प्यारे दोस्तों,
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।
21 नवंबर 2022 को माली के अंतरिम प्रधान मंत्री, कर्नल अब्दुलाय मागा ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर सरकार के निर्णय की घोषणा की कि ‘माली में काम कर रहीं [फ़्रांसीसी] एनजीओ की सभी गतिविधियों पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया जाए।‘ इस घोषणा से कुछ समय पहले फ़्रांसीसी सरकार ने माली की आधिकारिक विकास सहायता (ODA) यह कह कर बंद कर दी थी कि माली सरकार ‘रूस के वैगनर सैनिकों से संबद्ध है‘। (वैगनर ग्रूप, रूस में एक निजी सैन्य कंपनी है)। मागा ने कहा कि फ़्रांस का दावा एक ‘काल्पनिक आरोप‘ है और ‘माली को अस्थिर व आइसोलेट करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जनता की राय मैनिप्युलेट करने का तरीक़ा है‘।
उत्तरी अफ़्रीका के जिन क्षेत्रों में फ़्रांस का औपनिवेशिक शासन रहा था, उपरोक्त हलचल वहाँ के एक नये मूड की नवीनतम अभिव्यक्ति है। अल्जीरिया से बुर्किना फासो तक, उत्तरी अफ़्रीका के देशों में (2002 में कोटे डी आइवर के साथ शुरू हुए) फ़्रांस के वर्तमान सैन्य हस्तक्षेप और विभिन्न मौद्रिक व्यवस्थाओं – जैसे दिसंबर 2019 तक फ़्रांसीसी ट्रेजरी के नियंत्रण में रहे सीएफ़ए फ्रैंक का मुद्रा के रूप में इस्तेमाल आदि – के ज़रिए पश्चिम एवं मध्य अफ़्रीका के चौदह देशों के निरंतर आर्थिक अलगाव पर सवाल उठ रहे हैं। बुर्किना फ़ासो और माली – दोनों सेना द्वारा शासित देश – ने हाल के वर्षों में फ़्रांसीसी सैनिकों को अपने क्षेत्रों से बाहर खदेड़ा है। दूसरी ओर पश्चिम अफ़्रीकी आर्थिक और मौद्रिक संघ (UEMOA) के आठ देश और मध्य अफ़्रीका के आर्थिक और मौद्रिक समुदाय (CEMAC) के छह देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को धीरे–धीरे फ़्रांसीसी नियंत्रण से मुक्त कराने के प्रयास कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, 2019 में UEMOA, पश्चिम अफ़्रीकी देशों द्वारा फ़्रांस की ट्रेजरी में अपने विदेशी मुद्रा भंडार का आधा हिस्सा रखे जाने की शर्त को ख़त्म करवाने और आर्थिक संघ के बोर्ड से फ़्रांसीसी प्रतिनिधि को हटवाने हेतु, फ़्रांस के साथ समझौता करने में सफल रहा। ये क़दम सीएफ़ए फ्रैंक को ईको नाम की क्षेत्रीय मुद्रा से बदलने की व्यापक योजनाओं का हिस्सा था।
फ़्रांसीसी सशस्त्र बलों की उत्तरी अफ़्रीका में मज़बूत उपस्थिति बरक़रार है। साहेल क्षेत्र से फ़्रांस की सेना केवल आंशिक रूप से वापस गई है, जबकि नाइजर जैसे देशों में फ़्रांस के साथ क़रीबी सैन्य और राजनयिक संबंध अब भी क़ायम हैं। डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट पार्टी, ला फ़्रांस इंसूमिस, के नेता जीन–ल्यूक मेलेनचॉन ने पिछले साल मुझे बताया था कि, ‘फ़्रांस में थोड़ा भी यूरेनियम नहीं है‘ और ‘हम इसे मुख्य रूप से नाइजर और कज़ाकिस्तान से आयात करते हैं‘। फ़्रांस में प्रत्येक तीन में से एक लाइटबल्ब नाइजर से आए यूरेनियम से जलता है, यही वजह है कि फ़्रांसीसी सैनिक देश के यूरेनियम–समृद्ध शहर अरलिट को क़ब्ज़ा कर रखना चाहते हैं। क्या फ़्रांस के पीछे हटने को नव–औपनिवेशिक सैन्य हस्तक्षेपों और क्षेत्र में संचय की संरचनाओं के अंत के रूप में देखा जाना चाहिए? वास्तविक स्थिति कहीं अधिक जटिल है। ये आंशिक रूप से हो रही वापसियाँ यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बीच ट्रान्सअटलांटिक गठबंधन में तनाव के व्यापक संदर्भ में हो रही हैं। इस संदर्भ को समझने के लिए सावधानीपूर्वक मूल्यांकन की आवश्यकता है।
अक्टूबर में, मैंने मोरक्को की वर्कर्स डेमोक्रेटिक वे पार्टी के अब्दुल्ला अल हरीफ़ से फ़्रांस और मोरक्को की राजशाही के बीच बढ़ते तनाव के बारे में बात की। पिछली गर्मियों में, दस देशों ने यूएस अफ़्रीका कमांड के अफ़्रीकन लायन 2022 सैन्य अभ्यास में भाग लिया था; इन अभ्यासों के आयोजन में मोरक्को भी भागीदार था। इस बड़े सैन्य अभ्यास और इस तरह के अन्य क़दमों ने फ़्रांस को किनारे कर दिया है; और फ़्रांस खुले तौर पर इन पर अपनी नाराज़गी जता रहा है। एल हरीफ़ ने मुझे बताया, ‘मोरक्को, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपने सैन्य संबंधों को बहुत विकसित कर चुका है‘।
फ़्रांस के सैनिकों को क्षेत्र से खदेड़ा जा रहा है, लेकिन अमेरिकी और ब्रिटिश सेना उनकी जगह लेती दिख रही है। 2017 में, पाँच पश्चिम अफ़्रीकी देशों ने साहेल क्षेत्र से इस्लामी कट्टरपंथी ख़तरे के विस्तार से लड़ने के लिए अकरा इनिशिएटिव का गठन किया था; उसके दो साल बाद, 2019 में, उस इनिशिएटिव के एंकर देश, घाना, ने अपने अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे में वेस्ट अफ़्रीका लॉजिस्टिक्स नेटवर्क नाम से एक अमेरिकी सैन्य अड्डा खोल दिया। घाना के समाजवादी आंदोलन के एक नेता, क्वेसी प्रैट जूनियर ने मुझे बताया कि ‘सैकड़ों अमेरिकी सैनिकों को [वहाँ से] आते–जाते देखा गया है। ऐसा संदेह है कि वे अन्य पश्चिम अफ़्रीकी देशों में और पूरे साहेल में कुछ परिचालन (ऑपरेशनल) गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं‘। नवंबर में ब्रिटिश संसद में घोषणा की गई कि ब्रिटेन अब अकरा इनिशिएटिव में भागीदारी करेगा। इस घोषणा और क्षेत्र में ब्रिटिश सैनिकों की तैनाती को लेकर घाना के भीतर वर्तमान में एक विवाद चल रहा है। हमने जुलाई, 2021 के अपने डोजियर नं. 42 ‘Defending Our Sovereignty: US Military Bases in Africa and the Future of African Unity’ में भी बताया था कि फ़्रांस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच कुर्सियों का फेरबदल भले ही हो रहा है, लेकिन अफ़्रीका का सैन्यीकरण लगातार जारी है।
पिछले कुछ सालों में, फ़्रांस के हथियार उद्योग को निर्णायक झटके लगे हैं। 2021 में, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया पर फ़्रांस के साथ हुए 2016 के अनुबंध को तोड़ने का दबाव डाला। इस अनुबंध के तहत ऑस्ट्रेलिया को फ़्रांस के नौसेना समूह से बारह डीजल–संचालित पनडुब्बियाँ ख़रीदनी थीं। अब यूएस और यूके के साथ हुए नये सौदे (AUKUS) के तहत ऑस्ट्रेलिया इलेक्ट्रिक बोट (यूएस) और बीएई सिस्टम्स (यूके) से परमाणु पनडुब्बियाँ ख़रीदेगा। दूसरी ओर, पिछले आठ महीनों के दौरान यूक्रेनी सेना के लिए सैन्य प्रावधान हेतु जर्मनी और अमेरिका के बीच बढ़े सहयोग के परिणामस्वरूप, जर्मनी ने यूरोप के बजाए अमेरिकी हथियार निर्माताओं से सैन्य ख़रीद शुरू कर दी है। उदाहरण के लिए, मार्च में, जर्मनी ने घोषणा की कि वह अब यूरोप–निर्मित टोर्नाडो लड़ाकू जेट विमानों के बजाए यूएस–निर्मित एफ़–35 लड़ाकू विमान ख़रीदेगा। इसके अलावा, रूस पर बढ़ते यूरोपीय प्रतिबंधों की वजह से फ़्रांस रूसी बाज़ार से भी तेज़ी से दूर हुआ है; जबकि अब तक 2014 से लागू विभिन्न प्रतिबंधों के बावजूद फ़्रांस रूस को परिष्कृत सैन्य उपकरण बेचता रहा था। फ़्रांसीसी हथियारों की बिक्री के लिए तीन सबसे बड़े बाज़ार – भारत, क़तर और मिस्र – ने भी संकेत दिया है कि वे अमेरिकी और रूसी आपूर्तिकर्ताओं (दुनिया के दो प्रमुख हथियार निर्यातकों) की ओर रुख़ कर सकते हैं।
फ़्रांस की पुरानी गालिस्ट विदेश नीति परंपरा और यूरोप–रूस संबंधों के एक यथार्थवादी परिप्रेक्ष्य के चलते फ़्रांस के राष्ट्रपति, इमैनुएल मैक्रौं, नॉर्मन्डी प्रारूप के ज़रिए पिछले आठ वर्षों से पश्चिमी योद्धा देशों और रूस के बीच तालमेल बिठाने का प्रयास कर रहे थे। 2016 में अपनी पुस्तक ‘रेवोल्यूशन‘ में मैक्रौं ने लिखा था कि ‘रूस को यूरोप से दूर धकेलना एक गंभीर रणनीतिक त्रुटि है‘। यूक्रेन में युद्ध के दौरान शक्तियों के बदले संतुलन और रूस को आइसोलेट व ‘कमज़ोर‘ करने के अमेरिकी दबाव के कारण स्वतंत्र फ़्रांसीसी विदेश नीति की ओर यह झुकाव अब पुरानी बात हो चुकी है।
पिछले कई महीनों में, फ़्रांस पश्चिम देशों में बढ़ रही रूस–विरोधी भावना का उपयोग कर यह तर्क दे रहा है कि अफ़्रीका में उसका नुक़सान उसके अपने नव–औपनिवेशिक कारनामों के कारण नहीं, बल्कि महाद्वीप पर रूस की ‘शिकारी परियोजना‘ के कारण हो रहा है। एक तरफ़ मैक्रौं अपने स्टैंड से पीछे हटे हैं और दूसरी ओर पूरे यूरोप के शहरों में जीवन यापन की बढ़ती लागत से उत्पन्न संकट के कारण बड़े पैमाने पर सड़कों पर प्रदर्शन हो रहे हैं। लेकिन इन प्रदर्शनों में उठ रहे नारों में तेज़ी से बढ़ती मुद्रास्फीति के कारणों के बारे में स्पष्टता से कोई बात नहीं हो रही है। यूक्रेन युद्ध के बारे में किसी स्वतंत्र यूरोपीय दृष्टिकोण का कोई संकेत नहीं दिखता, जो यूरोप की आबादी पर इस युद्ध के बोझ को हल्का कर सके।
2021 की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था, ‘अमेरिका वापस आ गया है, ट्रांसअटलांटिक गठबंधन वापस आ गया है‘। इस घोषणा से दो साल पहले मैक्रौं ने कहा था कि, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), और इस गठबंधन का आधार ‘ब्रेन डेथ‘ से जूझ रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका की वापसी के बारे में बाइडेन के बयान पर मैक्रौं ने सीधा–सा जवाब दिया था: ‘कब तक?’। पिछले दिसंबर में मैक्रौं की वाशिंगटन की राजकीय यात्रा से यूरोप को अधीन बनाने की अमेरिकी मांग और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं से यूरोप के लिए स्वतंत्र रहने की ज़रूरत के बीच के तनाव का ख़ुलासा हुआ था। इसका विकल्प – (रूस और तुर्की सहित) यूरोप और एशिया के बीच ऐतिहासिक एकीकरण – यूरोपीय समाज को प्रमुख लाभ प्रदान करेगा; लेकिन इसे संयुक्त राज्य अमेरिका के हितों के आगे त्यागा जा रहा है।
इस बीच, पिछले एक साल में, माली के रक्षा मंत्री, कर्नल सादियो कैमारा, और वायु सेना प्रमुख, जनरल अलौ बोई दियारा कई बार रूस की यात्रा कर चुके हैं; वे कथित तौर पर दिसंबर 2021 में रूस के वैगनर ग्रुप से माली तक सैकड़ों लड़ाके लाने वाले सौदे के ‘वास्तुकार‘ हैं। माली में वैगनर ग्रुप के सैनिकों की मौजूदगी ने फ़्रांस को पश्चिम अफ़्रीका और साहेल में व्यापक फ़्रांस–विरोधी भावना को नज़रअंदाज करने का बहाना दे दिया है। वे इस तथ्य पर भी ध्यान नहीं दे रहे कि महाद्वीप में उनकी सैन्य उपस्थिति की जगह ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका ले रहे हैं। अफ़्रीकी महाद्वीप पर रूस की बहुत कम उपस्थिति है (हालाँकि सोची में हुए अक्टूबर 2019 रूस–अफ़्रीका शिखर सम्मेलन के बाद से रूस की उपस्थिति बढ़ रही है), लेकिन पेरिस को महाद्वीप में और वास्तव में दुनिया में फ़्रांस की घटती स्थिति के लिए यहाँ से उपयोगी तर्क मिल जाता है।
यह पहली बार नहीं है जब माली ने एक स्वतंत्र राष्ट्रीय परियोजना विकसित करने के लिए फ़्रांस को एक तरफ़ धकेला है। 1960 में, माली ने अपनी स्वतंत्रता हासिल की थी, और राष्ट्रपति मोदिबो कीता संप्रभुता स्थापित करने और महाद्वीप के लिए एक पैन–अफ़्रीकन राजनीति के विकास की दिशा में काम कर रहे थे। 1968 में, जनरल मौसा ट्रोरे के नेतृत्व में सेना ने कीता की समाजवादी सरकार को उखाड़ फेंका। माली में कीता के तख़्तापलट के अलावा उस दौर में पूरे महाद्वीप में तख़्तापलटों का दौर चला; बुरुंडी (1961 में लुई रवागसोर के ख़िलाफ़) और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (1961 में पैट्रिस लुमुम्बा के ख़िलाफ़), टोगो (1963 में सिल्वेनस ओलंपियो के ख़िलाफ़) और घाना ( 1966 में क्वामे न्क्रुमा के ख़िलाफ़)।
1968 के तख़्तापलट पर विचार करते हुए, कीता के संचार मंत्री, ममादौ अल–बेचिर गोलोगो ने कहा कि ट्रोरे ‘फ़्रांस और अन्य देशों के लिए काम कर रहे एक उपकरण के अलावा कुछ नहीं थे, जो अफ़्रीका के विद्रोही समझे जाने वाले बेटों से उसे छुटकारा दिलाना चाहते थे‘। हालाँकि माली को अपने विद्रोह की क़ीमत चुकानी पड़ी है, क्योंकि कीता के समाजवादी प्रयोगों और माली के लोगों ने इसका विरोध करना जारी रखा है। लेकिन गोलोगो ने ‘माय हार्ट इज़ ए वॉल्केनो’ (1961) में लिखा था कि, ‘साहस और दृढ़ संकल्प पीछे हटने से रोकते हैं, चाहे कुछ भी हो जाए‘। उन्होंने आगे लिखा था कि ‘जीना एक साहसिक काम है जिसे बिना किसी हिचकिचाहट के करना चाहिए‘।
स्नेह–सहित,
विजय।