला की नयी नेशनल असेंबली शुरू होगी। (ट्रम्प ने वहाँ भी चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था)। मदुरो ने कहा कि अमेरिका ‘यह तय नहीं करेगा कि हम वेनेज़ुएला में क्या करेंगे।‘ यह राजनीतिक रूप से बिलकुल सही है, लेकिन सूचना क्षेत्र में अमेरिका का नियंत्रण और वित्तीय प्रणाली व भुगतान सामंजस्य प्रणालियों के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों पर अमेरिका का नियंत्रण, वेनेज़ुएला के अपने लोगों के लिए खुलकर काम करने संभावना को बाधित तो करता ही है। ह्यूगो शावेज़ कहते थे, ‘वीविरेमोस वाई वेन्सेरेमोस‘ – हम जीवित रहेंगे, और हम कामयाब होंगे। वेनेज़ुएला के भीतर, विभिन्न राजनीतिक पार्टियों का यही मानना है; और इसी से वहाँ के लोगों को उम्मीद मिलती है।
स्नेह–सहित,
विजय।
मैं हूँ ट्राईकॉन्टिनेंटल:
रेबेका जेंडलर, अड्मिनिस्ट्रेटर, ब्राज़ील
मैं ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान के ब्राजील कार्यालय में एक प्रशासनिक विभाग स्थापित करने का काम कर रही हूँ। अपने खाली समय में, मैं आजकल ऐलेना फेरैंटे के तीन उपन्यास पढ़ती हूँ या खाना पकाने में बेहतर होने की कोशिश करती हूँ।