प्यारे दोस्तों,
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।
2012 में रियो डी जनेरियो (ब्राजील) में हुए सतत विकास संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में, सदस्य देशों ने सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों (जिन्हें 2000 में स्थापित किया गया था) को हटाकर सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को अपनाने का निर्णय लिया। पहला एसडीजी ‘हर जगह से गरीबी के सभी रूपों को समाप्त करना‘ था। इन उत्साहपूर्ण शब्दों के बावजूद, यह स्पष्ट था कि पूरी दुनिया से ग़रीबी खत्म नहीं की जाने वाली है। आंकड़ों के अनुसार गरीबी कोविड-19 महामारी से पहले ही, लाइलाज हो गई थी।
अक्टूबर 2022 में, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल ने वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022 जारी किया। इस रिपोर्ट के अनुसार 111 विकासशील देशों में कम से कम 120 करोड़ लोग गंभीर बहुआयामी गरीबी में रहते हैं। रिपोर्ट के शीर्षक में उल्लिखित ‘डेप्रिवेशन बंडल‘ पड़ताल करते हैं कि कैसे सौ करोड़ से भी अधिक लोग बहुत सारी जरूरी सुविधाओं से महरूम हैं। उदाहरण के लिए, रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘लगभग आधे गरीब लोग (यानी 47.01 करोड़) पोषण और स्वच्छता दोनों से वंचित हैं, जो संभावित रूप से उन्हें संक्रामक रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। इसके अलावा, आधे से अधिक गरीब लोग (59.33 करोड़) खाना पकाने के ईंधन और बिजली दोनों से वंचित हैं‘। ये ‘डेप्रिवेशन बंडल‘ – जैसे बिजली और खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन का अभाव – अरबों लोगों द्वारा अर्जित निम्न आय के दुष्प्रभाव को और बढ़ा देते हैं।
2017 में, विश्व बैंक ने कहा कि गरीबी के आँकलन के लिए निर्धारित प्रति दिन 1.90 डॉलर प्रति दिन की आय सीमा बहुत कम थी। उन्होंने प्रति दिन 2.15 डॉलर प्रति दिन की नई गरीबी रेखा निर्धारित की, जिसके नीचे 70 करोड़ से भी अधिक लोग थे। विश्व बैंक की 2022 गरीबी एवं साझा समृद्धि रिपोर्ट 2019 के आंकड़ों का उपयोग करते हुए दिखाती है कि यदि गरीबी रेखा प्रति दिन 3.65 डॉलर प्रति दिन निर्धारित की जाए तो दुनिया की 23 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे आ जाएगी।यदि यह रेखा 6.85 डॉलर प्रति दिन पर निर्धारित की जाती है, तो दुनिया की लगभग आधी आबादी (47 प्रतिशत) गरीबी रेखा से नीचे चली जाएगी।। ये आंकड़े भयावह हैं।
अजीब बात यह है कि ‘डेप्रिवेशन बंडल‘ पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में चीन में चले अत्यधिक गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम का उल्लेख ही नहीं किया गया। 25 फरवरी 2021 को, चीनी सरकार ने घोषणा की थी कि चीन की जनता के प्रयासों से गरीबी रेखा के नीचे रह रहे अंतिम 10 करोड़ लोगों को गरीबी से निकालकर गरीबी को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। जून 2021 में, एसडीजी की स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षा करते हुए चीन के समीक्षकों ने लिखा कि, ‘वर्तमान गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले सभी 9 करोड़ ग्रामीण निवासियों को गरीबी से बाहर निकाल लिया गया है, [और] यह निर्धारित समय सीमा से 10 साल पहले ही 2030 एजेंडा के गरीबी उन्मूलन लक्ष्य की प्राप्ति को दर्शाता है।‘ समीक्षा में कहा गया कि, ‘चीन के चावल की टोकरी उसके लोगों के हाथों में महफ़ूज़ है‘। कुछ महीने बाद, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ‘सभी रूपों और आयामों में गरीबी हटाने के लिए, जो कि दुनिया की प्रमुख चुनौतियों में से एक है‘ चीन की ‘मजबूत प्रतिबद्धता और महत्वपूर्ण प्रगति‘ की सराहना की। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र के एक पूर्व अधिकारी द्वारा किया गया एक अध्ययन चीनी आंकड़ों का विरोध करने के बावजूद चीन की इस उपलब्धि की विशालता को स्वीकार करता है। अप्रैल 2022 में, विश्व बैंक और चीनी स्टेट काउंसिल के विकास अनुसंधान केंद्र ने चीन में एक महत्वपूर्ण अध्ययन ‘गरीबी उन्मूलन के चार दशक‘ जारी कर इस ऐतिहासिक उपलब्धि की कार्यप्रणाली को उजागर किया था। लेकिन फिर भी, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने न तो चीन द्वारा पूर्ण गरीबी के उन्मूलन को रेखांकित किया, और न ही चीन की इस अभूतपूर्व उपलब्धि का विश्लेषण करने की कोशिश की।
ट्राइकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की चीन के पूर्ण गरीबी उन्मूलन अभियान में बहुत रुचि रही है। जुलाई 2021 में, हमने ‘सर्व द पीपल: द इरैडिकेशन ओफ़ एक्स्ट्रीम पावर्टी इन चाइना‘ नाम से एक अध्ययन प्रकाशित किया था, जिसमें हमने चीन सरकार और चीनी सामाजिक संस्थानों द्वारा गरीबी की कमर तोड़ने के लिए इस्तेमाल किए गए उपायों को उजागर किया। चीन की उपलब्धि, हमने लिखा था, ‘न तो कोई चमत्कार है और न ही संयोग, बल्कि यह उसकी समाजवादी प्रतिबद्धता का प्रमाण है‘। यही ‘समाजवादी प्रतिबद्धता‘ 1949 के बाद से चीन में जो कुछ हो रहा है उसके बारे में हमारी समझ को पोषित करती है। चीन की ‘समाजवादी प्रतिबद्धता‘ के विचार और अत्यधिक गरीबी के उन्मूलन के बारे में वेन्हुआ ज़ोंगहेंग के दूसरे अंतर्राष्ट्रीय संस्करण ‘चाइना‘स पाथ फ़्रोम एक्स्ट्रीम पावर्टी तो सोशलिस्ट मॉडर्नाइज़ेशन‘ में भी विस्तार से लिखा गया है। इस अंक में तीन महत्वपूर्ण निबंध शामिल हैं:
1. लॉन्गवे फाउंडेशन द्वारा लिखा गया ‘सोशलिज़म 3.0: द प्रैक्टिस एंड प्रोस्पेक्ट्स ओफ़ सोशलिज़म इन चाइना‘
2. ली जियाओयुन और यांग चेंगक्स्यू द्वारा लिखा गया ‘द बैटल अगेंस्ट पॉवर्टी: एन अल्टरनेटिव रिवोल्यूशनरी प्रैक्टिस इन चाइनाज़ पोस्ट–रिवोल्यूशनरी एरा‘
3. वांग शियाओयी द्वारा लिखा गया ‘हाउ टारगेटेड पावर्टी एलीवीएशन हैज़ चेंज्ड द स्ट्रक्चर ओफ़ रुरल गवर्नन्स इन चाइना‘
लॉन्गवे फाउंडेशन और ली ज़ियाओयुन और यांग चेंगक्स्यू के लेख उत्पादन–संबंधों को बदलने और सामाजिक धन के विस्तार की दोहरी रणनीति के साथ, चीन की समाजवादी परियोजना के ऐतिहासिक चरणों में गरीबी उन्मूलन के महत्व को रेखांकित किया गया है। ली और यांग ने गरीबी उन्मूलन अभियान के लक्षित चरण के दौरान चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व, और 2014 में किए गए सर्वेक्षणों में भाग लेने वाले 800,000 कैडरों की भागीदारी, लगभग दो साल के लिए ग्रामीण इलाक़ों में रहने के लिए भेज़े गए 30 लाख कैडरों की भूमिका और गरीबी की ख़िलाफ़ इस जंग में मारे गए 1,800 कैडरों का ज़िक्र किया। सीपीसी के नेतृत्व में चलाए गए इस विशाल परिवर्तन ने पार्टी के नैतिक अधिकार को फिर से स्थापित किया और समाजवाद तथा सामाजिक न्याय के मुद्दे को चीन की आम चर्चाओं के केंद्र में ला दिया।
वांग शियाओयी का लेख हमें ग्रामीण इलाकों में ले जाता है, जहां गरीबी की समस्याएँ किसी समय लाइलाज लगती थीं। यह लेख दिखाता है कि 1978 के बाद के सुधार काल के दौरान बड़े पैमाने पर हुए प्रवासन और ग्रामीण संस्थानों के क्षरण ने किस तरह से ग्रामीण इलाक़ों को खोखला कर दिया था। वांग बताते हैं कि ग्रामीण संस्थानों का पुनर्निर्माण करना चीन के अत्यधिक गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम की केंद्रीय योजना थी, जो कि माओत्से तुंग युग के अभियान–शैली शासन से प्रेरित प्रयोगों के अंतर्गत 30 लाख सीपीसी कैडर को ग्रामीण इलाकों में भेज कर सफल बना। वांग को उम्मीद है कि अत्यधिक गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत बना नया ग्रामीण बुनियादी ढांचा भविष्य में भी कायम रहेगा; जिसमें ग्राम समितियों के माध्यम से ‘सार्वजनिक मामलों में ग्रामीणों की उच्च स्तर की भागीदारी‘ भी शामिल है।
वेनहुआ ज़ोंगहेंग के इस दूसरे अंक में शामिल निबंधों ने जो मुख्य बिंदु उजागर किया वो यह है कि समाजवाद का सिद्धांत और समाजवादी बुनियादी ढाँचा – विशेष रूप से सीपीसी – जिसने इसे सक्षम बनाया, अत्यधिक गरीबी के उन्मूलन के लिए अपरिहार्यहैं। समाजवादी आधुनिकीकरण के चीनी मार्ग को दूसरे देशों के लिए मॉडल के रूप तब तक नहीं देखा जा सकेगा जब तक कि ये देश भी अपने कार्यक्रमों को समाजवादी आधार पर नहीं अपनाते। चीन में केवल नकद हस्तांतरण योजनाओं या ग्रामीण चिकित्सा कार्यक्रमों जैसे उपाय करके गरीबी का उन्मूलन नहीं हुआ, हालांकि ये भी मूल्यवान नीति विकल्प हैं: वहाँ मानव गरिमा जैसे विचार और उन्हें दुनिया में साकार करने की समाजवादी प्रतिबद्धता से प्रेरित होकर गरीबी को ख़त्म किया गया था।
जब हमारे शोधकर्ताओं की टीम अत्यधिक गरीबी उन्मूलन के कार्यक्रमों का अध्ययन करने के लिए गुइझोउ प्रांत में वांगजिया समुदाय में गई, तो उनकी मुलाकात हे यिंग से हुई। हे यिंग एक गरीब प्रवासी मजदूर थीं और गरीबी से बाहर आने के प्रयासों के दौरान सीपीसी नेता बन गईं। ऑल–चाइना विमेन फेडरेशन की सदस्य होने के नाते यिंग ने बताया कि कैसे वह नव–प्रवासित किसान महिलाओं के साथ काम करती हैं ताकि उनमें अपनी वास्तविकता को बदलने का विश्वास दिलाया जा सके। रूढ़िवादी ग्रामीण जीवन को पीछे छोड़ कर, अब हे यिंग आवास परिसरों के एक समुदाय में रहती हैं जहां किंडरगार्टन, प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मौजूद हैं। उन्होंने शोधकर्ताओं को अपने पुराने और जीर्ण–शीर्ण घर की तस्वीरें दिखाते हुए रूमानियत के बिना लेकिन वफादारी की भावना के साथ कहा – ‘मैं अपने बच्चों को अपने पुराने गांव में वापस लाऊंगी ताकि वे कल की जिंदगी को याद कर सकें और आज की जिंदगी को संजो सकें।‘
स्नेह–सहित,
विजय।