संकट को उजागर करना: कोरोनावायरस के समय में देखभाल कार्य
महामारी ने पहले से मौजूद असमानताओं को अधिक गहरा करने के साथ ही उसे नये रूपों में उजागर किया है, उन प्रक्रियाओं को पुन: व्यवस्थित किया है जो जीवन जीने और उसके अनुकूल परिस्थितियों की गारंटी देता है। इस संदर्भ में श्रमिक वर्ग[1]
के आस-पड़ोस में देखभाल के कार्य और उनको करने वालों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, बावजूद इसके उन्हें बहुत कम सामाजिक और आर्थिक मान्यता मिलती है। मानव जीवन को बनाए रखने के लिए प्रक्रियाओं को पुन: परिभाषित और निर्मित करने के लिए दुनिया भर में संगठन के नये रूपों का जन्म हो रहा है।
महामारी के बाद की परिस्तिथितियों में वास्तविकताओं के राजनीतिकरण की आवश्यकता और उस दिशा में समझदारी को विकसित करते हुए ट्राइकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान और मापेओस फ़ेमिनिस्तास (‘फ़ेमिनिस्ट मैपिंग’) ने संकट को उजागर करना (अनकवरिंग कराइसिस) के नाम से एक पॉडकास्ट का निर्माण किया है, जो विभिन्न संस्थाओं तथा जगहों पर महामारी के असमान प्रभाव का नारीवादी दृष्टिकोण से पड़ताल करता है। हम समाज के हाशिये पर रहने वाली ज़मीनी स्तर की नारीवादियों के नज़रिये से महामारी के प्रभाव का विश्लेषण करने के लिए निकल पड़े हैं, जो नेटवर्क का समर्थन और निर्माण करते हैं, ज़मीनी स्तर के बुनियादी ढाँचे का निर्माण करते हैं, और एक दूसरे पर और हमारे आसपास के वातावरण पर निर्भरता को सुनिश्चित करने के लिए लड़ते हैं। इस डोजियर में, हमने इस कार्य को व्यवस्थित किया और हमने उन प्रतिरोधों के बारे में शोध किया जो अनुभवों और वास्तविकताओं की एक विस्तृत शृंखला से उत्पन्न हुए हैं। आज इन वास्तविकताओं का सामना अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के पतन के साथ-साथ शोषण, लूट, और हिंसा के गहराने से होता है। हमने इस शोध को तीन मुख्य क्षेत्रों: समुदायों, परिवारों/घरों और घरेलू और देखभाल कार्यों के इर्द-गिर्द रखा है। इन सभी क्षेत्रों में, देखभाल कार्य का वस्तुकरण, निजीकरण, अनिश्चितता, नारीवादिता अलग-अलग तरीक़ों से उभरकर सामने आती है।
इस कार्य को करने के लिए हमारे विचार और समझ उस प्रतिबद्धता से निकले हैं जो सुनने तथा संवाद के माध्यम से सहयोगपूर्ण शिक्षण को बढ़ावा देते हैं। यह काम उन सभी महिलाओं के सहयोग के बिना संभव नहीं हो पाता जो लोगों तथा जन संघर्षों के लिए लड़ रही हैं जो हमें उन अनुभवों तथा वास्तविकताओं को साझा करने के लिए हमें प्रेरित करते हैं।
भाग 1: सामुदायिक देखभाल कार्य आवश्यक कार्य है
श्रम, नवउदारवाद और प्रतिरोध का एक नया नक़्शा
2017 में अर्जेंटीना में अंतर्राष्ट्रीय नारीवादी हड़ताल के दौरान लोकप्रिय अर्थव्यवस्था[2] की महिला श्रमिकों ने नारा दिया कि ‘अगर हमारा जीवन बेकार है, तो हमारे बिना उत्पादन करो’। इस नारे के माध्यम से उन्होंने हमारे समाजों में अदृश्य श्रम के बारे में चलने वाली 1960 और 70 के दशक की नारीवादी बहस को पुनर्जीवित और संशोधित किया; जो गतिविधियाँ जीवन के उत्पादन और पुनरुत्पादन में मौलिक भूमिका निभाती हैं, उन्हें न तो हमेशा मान्यता मिलती है या पारिश्रमिक [3]दी जाती है।
हमेशा मान्यता मिलती है या पारिश्रमिक दी जाती है।
लेकिन 1970 के बाद से बहुत कुछ बदल गया है। वेतनभोगी कार्य दुर्लभ हो गया है, और महिलाओं तथा एलजीबीटीक्यू+ लोगों ने अपने परिवारों को चलाने के लिए आर्थिक रणनीति बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई है। इन रणनीतियों में से कई श्रमिक वर्ग के आस-पड़ोस और उनके भीतर जीवन के पुनरुत्पादन पर केंद्रित है, इनमें आश्रितों की देखभाल (शैशवावस्था में या बुढ़ापे में) से लेकर जीवन निर्वाह के लिए तथा ग्रामीण क्षेत्र के शहरीकरण तथा शहरी हाशिये पर रहने वाले लोगों के लिए भोजन, कपड़ा, आवास और यहाँ तक कि पानी [4] जैसी शहरी बुनियादी सेवाओं की गारंटी का संपूर्ण ढाँचा तक शामिल है। सैंटियागो डेल एस्टेरो के किसान आंदोलन (MOCASE) के देओलिंडा कैरिजो ने अपने अनुभव के बारे में बताया:
हमें अपने बच्चों के साथ कचरा उठाने के काम पर जाना था और कचरे के थैलों को उठाते हुए हमारे भीतर क्षोभ भर आया। हमें अपने घरों के दरवाज़े खोलने थे ताकि आस–पड़ोस के बच्चों को नाश्ता मिल सके और इसके लिए हमें ओलास पोपुलारेस [सामुदायिक रसोई].[5]बनाने पड़े।
ये रणनीतियाँ, जो हमारे आस-पड़ोस में संगठन की अपनी प्रक्रियाओं से पैदा हुई हैं, सामुदायिक संरचना के निर्माण में अहम भूमिका निभाती हैं।
ये अनुभव नवउदारवादी बेदख़ली की प्रतिक्रिया के रूप में सामने आते हैं, जो महिलाओं पर विशेष रूप से भारी बोझ डालता है। यह ऐसी महिलाएँ हैं जो राज्य द्वारा सामाजिक सेवाओं और सुरक्षा में कटौती के बाद उत्पन्न हुए ख़ालीपन को भरने का काम करती हैं। सामुदायिक एकजुटता नेटवर्क कार्य-संबंधित माँगों, हिंसा से मुक्त स्वच्छ वातावरण का अधिकार, और स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, भोजन और कृषि योग्य भूमि का अधिकार प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
सामुदायिक केंद्रीकरण
आवश्यकता ने महिलाओं को घर से बाहर निकलने के लिए मजबूर किया, लेकिन उनकी आवश्यकताओं के राजनीतिकरण ने उन्हें समुदाय में घर बनाने के लिए प्रेरित किया। समुदाय वह स्थल है जहाँ से आर्थिक, राजनीतिक और देखभाल की रणनीति विकसित होती है। ये लोकप्रिय और नारीवादी अर्थव्यवस्थाएँ भोजन, रास्ते, पक्की सड़कें, सीवेज सिस्टम और घर बनाती हैं। लेकिन, सबसे बढ़कर, वे अस्तित्व के लिए संघर्ष, सपने और भावनात्मक देखभाल नेटवर्क का निर्माण करती हैं। अर्जेंटीना वर्कर्स सेंट्रल यूनियन (CTA) के जेनेट मेंडिएटा के शब्दों में:
यह हम, महिलाएँ, हैं जो देखभाल के काम को व्यवस्थित करती हैं और आगे बढ़ाती हैं, जो असंख्य तरीक़ों से हमारे परिवारों का समर्थन करती हैं। न केवल हम उन्हें भोजन प्रदान करते हैं और खाना बनाते हैं और परोसते हैं, बल्कि अक्सर हम अपना और दूसरों का समर्थन करते हैं; हम सभी समस्याओं का समाधान खोजने की कोशिश करते हैं।
ट्रांसजेंडर समुदाय द्वारा भेदभाव और कलंक का सामना करने के लिए बनाए गए नेटवर्क इस सामुदायिक कार्य का एक हिस्सा हैं। एकजुटता उन्हें जीवित रखती है, अर्जेंटीना के ट्रांसजेंडर आंदोलन के लूज बेजेरानो (Movimiento Transexual Argentino) बताते हैं:
एक ट्रांसजेंडर कॉमरेड ने… सबसे रूढ़िवादी शहरों में, अपना आउटडोर रेस्त्राँ खोला, जहाँ सबसे अधिक लिंग–आधारित और माचिस्टा हिंसा होती है। भेदभाव और बाक़ी सब चीज़ों के बावजूद ट्रांसजेंडर लोगों और बच्चों की मदद करने और उन्हें स्नैक्स और खाने के लिए कुछ देने में सक्षम होने के लिए ख़ुद को वहाँ स्थापित करना पड़ा।
नारीत्व और सामुदायिक कार्य की आवश्यक प्रकृति
यौन विभाजन के आधार पर श्रम को लेकर जिस प्रकार की असमानताएँ पहले से विद्यमान हैं, नवउदारवाद के परिणामस्वरूप-लेकिन उसके प्रतिरोध में भी-काम के नये स्थानिक विन्यासों द्वारा उनका पुनरुत्वादन किया गया। श्रम के लैंगिक विभाजन से हमारा तात्पर्य ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रिया से है, जिसके माध्यम से क्षमताओं, कौशल, मूल्य और/या काम को एक विशेष लिंग से जुड़ी जैविक विशेषताओं के अनुसार सौंपा गया है। ऐसा कुछ विशेष प्रकार के कामों में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है जिनका वितरण जैविक विशेषताओं के अनुसार होता है जो सामाजिक संगठन का आधार है।
आधुनिक पूँजीवादी समाजों में यह प्रक्रिया असमान मूल्य और मान्यता के साथ जुड़ी हुई है जो कुछ प्रकार के काम को कुछ अन्य प्रकार के कामों पर वरीयता देता है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ लोगों को कुछ अन्य लोगों की तुलना में असमान शक्ति मिल जाती है। इस प्रक्रिया में वस्तुओं के उत्पादन तथा जीवन के पुनरुत्पादन का क्षेत्र एक पदानुक्रम के आधार पर विभाजित कर दिया गया था, जिसमें जीवन के पुनरुत्पादन को कमतर महत्व दिया गया था। महिलाओं को प्रजनन के सभी पहलुओं की ज़िम्मेदारी ‘आधिकारिक’ तौर पर सौंप दी गई थी। दूसरी ओर, पुरुषों को ’बाहरी दुनिया’ के उत्पादक कार्य, अध्ययन, राजनीति और क़ानून का ज़िम्मा सौंप दिया गया था। यह समझदारी कि ‘कार्यस्थल पर पुरुषों और घर के भीतर महिलाओं’ के बीच काम का बँटवारा होत है, आगे चलकर आम समझदारी का हिस्सा बन गया। आधुनिक पूँजीवादी समाजों में महिलाओं की सामाजिक शक्ति की अधीनता को समझने के लिए यह समिकरण एक महत्वपूर्ण बिंदु है।
एक विस्तारित घरेलू क्षेत्र के रूप में समुदाय महिलाओं और LGBTQ+ लोगों के काम के माध्यम से ही अपना अस्तित्व बनाए हुए है। शिर्ली ब्रिटशेज़ो पॉप्युलर मूवमेंट फ़ॉर डिग्निटी (Movimiento Popular La Dignidad) ने इस बिंदु पर बात की:
हम में से अधिकांश महिलाएँ हैं… और हम में से अधिकांश के पास काम नहीं है; तथाकथित गृहिणियों के इस तरह के काम को कभी मान्यता नहीं दी गई थी क्योंकि यह भी काम का एक रूप है, इसलिए यह कहना बेहतर है कि हमारे पास औपचारिक काम नहीं है। हमारे पास यह मौक़ा था कि हम अपनी राजनीतिक शिक्षा को आगे बढ़ा सकें और ख़ुद को प्रशिक्षित कर सकें। हमने सप्ताहांत पर इसकी शुरुआत की क्योंकि सप्ताह के दौरान हमारे पास बहुत कम समय होता है क्योंकि हम सड़क के बाज़ारों में सामान बेचने या किसी के घर में काम करने और अपने घर का काम करने जैसे अन्य कार्यों में व्यस्त थे। हमने अपनी राजनीतिक शिक्षा और प्रशिक्षण को हर साल आगे बढ़ाया है। अब हम अपने पड़ोस में काम कर रहे हैं, हमारे पास काम है, और हम सभी महिलाएँ हैं।
इन समुदायों में पुनरुत्पादन कार्य सामूहिक रूप से किया जाता है। इनके राजनीतिकरण के माध्यम से इन कार्यों को सामाजिक रूप से आवश्यक कार्य के रूप में नया अर्थ दिया जाता है। हालाँकि यह कार्य अभी भी असमान रूप से वितरित है और ज़्यादातर महिलाओं द्वारा इसे किया जा रहा है। जैसा कि जेनेट मेंडिएटा ने समझाया, ‘यह ज़्यादातर ऐसा है क्योंकि हम एक पितृसत्तात्मक व्यवस्था में रहते हैं और इससे भी ज़्यादा यह कि हम एक श्रमिक वर्ग के आस-पड़ोस में रहते हैं। काम हमेशा महिलाओं द्वारा किया जाता है; हमें हमेशा यह ज़िम्मेदारी सौंप दी जाती है कि हम सीखें कि कैसे खाना बनाया जाता है और कपड़े साफ़ किए जाते हैं’। बेदख़ली वाले इलाक़ों में जीवन को जीने के लिए गतिविधियाँ, प्रक्रियाएँ और सामुदायिक नेटवर्क बुनियादी पहल हैं। ब्रिटचेज़ ने इस बिंदु पर विस्तार से बताया; ‘[हमारा काम] आवश्यक है क्योंकि हम उनमें से ही एक हैं जो यहाँ पड़ोस में रहते हैं, जो जानते हैं कि क्या ज़रूरत है, जो जानते हैं कि समस्याएँ क्या हैं, जो हर दिन हमारे पड़ोसियों के बग़ल में रहते हैं… और हम उन लोगों की देखभाल करते हैं जिन्हें इसकी आवश्यकता है।’
इन ज़मीनी स्तर के नेटवर्क और आधारभूत ढाँचे के बिना कोई जीवन नहीं है, कोई बाज़ार नहीं है, घर में कोई भोजन नहीं है, कोई टीके, मास्क या सामाजिक भेद नहीं है। Encuentro de Organizaciones (जिसका अर्थ है ‘सामाजिक संगठनों का एक विस्तृत नेटवर्क’) की सिल्विया कैंपो ने समझाया कि ‘यदि कोई इस [काम] को नहीं कर रहा था, तो हम शून्य से शुरू करेंगे; पड़ोस में कोई सफ़ाई नहीं होगी, सब कुछ उल्टा हो जाएगा, कई बच्चे और पड़ोसी रात में बिना खाए सो जाएँगे, या दोपहर में एक गिलास दूध लेंगे; प्रति दिन कम भोजन मिलेगा।’
एक साथ मिलकर काम करने से उसमें शामिल लोगों के लिए एक शक्तिशाली परिवर्तन होता है। जीवन निर्वाह के लिए परिस्थितियों को व्यवस्थित करने के लिए किए जाने वाले आवश्यक कार्य प्रतिरोध के लिए रणनीति बनाने के लिए प्रेरित करते हैं जो उस आधार को प्रश्नांकित करते हैं तथा उसे बदलने की कोशिश करते हैं जिस पर यह व्यवस्था टिकी हुई है। इन सामूहिक प्रक्रियाओं में देखभाल कार्य से अधिक कुछ उत्पन्न होता है: ‘ये ऐसे स्थान हैं जहाँ हम उन तरीक़े के बारे में गहराई से सोचते हैं जिस तरह से हम जीते हैं … जहाँ पड़ोस में लोग और समूह प्रभुत्व की, उत्पीड़न की, पितृसत्ता की प्रणाली पर सवाल उठाते हैं; हमारे पास समुदाय के लिए एक विस्तृत, खुली जगह है’, ला एनरामादा (जिसका अर्थ है ‘जुड़ी हुई शाख़ें’) की एनालिया जारा समझाती हैं।
मान्यता और पारिश्रमिक
इन लोकप्रिय नारीवादी अर्थव्यवस्थाओं को हमेशा उस प्रकार की मान्यता नहीं मिलती जिसकी वे हक़दार हैं, भले ही हम जानते हैं कि उनका काम समुदाय के लिए आवश्यक है और वे हमेशा अपने काम में लगी रहती हैं। समुदाय में महत्वपूर्ण स्तंभ होने के बावजूद उन्हें अक्सर उनका हक़ नहीं मिलता है। कई सालों से, वे इस काम के लिए सामाजिक और आर्थिक मान्यता के लिए लड़ रही हैं। जेनेट मेंडिएटा ने इस बारे में विस्तार से बताया:
सबसे पहले, उन्हें इस बात को स्वीकार करना चाहिए कि हम आवश्यक श्रमिक हैं, और फिर हमें हमारे काम के लिए मज़दूरी मिलनी चाहिए क्योंकि हमें जितना काम करना चाहिए हम उससे कहीं अधिक काम करते हैं। हम लैंगिक समानता और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए बहुत से काम करते हैं; हम कैंटीन और भोजनालयों में रसोइया के रूप में काम करते हैं; और इनमें से किसी भी काम की मान्यता नहीं है, न ही इस ओर किसी का ध्यान जाता है। यदि इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है तो निश्चित रूप से न तो इसे मान्यता मिलेगी न ही इसके लिए पारिश्रमिक।
ये महिलाएँ ‘जिसके बारे में कहती हैं कि प्रेम अवैतनिक कार्य’ उस नारे को नया अर्थ देती हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय नारीवादी हड़तालों के दौरान अर्जेंटीना की दीवारों पर दिखाई दिया। जैसा कि फ़ेडेरेसियों डी ऑर्गेनिज़ेसियोनेस डे बेस (‘फेडरेशन ऑफ़ ग्रासरूट्स ऑर्गनाइजेशन’) की मारिया बेनिटेज़ ने कहा, ‘हम जो देते हैं वह अवैतनिक कार्य है; महिलाओं के रूप में कोई भी हमारे काम को महत्व नहीं देता है, लेकिन मेरे लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है, भले ही वे कहते हैं कि हम कुछ भी नहीं करते हैं। यह सच नहीं है।’
सामुदायिक देखभाल कार्य को फिर से परिभाषित करना
महामारी ने हमारे सामने इस बात को और अधिक स्पष्ट कर दिया है कि असमानता और अनिश्चितता समाज के अधिकांश लोगों के लिए वास्तविकता है। श्रमिक–वर्ग के आस-पड़ोस जो कि व्यक्तिगत अलगाव के बजाय ‘सामुदायिक अलगाव’ को सहते हैं, उन्होंने भौतिक असमानताओं को दूर करने और रणनीतियों और नेटवर्क के इस सामूहिक निर्माण के माध्यम से अधिकारों तक पहुँच की माँग की। उदाहरण के लिए, महिलाओं और LBTQ+ के लोग अग्रिम पंक्ति में सामुदायिक रसोईघर चला रहे हैं। फिर भी, यह पर्याप्त नहीं है क्योंकि महामारी के परिणामस्वरूप ज़रूरतों में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। इस संदर्भ में भूख मुख्य मुद्दों में से एक है। जैसा कि लूज बेजेरानो ने समझाया:
हमारे पास 200 ट्रांसजेंडर कॉमरेड पंजीकृत थे [सामुदायिक रसोई के साथ] … अचानक से, महामारी के बाद से, इस क्षेत्र में 500 से अधिक कॉमरेड हैं जिन्होंने हमें फ़ोन करना शुरू कर दिया क्योंकि उन्हें भोजन की ज़रूरत है क्योंकि उन्होंने अपनी आमदनी का ज़रिया खो दिया है। नगरपालिका उन्हें खाद्य सहायता और अन्य सहायता प्रदान नहीं कर रही है, लॉकडाउन ने जिसे उजागर किया है।
वे सामग्री इकट्ठा करते हैं, भोजन तैयार करते हैं और वितरित करते हैं, और लॉकडाउन उपायों से उत्पन्न कठिनाइयों का सामना करते हैं। पॉप्युलर मूवमेंट फ़ॉर डिग्निटी की लुसेरो आयला बताती हैं कि कैसे उन्होंने ख़ुद को अपने कार्यों में विविधता लाने और ख़ुद का प्रोटोकॉल बनाने के लिए बाध्य किया, ‘हम एक-दूसरे का ख़याल रखते हैं’ के मुहावरे को क्रिया में परिवर्तित किया: ‘पड़ोस में, मैं एक सामुदायिक स्वास्थ्य की वकालात करती हूँ। मैं सड़कों को साफ़ करती हूँ और मैं समुदायिक रसोईयों की मदद करती हूँ ताकि कॉमरेड पैक किए हुए भोजन को इकट्ठा कर सकें, [यह बताते हुए] कि हमें प्रोटोकॉल का पालन कैसे करना है इसके बारे में जानकारी देते हैं।’
सैकड़ों स्वास्थ्य समर्थक वायरस का पता लगाने के लिए घर का दौरा किया, लॉकडाउन के दौरान अकेले रहने वाले बुज़ुर्गों की ख़बर-ख़ैरियत मालूम की, और आस-पड़ोस में अभियान चलाया कि कैसे लोग ख़ुद की देखभाल कर सकते हैं, और वे अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों के साथ इसकी जानकारी साझा की। सिल्विया कैम्पो ने समझाया कि:
हम इस बारे में भी जानकारी प्राप्त कर रहे हैं कि कोविड के मामले आस–पास के क्षेत्रों में कहाँ हैं और … [और] इस वायरस से बचने के लिए देखभाल का ध्यान रखा जाना बेहद ज़रूरी है। हम इस बात की भी जानकारी प्रसारित कर रहे हैं कि किस दिन स्वास्थ्य क्लिनिक जनता के लिए खुले होते हैं, किन दिनों में वे दूध वितरित करते हैं, किन दिनों में वे बच्चों का टीकाकरण करते हैं, कोविड के लक्षणों का पता चलने पर लोग कहाँ जा सकते हैं, ताकि वे इलाज के बारे में पता कर सकते हैं और अपना इलाज करा सकते हैं, और जहाँ वे जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
ये वही महिलाएँ हैं जो अपने पड़ोसियों को उनके घर से निकाले जाने का विरोध करती हैं, जो काम न मिल पाने की वजह से अपने मकान का किराया देने की स्थिति में नहीं हैं और पहले से मौजूद कामचलाऊ अर्थव्यवस्थाओं के आगे नयी चुनौतियों प्रस्तुत कर रहे हैं। ब्रिटशेज़ ने इन प्रयासों के बारे में अधिक विस्तार से बताती हैं:
चूँकि हम यहाँ पड़ोस में थे, हमारे पड़ोसियों ने हमें बताया कि किराये का भुगतान न कर पाने के कारण उन्हें बेदख़ली का सामना करना पड़ रहा था। हम अच्छी तरह जानते हैं कि हमारे पास काम नहीं है; वे किराए का भुगतान करने में सक्षम नहीं थे और मकान मालिक किराए की माँग करते थे या उन्हें बेदख़ल कर दिया जाता था और रहने के लिए दूसरी जगह ढूँढ़नी पड़ती थी। इसलिए, हमने इस मुद्दे को अपने और समुदाय के बीच रखा … हम उन्हें इस बात के लिए तैयार करते थे कि वह अपने घर जाएँ और अपने मकान मालिकों से कहें कि वे महामारी के दौरान परिवारों को घरों से नहीं निकाल सकते।
महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने वाले और नारीवादी नेटवर्क के सदस्य महिलाओं और एलजीबीटीक्यू+ लोगों के साथ आए जिन्हें लॉकडाउन के संदर्भ में हिंसा का सामना करना पड़ रहा था; उन्होंने कई तरीक़ों से बैठक की और भरोसे के लिए फिर से जगहें बनाईं। सोमाटी की नारीवादी सभा (असंबली फ़ेमिनिस्टा डी सोलाटी) के लूर्डेस डुरान ने समझाया कि ‘नारीवादी नेटवर्क का गठन इसलिए किया गया था कि किस तरह लिंग आधारित हिंसा के मामलों में हस्तक्षेप किया जाए, लिंग आधारित हिंसा की शिकार पीड़ित महिलाओं को बचाने के लिए किस तरह पड़ोस की मदद से एक आम प्रोटोकॉल विकसित किया जा सके। इन स्थितियों में एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है’।
ये सभी नेटवर्क, काम, और संगठनात्मक प्रक्रियाएँ महामारी से गहराए संकट का सामना करने में आज पहले से कहीं अधिक आवश्यक साबित हुई हैं। सामुदायिक प्रथाओं की सहायता से समय के साथ उन्होंने सामाजिक संपत्ति को संगठित किया, समर्थन के इन सामुदायिक नेटवर्क में समुदाय के संरक्षकों की भूमिका-अब पहले से कहीं अधिक-इस बात को दर्शाता है कि जीवन को बनाए रखने के लिए अन्योन्याश्रय संबंध और एकजुटता की कितनी अधिक आवश्यकता होती है। लेकिन यह उस सामुदायिक देखभाल कार्य की ओर भी ध्यान आकर्षित करता है, जो हमेशा दिखाई नहीं देता है और उसके लिए प्राय: कभी भी पारिश्रमिक नहीं मिलता है, और जिसमें महिलाएँ और एलजीबीटीक्यू+ लोग प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
भाग 2: संघर्ष की जगह के रूप में घर
हर घर राजनीतिक जगह है
नारीवाद ने अब तक के अपने इतिहास में राजनीतिकरण का काम किया है जिसे पहले से ही सामान्य मान लिया गया है और घर के विन्यास और उसके भीतर के संबंधों को बदलने के लिए ख़ुद को संगठित किया है। 1970 के दशक के बाद से ‘पर्सनल इज़ पॉलिटिकल’ नारे ने नारीवादियों के बीच एक महत्वपूर्ण उक्ति के रूप में काम किया है, जो उन सभी चीज़ों पर सवाल खड़ा करता है जिन्हें तथाकथित रूप से निजी बताकर छिपाया जाता है।
इसके अलावा, घर हमेशा एक आर्थिक इकाई रहा है: इसके भीतर उत्पादन और विनिमय होता है। इस काम के उत्पाद का उत्पादन कौन करता है और उसका विनिमय कौन करता है, परिवार के वर्तमान वर्गीकरण[6] के निर्माण तक पहुँचने तक पूरे इतिहास में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बदलते विचारों के साथ–साथ इसके स्वरूप में भी परिवर्तन होता रहा है। जैसा कि अर्जेंटीना के राष्ट्रीय वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान परिषद (CONICET) की पाउला एगुइलर ने समझाया:
जो अपेक्षित है वह यह है कि आदर्श परिवार में एक प्रदाता- पुरुष- होता है और एक गृहिणी होती है जो बच्चों की परवरिश करती है और घर का काम संभालती है। घर की धारणा में, सामाजिक जीवन का एक स्वप्नलोक है। हालाँकि, बहुत-सी आलोचनाओं, प्रतिरोधों, चुनौतियों और तनावों के बावजूद घर अपनी सीमाओं के भीतर चल रहा है। क्या यह जीवन के निर्वाह का एकमात्र संभव तरीक़ा है?
इस रूढ़ीवादी छवि के बावजूद, जिसे हम विज्ञापनों में दोहराते हुए देखते हैं, गृहस्थी को सार्वजनिक नीति और सभी क्षेत्रों में अपनी ख़ुद की दुनिया के रूप में बनाया गया है। एगुइलर बताती हैं कि:
घर को ऐतिहासिक रूप से आधुनिक घरेलूपन के प्रतीकात्मक और भौतिक केंद्र के रूप में निर्मित किया गया है। यह परिवार के समान नहीं है। संगठन के गुण और विधि जिसे घर ने अपनाया है वह रिश्तेदारी के बंधनों से परे जाता है। एक घर एक या विभिन्न परिवारों से बना हो सकता है और यह सामाजिक वर्ग, क्षेत्र और रीति–रिवाजों के अनुसार भी अलग–अलग हो सकता है।
देखभाल और घरेलू काम की ज़िम्मेदारी प्रत्येक घर में भिन्न प्रकार की होती है। अधिकांश मामलों में, लॉकडाउन ने सामान्य रूप से देखभाल और रिश्तों की पारिवारिक ज़िम्मेदारी को मज़बूत किया है। लॉकडाउन ने उन सभी संपर्कों को सीमित कर दिया है जिसके माध्यम से घर के बाहर भी देखभाल के काम को संगठित किया जाता था, साथ ही इसने कुछ संबंधों पर कुछ दूसरे संबंधों पर प्राथमिकता देने के लिए भी मजबूर किया है।
महामारी ने हमारी अन्योन्याश्रयता को फिर से स्पष्ट और व्याख्यायित कर दिया है जो हमारे घरों का हिस्सा बन गया है: हम जिसे परिवार कहते हैं वह कई तरीक़ों से मिलकर बना होता है। इस वास्तविकता के कई उदाहरणों में से एक उदाहरण यह भी है कि जब एक यौनकर्मी, पामेला कटिप्पा, लॉकडाउन के पहले हफ़्तों के दौरान काम पर नहीं जा सकी, तो उसे उसके घर से निकाल दिया गया। यह मार्गरिटा थी, एक घरेलू कार्यकर्ता, जिसने उसे रहने के लिए जगह की पेशकश की।
आर्थिक निर्भरता और आवास की असुरक्षा वह वास्तविकता और बाधाएँ हैं जो हज़ारों महिलाओं और एलजीबीटीक्यू+ लोगों की कहानियों में लगातार सामने आती हैं। इन मामलों में, उनके घर की दीवारों से परे एक सुरक्षित घर बनाया गया है; इसकेलिए एक नेटवर्क बनाया गया है ताकि इसे निरंतर और लगातार चलाया जा सके। हालाँकि, लॉकडाउन उपायों ने घर के बाहर समर्थन खोजने की संभावनाओं को सीमित कर दिया है जब ये घर असुरक्षित स्थान हो जाएँ। यही कारण है कि कासा एंफ़िबिया (‘एम्फ़ीबियस हाउस’), एक सामाजिक संगठन जो नारीवादी आवास और स्थान निर्माण, भोजन और समर्थन के लिए समर्पित है, महामारी के दौरान हुई हिंसा के एक मामले को संबोधित करने और उसके लिए रास्ता निकालने में उनके भीतर किसी प्रकार की दुविधा नहीं थी। इसके सदस्यों में से एक इलियाना फुस्को ने अपने दृष्टिकोण के बारे में अधिक विस्तार से बताया:
लिंग आधारित हिंसा से बाहर निकलने के बारे में सोचने की कोई संभावना नहीं है अगर हम आवास के बारे में नहीं सोचते हैं, एक घर के बारे में, यह घर कैसे अस्तित्व में आएगा, इस घर को हासिल करने में कौन हमारी मदद कर सकता है। इस क्षण में, यह हम थे कॉमरेड जिन्होंने ख़ुद को संगठित किया और हमारे पास जो कुछ था – जो तकनीकी कौशल था – उसके साथ और पड़ोस के अन्य साथियों के साथ मिलकर हमने एक घर बनाने का फ़ैसला किया।
श्रम का लैंगिक विभाजन
घर के भीतर और बाहर दोनों जगह आवश्यक देखभाल कार्य का भार असंगत तरीक़े से महिलाओं और LGBTQ+ लोगों के ऊपर आ गया है। जैसा कि सिल्विया फ़ेडेरिसी ने पैट्रियार्की ऑफ़ वेज (2018) में इस ओर इशारा किया है, घरेलू काम घर की सफ़ाई से कहीं अधिक है। यह शारीरिक, भावनात्मक और यौन रूप से उन लोगों की सेवा करना है जो मज़दूरी करते हैं।
अर्जेंटीना के निजी घरों में कार्यरत 1.4 घरेलू श्रमिकों में से एक रीटा के मामले में यह स्पष्ट है।[7] रीटा सत्तर साल की हैं और पिछले चालीस सालों से बुज़ुर्गों के लिए घरों में जाकर स्वास्थ्य सेवा का काम करती हैं। महामारी की शुरुआत से उनके काम को आवश्यक माना गया है। वह इस डर से महामारी के पहले दो महीनों के लिए घर नहीं गईं कि वह अपने परिवार को COVID-19 से संक्रमित कर देंगी। हालाँकि उन्होंने अपने पति की तरह जीवन भर काम किया, रीटा हमेशा घरेलू कामों को करने की ज़िम्मेदारी आगे बढ़कर उठाती रही हैं:
महामारी से पहले मेरा जीवन बहुत अलग था। … मैं बुधवार दोपहर में [काम करने के लिए] गई और सोमवार दोपहर तक रही और फिर मैं [अगले] बुधवार को वापस आ गई। जब मैं सोमवार को घर गई तो मैं फिर से काम में लग गई, क्योंकि मेरे पति काम पर गए हुए थे और घर में सब कुछ अस्त-व्यस्त था; वह ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते क्योंकि वह सुबह 4 बजे काम पर जाते हैं और रात 8 बजे वापस आते हैं।
यहाँ तक कि ऐसे मामलों में जहाँ जैविक परिवार मदद के लिए सामने आया, अन्य चुनौतियाँ पेश आईं, जैसा कि एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता मारियाना रोजास के मामले में हुआ। मारियाना ने अपने काम के घंटों को बढ़ाने का फ़ैसला किया क्योंकि महामारी की वजह से ऐसा करना ज़रूरी हो गया था। इस दौरान वो कई महीने तक अपने बच्चे से नहीं मिल पाईं, बस उन्हें एक खिड़की से देख पाती थीं। मारियाना बताती हैं कि जब उन्होंने यह निर्णय लिया तो उनके [पूर्व पति] ने उसने कहा, “हाँ, इसमें कोई समस्या नहीं है। मैं काम पर नहीं जाऊँगा।” लेकिन इस समझौते के बावजूद इस दौरान आने वाली चुनौतियों को याद करते हुए वो कहती हैं:
मेरे पूर्व-पति को कोई समस्या नहीं थी; सब कुछ पहले से तय था, लेकिन जब [बच्चों के] स्कूल, स्कूल जाने के समय और अन्य सभी चीज़ों से निपटने का समय आया तो उन्हें इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था। वह हमेशा अपने काम को लेकर ही प्रतिबद्ध थे और अपने ख़ाली समय में बच्चों के साथ समय बिताते थे। हर एक पल उन्हें ख़ुद से पूछना पड़ता: मैं स्कूल जाने को लेकर क्या करूँ? होमवर्क का क्या करूँ? वे मुझे स्कूल की माँ क्यों कहते हैं? एक निश्चित समय के बाद हम ऐसा नहीं कर सकते थे क्योंकि सब कुछ बिखर रहा था। मेरी माँ को इन सबके बीच में आना पड़ा: [अब] स्कूलवर्क, स्कूल जाने के समय, मेडिकल ज़िम्मेदारियों, होमवर्क, मीटिंग्स आदि की ज़िम्मेदारी उन पर है...
मारियाना और उनके परिवार के लिए भूमिकाओं में परिवर्तन ने उन्हें उन सब चीज़ों के बारे में बात करने के लिए प्रेरित किया जिन्हें सामान्य मान लिया गया है: ‘परिवार के बीच का बंधन अलग प्रकार का होना चाहिए’, उन्होंने कहा, ऐसा न हो कि “मैं इस बात का ध्यान रखूँगी और तुम इस बात का ध्यान रखना”। ज़िम्मेदारियों का विभाजन समय के साथ स्थिर होता है; यह एक दिन में नहीं बदलेगा। एक पड़ोसी, एक चाची, एक दादी; यही वो लोग हैं जो आम तौर पर हमारी मदद के लिए आते हैं।
जब नारीवादी एक-दूसरे से उन संपर्कों के बारे में पूछते हैं जो जीवन को बनाए रखते हैं, उसी समय हम ख़ुद से पूछते हैं, कौन-सा जीवन है? जैसा कि मार्ता डिलन, एक समलैंगिक, पत्रकार और नारीवादी कार्यकर्ता ने बताया:
मेरे लिए, परिवार का मतलब इस बात से है कि हमारे बीच देखभाल का कैसा रिश्ता है और हमारे काम एक दूसरे को कैसे प्रभावित करते हैं। यह पत्थर की तरह स्थिर और जड़ नहीं है; यह कुछ ऐसा है जो हमेशा गति में रहता है। यह प्यार नहीं है जिससे एक परिवार बनाता है – यह प्यार और आपसी देखभाल, एक दूसरे के बीच ज़िम्मेदारियों को साझा करना है। यह स्नेह का समुदाय बनाता है, ज़िम्मेदारियों को साझा करता है। … पैरेंटिंग और देखभाल ऐसे कार्य हैं जिन्हें कई अलग–अलग तरीक़ों से किया जा सकता है। हमें और अधिक सामूहिक तरीक़े से लोगों की देखभाल करने में सक्षम होने की आवश्यकता है।
दैनिक चुनौती सामाजिक और भावनात्मक संबंधों का निर्माण करना है जो दूसरों के जीवन को बनाए रखे जो श्रम बाज़ार की ज़रूरतों या कुछ लोगों के मुनाफ़े के इर्द-गिर्द सिमटा हुआ न हो। यह चुनौती उस नारे में निहित है जो कहता है कि हम ‘सड़कों, प्लाज़ा और चादरों में’ सब कुछ बदलना चाहते हैं।
भाग 3: द रोबोट गर्ल
जिसका कोई नाम नहीं होता है, वह दिखाई भी नहीं देता है
इस बात को कम महत्व दिया जाता है कि अदृश्य और नारीवादी जगहों में सामाजिक पुनरुत्पादन पूँजी के संचय में मदद करता है जहाँ महिलाएँ गृहकार्य और देखभाल कार्य[8] करती हैं। एक अभाव, एक समस्या, या एक ख़र्च मानकर पुरुषों और राज्यों दोनों के द्वारा इस तरह के काम को संबोधित करने से परहेज़ किया गया है। यह आकस्मिक या स्वाभाविक नहीं है कि दुनिया भर में घर और देखभाल के काम की एक विशेषता हिंसा और असमानता है। बल्कि, वे सामाजिक निर्मिति है जो एक प्रतिमान से उपजा है जिसे आत्मनिर्भरता की झूठी धारणा द्वारा परिभाषित किया गया है और जो जीवन के सभी रूपों में भेद्यता और अन्योन्याश्रयता से इनकार करता है।[9] यह ‘छिपा हुआ पक्ष‘ है जो संपूर्ण सामाजिक आर्थिक प्रणाली को बनाए रखता है। [10]
यह तथ्य कि समाज को कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए जो काम और कामगार सबसे अधिक अपरिहार्य हैं, उनको सबसे कम पहचाना जाता है और उन्हें अपमानित भी किया जाता है: जैसा कि वर्कर्स क्लेक्टिव ऑफ़ नोर्डेल्टा, अर्जेंटीना (Colectivo de Trabajasas de Nordelta, अर्जेंटीना) की एवलिन कैनो ने कहा, ‘सभी ज़रूरी और नीरस काम- कपड़े साफ़ करना, भोजन तैयार करना, बच्चों को पालना- जीने के लिए आवश्यक हैं, और महामारी ने इस बात को साबित किया है।‘ जैसा कि क्विंटाना और रोको (2019) ने इसे स्पष्ट किया है, ‘रोबोट गर्ल’ के पीछे महिलाएँ और एलजीबीटीक्यू+ लोग हैं जिनका अपना जीवन, भावनाएँ और परियोजनाएँ हैं।
घर और देखभाल का काम का हमेशा अवमूल्यन, निजीकरण किया गया है और उसे अनौपचारिक रूप दिया गया है।[11] यहाँ तक कि जब इस काम का भुगतान किया जाता है, तो यह इन विशेषताओं को बनाए रखता है, जो असमान नियमों और क़ानूनों के साथ–साथ मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के माध्यम से और अधिक तीक्ष्ण हो जाता है। इस कार्य की नाम मात्र सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक और संस्थागत मान्यता इस क्षेत्र में सामाजिक असमानता को बढ़ाती है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (2016) के अनुसार, दुनिया भर में घरेलू और देखभाल श्रमिकों में से 80% महिलाएँ हैं-इनका अधिकांश हिस्सा एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में है- और लगभग 90% बिना किसी सामाजिक सुरक्षा के साथ अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करती हैं। जैसा कि एवलिन कैनो बताती हैं यह असमानता काफ़ी हद तक इस काम को परिभाषित करने के लिए आई है:
पूर्व धारणा यह थी कि घरेलू काम और महिलाओं के बीच का संबंध स्वाभाविक है, इस क्षेत्र में काम करने वाली 97% महिलाएँ हैं; यह अपने-आप में पूरी कहानी बयान करता है। हमारे पास संघ बनाने का अधिकार नहीं है और हममें से 75% जिस स्थिति में काम करती हैं उनके पास आपात स्थिति, कार्य संबंधी दुर्घटना, या जो कुछ भी हमारे साथ हो सकता है उसको लेकर कियी तरह की क़ानूनी सुरक्षा नहीं है।
नतीजतन, महामारी के दौरान एक घरेलू कार्यकर्ता के रूप में एवलिन कैनो ने कहा, ‘मैंने किसी और के घर में कोरोनवायरस की सफ़ाई करने का अनुबंध किया … हमारी स्थिति ख़राब हो गई और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हम पूरी तरह से अनौपचारिक परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। महामारी के दौरान वे हमारे साथ जो चाहें करते हैं’।
क़ानूनी अभाव, चूक, और अस्पष्टता इस सामाजिक अंधेपन का हिस्सा है, जो मौलिक अधिकारों की बहुतायत कमज़ोरियों और दुर्व्यवहारों की – कार्रवाई या चूक द्वारा – अनुमति देता है। जैसा कि अनडोमेस्टिकेटेड वर्कर्स (ट्रैबजोरदास नो डोमेकाडास) के पिलर गिल बताते हैं:
घरेलू कामगार … नहीं जानते कि हमारा काम कहाँ से शुरू होगा या कहाँ समाप्त होगा … क्योंकि यह क़ानून में नहीं लिखा हो जोकि लिखा जाना चाहिए। कई चीज़ें हैं जो ’भुला दी गई’ हैं… [जैसे] रात की पाली को विनियमित करना। [यह काम] अन्य प्रकार के काम की तुलना में बहुत कम विनियमित है, और इसकी कोई निगरानी प्रणाली नहीं है। हम लगातार उन लोगों के रहमोकरम पर निर्भर हैं जो हमें काम पर रखते हैं।
इंटर्सेक्शनल दृष्टिकोण से घर और देखभाल का काम
घरेलू काम और देखभाल का काम हमारे समाजों में व्याप्त नस्लवाद की क्रूरता को उजागर करता है।[12]
ग़रीब महिलाएँ और अश्वेत LGBTQ+ के लोग इस विकृत वास्तविकता का ख़ामियाज़ा भुगत रहे हैं। मौजूदा प्रणालीगत संकट में हम देख रहे हैं कि पूँजी किस तरह से अपने वर्चस्व और शोषण को सुदृढ़ करने के लिए एक बार फिर ख़ुद को व्यवस्थित कर रही है। पितृसत्तात्मक हिंसा, फासीवाद और नस्लवाद को उन तंत्रों और प्रौद्योगिकियों के रूप में पुन: प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसका उपयोग परिस्थितियों को बदलने के लिए किया जाता है। उत्पीड़न के विविध रूप एक ऐतिहासिक ऋण की मुद्रा और उत्पाद हैं जिसे महामारी, अलगाव, वस्तुकरण, भेदभाव, और हिंसक जीवन, निकायों और मौलिक अधिकारों के हनन ने और अधिक तेज़ कर दिया है।
हिंसा के विविध रूप अंदर और बाहर से इन श्रमिकों के शरीर पर अपना प्रभाव डालते हैं। नॉर्डेल्टा के वर्कर्स कलेक्टिव, अर्जेंटीना की मर्सिडीज ने इस हिंसा के बारे में अपना अनुभव साझा किया:
मेरे लिए और कुछ मायने नहीं रखता था; इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि उन्होंने मुझे निकाल दिया … मैं किसी भी अपमान और भेदभाव के साथ काम नहीं कर सकती थी जिस हिंसा का मुझे सामना करना पड़ता, जब मैं अपना काम करने जाती थी, जिसे महामारी के दौरान वे ‘आवश्यक’ काम कहते हैं।
कई महिला श्रमिकों के लिए यह दुर्दशा उपनिवेशवाद के ऐतिहासिक प्रभाव का ही और अधिक विस्तार है। यह वर्चस्व प्रत्येक व्यक्ति पर भिन्न प्रकार से काम करता है। यह वर्चस्व और अधिक स्पष्ट हो जाता है जब प्रवासी महिलाओं की बारी आती है जिन्हें आधुनिक समय की दास्ता की नस्लीय और हिंसक दौर का सामना करना पड़ता है। जैसा कि घरेलू क्षेत्र–मैड्रिड की राफ़ाएला पिमेंटेल लारा ने बताया, ‘प्रवासी महिलाएँ इस नस्लवाद को एक बोझ की तरह ढोती हैं… अश्वेत महिलाएँ, स्वदेशी महिलाएँ… जिस तरह से यह काम किया जाता है वह ग़ुलामी की याद दिलाता है। जब प्रवासियों की बात आती है, तो उनके काम को मान्यता नहीं दी जाती है।’ मर्सिडीज इस बिंदु का विस्तार करते हुए बताती हैं और श्रम के विनिमय और सामाजिक अधिकारों तथा नियोक्ताओं के हाथों प्रवासी पर होने वाली हिंसा की ओर हमारा ध्यान आकर्षिक करती हैं:
मैंने अप्रवासी कॉमरेडों के साथ काम किया, जिन्हें उनके नियोक्ताओं द्वारा आवास प्रदान किया जाता है और उनके साथ भेदभाव किया जाता है वो हमसे दो गुणा बुरा है। वे उन्हें आराम नहीं करने देते, वे उनकी स्थिति का लाभ उठाते हैं क्योंकि उनको देखने वाला कोई नहीं है… उन्होंने मुझसे लड़कियों के लिए एक हज़ार बार पूछा है और जब वे आपसे पूछते हैं, तो वे कहते हैं, ‘अगर वे पैराग्वे या पेरू से हैं तो बेहतर है’ और ख़ुद से मैं कहती हूँ ‘… क्यों नहीं, क्योंकि अगर वे प्रवासी हैं, तो आप उनका और भी अधिक शोषण कर पाएँगे।’
ये महिला कार्यकर्ता देखभाल के काम के सबसे अग्रिम पंक्ति पर हैं और दयनीयता, हिंसा और दुर्व्यवहार की शृंखला की ‘सबसे कमज़ोर कड़ी’ हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में, अनिश्चितता और हिंसा को न केवल अनदेखा किया जाता है, बल्कि आर्थिक पदानुक्रम को बनाए रखने के लिए इसे सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया जाता है।
श्रम, सामाजिक और आर्थिक हिंसा अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की ऐसी सच्चाई है जिससे सभी प्रवासी श्रमिक परिचित हैं। डेलिया, नारीवादी अप्रवासी और नी ऊना माइग्रेंते मेनोस (‘एक भी प्रवासी [महिला] कम नहीं’) की सदस्य ने इस वास्तविकता के बारे में बात की:
लोगों का जो शोषण हो रहा है, वह और भी अधिक होने वाला है। यदि हमारे पास अब काम नहीं है, तो निश्चित रूप से बाद में भी काम नहीं होगा। फिर निश्चित रूप से हमें जो कुछ भी मिलेगा हम उसे ही स्वीकार कर लेंगे: वे जो वेतन देते हैं, वे हम पर जो शर्तें थोपेंगे हम इसे स्वीकार कर लेंगे क्योंकि हमें अपने परिवारों के लिए पैसे कमाकर लाने की आवश्यकता होगी। और हममें से जो प्रवासी हैं, उन्हें इस बात की भी चिंता करनी पड़ेगी कि कुछ पैसे अपने परिवार के पास भी भेज सकें जिससे उनका गुज़ारा हो सके। … निश्चित रूप से उनमें से कई जो दूसरे देशों में पलायन करने के बाद वापस [अर्जेंटीना] आ गए… फिर से पलायन करने जा रहे हैं। लेकिन वे पहले से भी बदतर परिस्थितियों में पलायन करेंगे।
वे बदतर परिस्थितियों में पलायन करेंगे क्योंकि महामारी के दौरान स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के प्रभावित होने के परिणामस्वरूप श्रमिकों के अधिकारों को वापस ले लिया गया था क्योंकि जीवन की परिस्थितियाँ बहुत अनिश्चित हो गई थीं। इस वजह से जिन श्रमिक के पास सबसे कम सुरक्षा है उनके पास ही काम है। इसके बावजूद, श्रमिक पूँजी की उन्नति के विकृत और व्यवस्थित तर्क का सामना करते रहते हैं, संकटों को गहरा करने में जिनकी स्पष्ट भूमिका रही है।
पलायन अस्तित्व बचाने की एक रणनीति है, लेकिन यह एक बहुआयामी और ग़ैर–रैखिक मार्ग भी है जो ख़ुद को उन लोगों के लिए प्रस्तुत करता है जो यौन, आर्थिक, संस्थागत और पारिवारिक हिंसा से बचने का फ़ैसला करते हैं। घरेलू काम अक्सर उन लोगों के लिए एकमात्र विकल्प होता है जो इस रास्ते पर चलते हैं और जो क़ानूनी रूप से मान्यता प्राप्त काम हासिल करने और अपना आत्मसम्मान और साख को पुनः प्राप्त करने के लिए आर्थिक रूप से स्वायत्तता प्राप्त करने का अवसर हासिल करते हैं। सामूहिक कार्यक्षेत्रों में वे विरोध करने के लिए बहनचारा, मित्रता, और एकुएरपमिएंतो, सामूहिक ऊर्जा हासिल करते है।[13] इन स्थानों में, वे बलिदान और दायित्व से परे पहुँचने और सीखने, आनंद और सामूहिकता प्राप्त करने में सक्षम हैं।.
इन श्रमिकों को कई प्रकार से शोषण का सामना करता है इसके बावजूद हज़ारों कॉमरेडों ने रचनात्मक रूप से शक्तिशाली और मुक्तिकामी प्रतिरोध का निर्माण किया है। जैसा कि ब्यूनस आयर्स में निजी घरों की सफ़ाई करने वाले श्रमिकों का कहना है, ‘पितृसत्ता को डोलना चाहिए। [हम नहीं हैं] घरेलू या पालतू; अधीन या समर्पित नहीं हैं। [हम] जंगली हैं।’ इसमें डोमेस्टिक टेरिटरी के कॉमरेड ने जोड़ा: ‘हम इस दुनिया को चलाते हैं और हम इस दुनिया को बदल देंगे [क्योंकि] गृहकार्य और देखभाल के काम को बदलने के लिए उन सभी चीज़ों में क्रांतिकारी बदलाव करना होगा जो इसके जड़ों में है।’ घरेलू और देखभाल का काम करने वाले श्रमिक सिर्फ़ यह नहीं कहते हैं कि ‘बहुत हुआ’; वे चलते हैं, व्यवस्थित करते हैं, और चीज़ों को हिलाते हैं।
भाग 4: ततैया के छत्ते में हाथ डालने वाली पीढ़ी
नवउदारवाद दशकों से हमेशा एक ही निकायों पर बोझ डालती रही है। मज़दूरी आधारित समाज के संकट ने काम के असमान वितरण को नहीं बदला, और न ही इसने सभी जीवन के अभिन्न तत्व के रूप में इसे मान्यता दी – बावजूद इसके कि किस तरह नारीवाद ने लंबे समय तक इस चर्चा का राजनीतिकरण किया है।
हम उन कॉमरेडों के कंधों पर खड़े हैं जो लंबे समय से उन लोगों के काम की तरफ़ सबका ध्यान आकर्षित करने के लिए ततैया के छत्ते में हाथ डाल रहे हैं जो घरेलू कामगार, गृहकार्य, और हमारे समाजों को बनाए रखने और उनका पुनरुत्पादन करने के लिए देखभाल का काम करने में बुनियादी भूमिका निभाते हैं। 1970 के दशक में घरेलू काम को पहचान दिलाने की लड़ाई जो घरेलू काम के लिए अंतर्राष्ट्रीय पारिश्रमिक का अभियान (IWFHC) के गठन से लेकर भारत में मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (ASHA) श्रमिकों द्वारा पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE), उनको मान्यता देने और पारिश्रमिक की माँग, और दक्षिण अफ्रीका में नर्सों द्वारा पारिश्रमिक, परीक्षण किट, PPE और बेहतर स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए संघर्ष,[14] ये सभी ऐसी संघर्षशील कहानियाँ हैं जो हम में से उनके लिए संदर्भ बिंदु हैं जो आज इन चर्चाओं को पुनर्जीवित करना चाहते हैं। यही वे संघर्ष हैं जो थॉमस सांकरा ने बुर्किना फ़ासो में किया, जहाँ उन्होंने एकजुटता का एक दिन तय किया, जिस दिन पुरुष घरेलू देखभाल का काम करते हैं, यह एक ज़रिया है जिससे उस एजेंडे के आगे रखा जाए जो निजी दायरों से बाहर है साथ ही उन समिकरणों का राजनीतिकरण भी किया जाए जिसके तहत घरों के भीतर काम होता है और जिसे हिंसा के साथ-साथ असमानता द्वारा लगातार जारी रखा जाता है। ये वे संघर्ष हैं जो वेनेजुएला और इक्वाडोर के संविधान में लिखे गए हैं, उदाहरण के लिए सिर्फ़ दो नाम दिए गए हैं, जो गृहकार्य को आर्थिक गतिविधि के एक हिस्से के रूप में मान्यता देता है।
महामारी ने एक वास्तविकता को उजागर किया है जो लंबे समय से असमानता, अन्याय और विषमता के मिश्रण के रूप में हिंसक रूप से समाज में अंतर्निहित है। जिन्हें बिना थके लगातार काम करना पड़ता है, चाहे उसके लिए उन्हें मेहनताना मिलता हो या नहीं, उन्हें घर के बाहर काम करना पड़ता हो या भीतर, उनके शरीर तथा जीवन पर होना वाला उत्पीड़न लगतार बद से बदतर होता जा रहा है। लॉकडाउन, सामान्य अलगाव और आवाजाही पर प्रतिबंध से उन लोगों पर बहुत बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है जो दैनिक मज़दूरी करते हैं; जिनके श्रम अधिकार की कोई मान्यता नहीं है; और जो आवास की कमी या आवास या भूमि असुरक्षा से प्रभावित हैं। स्वास्थ्य संकट के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया के रूप में लॉकडाउन ने पारिवारिक तर्क को और मज़बूत किया जिसने हिंसा, उत्पीड़न और शोषण के पैटर्न को अधिक सुदृढ़ किया है।
मुश्किल समय में, जीवन को बनाए रखने वाले नेटवर्क को मज़बूत किया जाता है, बदलती वास्तविकता के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए संघर्ष किया जाता है, और एकजुटता को ध्यान में रखा जाता है। संघर्ष श्रव्य हो जाते हैं; सामुदायिक आघात दिखाई देने लगता है; और रिश्तेदारी के अन्य रूप रक्त संबंध के बजाय राजनीति और ज़मीन के इर्द-गिर्द बनने लगते हैं। इस अलगाव प्रणाली का सामना करते हुए कई महिलाएँ और एलजीबीटीक्यू+ लोग विभिन्न स्थानों में शामिल हो जाते हैं और संघर्ष के मोर्चों को नया अर्थ देते हैं: एक पार्क जहाँ वे उस व्यक्ति को लेकर आते हैं जिसकी वे देखभाल कर रहे हैं, एक सामुदायिक रसोईघर, पड़ोस में एक गली का कोना, बस स्टॉप, कोने की दुकान और स्कूल के दरवाज़े सामूहिकता के निर्माण के अवसर प्रदान करते हैं।
इस प्रक्रिया के एक भाग के रूप में, जिसे हम घर कहते हैं उसका राजनीतिकरण किया जाता है; इसकी सीमाएँ विस्तृत और गतिशील हो जाती हैं। ‘हैप्पी होम’ की आधिपत्यवादी छवि पितृसत्तात्मक हिंसा के केंद्रीय स्थल के रूप में उभरकर सामने आती है। घर के भीतर श्रम के अन्यायपूर्ण लैंगिक विभाजन को घर के बाहर दोहराया जाता है। इसे बदलने के लिए हमें इसकी नींव को फिर से देखना होगा, भावनात्मक देखभाल नेटवर्क को मज़बूत करना होगा, और पितृसत्तात्मक परिवार के आदेशों की फिर से पड़ताल करनी होगी। हम जिसे घर कहते हैं उसपर और उसके भीतर की भूमिकाओं पर सवाल खड़े करना उन प्रक्रियाओं और उन समिकरणों को चुनौती देना और साथ–साथ घर की सीमाओं का विस्तार करना इसका हिस्सा है। हमें घर की सीमाओं को विस्तृत करना होगा और अन्य प्रकार की ज़िम्मेदारियों और रिश्तों को फिर से निर्मित करना होगा।
इस पूरे डोजियर में हमने कुछ सामान्य विषयों की पहचान की है: एक तरफ़ स्त्रीत्व और देखभाल कार्य में वृद्धि जिसको बनाए रखने में – घरों में, पड़ोस में और कार्यस्थल पर – दूसरों की इच्छा नहीं होती है तो दूसरी तरफ़ दैनिक प्रतिरोध जो सामूहिक समझदारी से पैदा होती है तथा स्थितियों और स्थितियों को नया अर्थ देती है। दिनचर्या, मौन और क्रूरता का सामना हँसी से, गले लगकर और यहाँ तक कि नृत्य और गीत से भी होता है। प्रतिरोध के रूपों के अंतर्संबंधों में अन्य संभावित दुनिया को फिर से बनाया और आकार दिया जाता है। इस संकट के दायरे का नारीवादी और सामूहिक निदान नये जीवन के निर्माण के लिए औज़ार का निर्माण करना है जो कि हम चाहते हैं।
धन्यवाद–ज्ञापन
मापेओस फ़ेमिनिस्तास क्लेक्टिव ने ट्राइकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान (अर्जेंटीना) के साथ मिलकर इस डोजियर को तैयार किया है। इस डोजियर को तैयार करने में जमीनी नारीवादी उग्रपंथी एना जूलिया बुस्टनस (एक दार्शनिक, प्रोफ़ेसर और शोधकर्ता); कैमिला बैरन (एक अर्थशास्त्री और पागीना 12 के नारीवादी परिशिष्ट की लेखिका); मागदालेना रोग्गी (एक समाजशास्त्री, प्रोफ़ेसर और लोकप्रिय शिक्षक); जोसेफिना रोको (अंतर्राष्ट्रीय तथा अंतरसांस्कृतिक अध्ययन में डॉक्टरेट); और माइसा बासकुआस (एक राजनीतिक वैज्ञानिक, प्रोफ़ेसर और ट्राइकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान के साथ शोधकर्ता) में मुख्य रूप से अपना योगदान दिया है।
उस समुदाय के अभिभावक जिनके साथ हमने डाजियर तैयार करते हुए सामूहिक देखभाल कार्य और इसकी चुनौतियों पर विचार की है उनमें शामिल हैं: जेनेट मेंडिएटा (अर्जेंटीना वर्कर्स सेंट्रल यूनियन), लुसेरो आयला और शिर्ली ब्रिटचेज़ (डिपोपुलर मूवमेंट फ़ॉर डिग्निटी), मारिया बेनिटेज़ (फ़ेडरेशन ऑफ़ ग्रासरूट्स ऑर्गनाइजेशन), लूर्डेस डुरान (फ़ेमिनिस्ट असेंबली ऑफ़ सोलडाटी), एनालिया जारा (ला एनरामादा, जिसका अर्थ है होता है ‘जुड़ी हुई शाख़ें’), लुज़ बेज़ेरानो (ट्रांसजेंडर मूवमेंट ऑफ़ अर्जेंटीना), और सिल्विया कैंपो (एनसुएंत्रो दे और्गनाजेसियों, जिसका अर्थ है ‘सामाजिक संगठनों का एक विस्तृत नेटवर्क’)।
संघर्ष के स्थल के रूप में घर के बारे में जिनसे चर्चा हुई उनमें प्रमुख हैं: रीता कैबरेरा; पामेला कुटिपा (एक यौनकर्मी); मारियाना रोजास (संगठन नुएस्त्रा अमरीका या ‘आवर अमेरिका’ नामक संगठन की सदस्य); मार्ता डिलन (एक पत्रकार और नी ऊना माइग्रेंते मेनोस, बोलीविया/ ‘एक भी प्रवासी [महिला] कम नहीं’); एस्टीफ़ी बारोन; सोफ़िया डी लुका बस्टोस; अर्जेंटीना के राष्ट्रीय वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान परिषद (CONICET) की पाउला एगुइलर; रोसीओ लीबाना (माला जुंटा/बैड एंफ़्लुएंस); इलियाना फुस्को (कासा एंफ़िबिया/एम्फीबियस हाउस); और रूबी फ़ागियोली (कोलेक्टिवा काराकोला/‘स्नेल क्लेक्टिव ’)।
‘रोबोट गर्ल’ के बारे में चर्चा अर्जेंटीना, बोलीविया और स्पेन में घरेलू और देखभाल श्रमिकों के साथ बातचीत के आधार पर तैयार की गई है। एवलिन कैनो और मर्सिडीज (वर्कर्स कलेक्टिव ऑफ नोर्डेल्टा, अर्जेंटीना); डेलिया कोलक (नी ऊना माइग्रेंते मेनोस, बोलीविया/ ‘एक भी प्रवासी [महिला] कम नहीं’); पिलर गिल पास्कुअल और लिज़ क्विंटाना (अनडोमेटिकेटेड वर्कर्स – बास्क कंट्री); और राफ़ाएला पिमेंटेल लारा (डोमेटिकेटेड टेरीटरी–मैड्रिड) ने अर्जेंटीना, बोलीविया और स्पेन के विभिन्न हिस्सों में देखभाल और घरेलू कामगारों की व्यापक स्थितियों, अनुभवों और भावनाओं जानने–समझने में हमारी मदद की है।
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Notes
[1] Translator’s note: barrio popular is translated in this text as ‘working-class neighbourhood’. The term popular implies ‘popular’ or ‘of the people’, but because this literal translation does not carry the same fluidity, here we chose to use the term ‘working-class’, the closest commonly used substitute in this context. In other instances, we used the terms ‘grassroots’ (such as ‘grassroots feminist’ to mean feminista popular), ‘popular’, or ‘people’s’.
[2] Translator’s note: The term ‘popular economy’ refers to strategies of economic subsistence that poor workers who are excluded from the formal labour market develop to guarantee the reproduction of their lives, such as working as street vendors, collecting recycling and trash, urban farming, etc.
[3] Federici and Austen, Wages for Housework; James and Dalla Costa, The Power of Women and the Subversion of the Community; Larguía and Doumolin, Towards a Science of Women’s Liberation; Federici, Revolution at Point Zero.
[4] Gago, La potencia feminista.
[5] Excerpt from a speech from Deolinda Carrizo of the MOCASE during the launch of the Secretariat of Women and Diversities of the Union of Workers of the Popular Economy (UTEP), 8 March 2020. Translator’s note: Olla popular often refers to a single pot used to provide food for the people, sometimes in the corner of a park or plaza.
[6] Fraser, ‘Contradictions of Capital and Care’.
[7] Ministry of Labour, Employment and Social Security (Buenos Aires), Condiciones de empleo, trabajo y salud de Trabajadoras Domésticas de Casas Particulares, April 2020.
[8] Roco, Trabajadoras no Domesticadas.
[9] Navarro Trujillo and Gutiérrez, “Claves para pensar la interdependencia desde la Ecología y los Feminismos”; Gonzalez Reyes, Gascó, and Herrero, La vida en el Centro.
[10] Carrasco, ed. Con voz propia.
[11] Carrasco, Borderias, and Torns, eds. El trabajo de cuidados.
[12] Moscoso, ‘Guayaquil, the “Colonial” Virus’; Parello Rubio, Mujer, inmigrante y trabajadora; Colectivo IOÉ, Mujer, inmigración y trabajo.
[13] Acuerpamiento is a term used to refer to the collective political act of bodies, or cuerpos, in order to provide the political energy to resist and defeat multiple oppressions.
[14] Tricontinental: Institute for Social Research, CoronaShock and Patriarchy; Tricontinental: Institute for Social Research, Health Is a Political Choice.