शेफ़ा सलेम अलबारासी (लीबिया), सूखे प्रदेश में डूबना, 2019

प्यारे दोस्तों,

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।

10 सितंबर की रात को लीबिया के वाडी डर्ना में अबू मंसूर और अल बिलाद बाँध ढहने से तीन दिन पहले ही कवि मुस्तफ़ अलत्राबेल्सी ने अपने शहर में बुनियादी ढाँचे की उपेक्षा के विषय पर डर्ना के हाउस ऑफ़ कल्चर भवन में आयोजित चर्चा में भाग लिया था। बैठक में अलत्राबेल्सी ने बाँधों की ख़राब स्थिति के बारे में चेतावनी दी। उन्होंने उसी दिन अपनी फ़ेसबुक वॉल पर लिखा था कि पिछले एक दशक में उनके प्यारे शहर को हमलों व बमबारी का सामना करना पड़ा है और एक ऐसी दीवार से घेर दिया गया है जिसमें कोई दरवाज़ा नहीं है, जिसके कारण यह [मेरा देश] भय और अवसाद में डूब गया है।इसके कुछ ही दिनों के भीतर भूमध्यसागरीय तट से उठे तूफ़ान डेनियल की वजह से लीबिया के वे बाँध ढह गए। शहर के मगहर इलाक़े से प्राप्त सीसीटीवी फ़ुटेज से पता चला कि बाढ़ का पानी तेज़ी से बढ़ रहा था, इतनी तेज़ी के साथ कि जान और माल दोनों का नुक़सान होना तय था। ख़बरों की माने तो बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लगभग 70% बुनियादी ढाँचे और 95% शैक्षिक संस्थान क्षतिग्रस्त हुए हैं। बुधवार 20 सितंबर तक, लगभग 4000 से 11,000 लोग मारे जा चुके हैं। मरने वालों की सूची में कवि मुस्तफ़ा अलत्राबेल्सी भी शामिल हैं, जिनकी चेतावनियाँ सालों से अनसुनी की जा रही थीं। इसके अतिरिक्त 10,000 लोग लापता हैं।

सिरते स्थित लीबिया की गवर्न्मेंट ऑफ़ नेशनल स्टेबिलिटी के विमानन मंत्री हिशम चकिऔट ने बाढ़ के मद्देनज़र डर्ना का दौरा किया और बीबीसी को बताया कि, ‘मैंने जो देखा उससे मैं स्तब्ध रह गया। यह सुनामी की तरह है। एक बड़ा इलाक़ा नष्ट हो गया है। पीड़ितों की संख्या बहुत ज़्यादा है, और जिसमें हर घंटे बढ़ौतरी हो रही है।ऐतिहासिक रूप से हेलेनिस्टिक काल (326 ईसा पूर्व से 30 ईसा पूर्व) से संबंधित इस प्राचीन शहर को भूमध्य सागर निगल गया। डर्ना के सड़क और पुल प्राधिकरण के प्रमुख हुसैन स्वैदान ने कहा कि गंभीर रूप से क्षतिग्रस्तइलाक़े का कुल क्षेत्रफल तीन मिलियन वर्ग मीटर है। उन्होंने कहा, ‘शहर में स्थिति बद से बदतर है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की डॉ. मार्गरेट हैरिस ने कहा कि बाढ़ बहुत त्रासदथी। उन्होंने कहा, ‘मेरी स्मृति में इस क्षेत्र में इस तरह का तूफ़न कभी नहीं आया, इसलिए यह दर्दनाक है।

पूरे लीबिया में दुःख और पीड़ा अब ग़ुस्से में बदल रहा है, और लोग इस तबाही की जाँच की माँग कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि यह जाँच करेगा कौन? त्रिपोली स्थित गवर्न्मेंट ऑफ़ नेशनल यूनिटीजिसे आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा मान्यता प्राप्त है, और जिसके अध्यक्ष प्रधान मंत्री अब्दुल हामिद दबीबेह हैं, या सिरते स्थित गवर्न्मेंट ऑफ़ नेशनल स्टेबिलिटी, जिसका नेतृत्व प्रधान मंत्री ओसामा हमादा करते हैं। ये प्रतिद्वंद्वी सरकारें जिनका कई वर्षों से एकदूसरे के साथ टकराव में हैं, जिसके चलते देश की राजनीति जंग खा चुकी है। इसके अलावा 2011 में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की बमबारी की वजह से देश की सरकारी संस्थाएँ बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं थीं।

सोअद अब्देल रसूल (मिस्र), मेरा आख़िरी भोजन, 2019

विभाजित सरकार और क्षतिग्रस्त संस्थाओं के चलते, हाल की तबाही से पहले भी, तेल से समृद्ध होने के बावजूद लीबिया अपनी लगभग सत्तर लाख की आबादी की ज़रूरतें पूरी करने में नाकाम रहा था। संयुक्त राष्ट्र पहले से ही लीबिया के कमसेकम 3 लाख लोगों के लिए मानवीय सहायता प्रदान कर रहा था, लेकिन, अब संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि बाढ़ के परिणामस्वरूप लगभग नौ लाख और लोगों को सहायता की ज़रूरत पड़ेगी। यह संख्या बढ़कर कमसेकम 18 लाख होना तय है। डब्ल्यूएचओ की डॉ. हैरिस के मुताबिक़ कुछ अस्पताल बाढ़ के पानी में बह गए हैंऔर ट्रॉमा किट तथा बॉडी बैग सहित महत्वपूर्ण चिकित्सा आपूर्ति की ज़रूरत है। लीबिया में इंटरनेशनल फ़डरेशन ऑफ़ द रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटीज़ के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख तामार रमज़न ने कहा है कि, ‘सहायता की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है और यह लीबिया के रेड क्रिसेंट की क्षमता से, और यहाँ तक कि सरकार की क्षमता से बाहर है।

राज्य की कमियों को कम करके नहीं देखा जाना चाहिए। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के महासचिव पेटेरी तालास ने बताया कि यद्यपि वर्षा 24 घंटों में 414.1 मि.मी. के अभूतपूर्व स्तर पर हुई थी, लेकिन ख़स्ताहाल राज्य संस्थानों ने इस तबाही को और ज़्यादा बढ़ाया है। तालास ने पाया कि लीबिया के राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र की अवलोकन प्रणालियों में बड़ी ख़मियाँ हैं। इसके आईटी सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहे हैं और कर्मचारियों की भारी कमी है। राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र काम करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसकी क्षमता सीमित है। आपदा प्रबंधन और शासन की पूरी शृंखला बाधित है। उन्होंने यह भी कहा कि, ‘देश के आपदा प्रबंधन और आपदा प्रतिक्रिया तंत्र के विखंडन और जर्जर बुनियादी ढाँचे की वजह से चुनौतियों का सामना करना और मुश्किल हो गया है। राजनीतिक स्थिति जोखिम का कारण बनी है

फ़ैज़ा रमज़ान (लीबिया), बैठक, 2011

लीबिया की संसद (पूर्वी क्षेत्र स्थित संसद) के सदस्य अब्देल मोनीम अलअरफ़ी ने अपने साथी सांसदों के साथ मिलकर आपदा के कारणों की जाँच की माँग की है। अपने बयान में, अलअरफ़ी ने 2011 के बाद के लीबियाई राजनीतिक वर्ग में अंतर्निहित समस्याओं की ओर इशारा किया2010 में, नाटो युद्ध से एक साल पहले, लीबिया की सरकार ने वाडी डर्ना के दोनों बाँधों (जो कि 1973 और 1977 के बीच बने थे) की मरम्मत के लिए धन आवंटित किया था। यह परियोजना एक तुर्की कंपनी को पूरी करनी थी, लेकिन युद्ध के दौरान वह कंपनी देश छोड़कर चली गई। परियोजना पूरी नहीं हो सकी, और उसके लिए आवंटित धन पता नहीं कहाँ गया। अलअरफ़ी के अनुसार, 2020 में इंजीनियरों ने बाँधों की मरम्मत की सिफ़ारिश की थी क्योंकि ये बाँध सामान्य वर्षा स्तर का प्रबंधन करने में भी सक्षम नहीं रहे थे; लेकिन उनकी सिफ़ारिशों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। पैसा ग़ायब होता रहा लेकिन काम नहीं हुआ।

मुअम्मर अलगद्दाफ़ (1942-2011) के नेतृत्व वाले शासन के तख़्तापलट के बाद से लीबिया में अब किसी के मन में क़ानून का ख़ौफ़ नहीं है। फ़रवरीमार्च 2011 में, खाड़ी अरब देशों के समाचार पत्रों ने दावा करना शुरू किया था कि लीबियाई सरकार की सेना लीबिया के लोगों का नरसंहार कर रही है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इसपर दो प्रस्ताव पारित किए थे: हिंसा की निंदा करने और देश पर हथियार प्रतिबंध लागू करने के लिए प्रस्ताव 1970 (फ़रवरी 2011 में पारित किया); तथा सदस्य देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के तहतसशस्त्र बलों को युद्धविराम स्थापित करने और संकट का समाधान खोजने में सक्षम बनाने के लिए प्रस्ताव 1973 (मार्च 2011 में पारित किया)। फ़्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में, नाटो ने अफ़्रीकी संघ के प्रतिनिधिमंडल को इन प्रस्तावों पर अमल करने और लीबिया में सभी पक्षों के साथ शांति वार्ता करने से रोका। पश्चिमी देशों ने मार्च 2011 में एडिसअबाबा में पाँच अफ़्रीकी राष्ट्राध्यक्षों की बैठक को भी नज़रअंदाज़ किया था; इस बैठक में अलगद्दाफ़ी ने युद्धविराम पर सहमति जताई थी, और इस प्रस्ताव को उन्होंने इसके बाद अप्रैल में त्रिपोली गए अफ़्रीकी संघ के प्रतिनिधिमंडल के दौरे के दौरान भी दोहराया था। यह एक अनावश्यक युद्ध था जिसका उपयोग पश्चिमी और खाड़ी अरब देशों ने अलगद्दाफ़ी से बदला लेने के लिए किया था। इस युद्ध से पहले 2010 के मानव विकास सूचकांक में लीबिया 169 देशों में 53वें स्थान पर था (जो कि अफ़्रीकी महाद्वीप के किसी देश को मिला सर्वोच्च स्थान है), लेकिन इस युद्ध ने लीबिया को मानव विकास संकेतकों में सबसे निचले पायदान पर ला खड़ा किया।

तेवा बरनोसा (लीबिया), युद्ध से प्रेम, 2016

अफ़्रीकी संघ के नेतृत्व वाली शांति योजना को लागू करने का समर्थन करने के बजाय, नाटो ने राज्य संस्थानों और लीबिया के अन्य ठिकानों पर बमबारी शुरू कर दी और लगभग 9,600 जगहों पर हमला किया। इसके बाद, जब संयुक्त राष्ट्र ने नाटो से उसके द्वारा किए गए नुक़सान का हिसाब माँगा, तो नाटो के क़नूनी सलाहकार पीटर ओल्सन ने लिखा कि जाँच की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि नाटो ने जानबूझकर नागरिकों को निशाना नहीं बनाया और न ही लीबिया में युद्ध अपराध किए थे।लीबिया के सरकारी बुनियादी ढाँचे के सुनियोजित विनाश की जाँच में किसी की दिलचस्पी नहीं थी; उन ढाँचों का कभी पुनर्निर्माण नहीं किया गया और इन ढाँचों (यानी बुनियाद सरकारी तंत्र) की अनुपस्थिति के नज़रिए से ही डर्ना की मौजूदा तबाही को समझा जाना चाहिए।  

नाटो द्वारा लीबिया के विनाश के बाद कई घटनाएँ घटीं: लीबियाई राज्य का पतन हो गया; गृहयुद्ध शुरू हुआ, जो आज भी जारी है; पूरे उत्तरी अफ़्रीका और साहेल क्षेत्र में इस्लामी कट्टरपंथियों का फैलाव हुआ। साहेल क्षेत्र में एक दशक से जारी अस्थिरता के परिणामस्वरूप अब बुर्किना फासो से नाइजर तक तख़्तापलट हो रहे हैं। इन सभी घटनाओं के चलते यूरोप की दिशा में नये प्रवासन मार्ग खुले जिसके कारण सहारा रेगिस्तान तथा भूमध्य सागर में प्रवासियों की मौत और क्षेत्र में मानव तस्करी के मामलों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। ख़तरों की इस सूची में डर्ना में हुई मौतें और तूफ़ान डेनियल से होने वाली मौतों के साथसाथ लगातार जारी युद्ध में हताहत हो रहे लोगों की संख्या भी शामिल की जानी चाहिए।

नजला शौकत फितौरी (लीबिया), समुद्र से घायल हुआ, 2021

लीबिया में बाढ़ आने से ठीक पहले, पड़ोसी देश मोरक्को के एटलस पर्वत पर भूकंप आया था। इसमें तेनज़िर्ट जैसे गाँव नष्ट हो गए और लगभग 3,000 लोग मारे गए। मोरक्को के कवि अहमद बराकत (1960-1994) ने लिखा था कि, मैं भूकंप की मदद नहीं करूँगा’, ‘मैं हमेशा उस धूल को अपने मुँह में रखूँगा जिसने दुनिया को नष्ट कर दिया।ऐसा लगता है मानो त्रासदी ने पिछले हफ़्ते भूमध्य सागर के दक्षिणी किनारे पर अपने क़दमों के निशान छोड़ने का फ़ैसला कर लिया था।

कवि मुस्तफ़ा अलत्राबेलसी भीतर तक दुखी थे। 10 सितंबर को, बाढ़ की लहरों में बह जाने से ठीक पहले, उन्होंने लिखा था कि, ‘इस कठिन परिस्थिति में हमारे पास केवल एकदूसरे का साथ है। आइए तब तक साथ खड़े रहें जब तक हम डूब न जाएँ। इस दुःख के साथ वे कई और कारणों से निराश थे: जैसे त्रिपोली में एक सरकार और सिरते में दूसरी सरकार के चलते लीबिया के दो भाग‘; विभाजित जनता; और लीबियाई राज्य के क्षतिग्रस्त ढाँचे पर लगातार जारी युद्ध का राजनीतिक असर। अलत्राबेल्सी ने अफ़सोस के साथ लिखा था, ‘किसने कहा कि लीबिया एक नहीं है?’। बाढ़ से ठीक पहले अलत्राबेल्सी द्वारा लिखी गई कविता को उनके शहर के शरणार्थी और देश भर के लोग अब पढ़ रहे हैं। ये कविता उन्हें याद दिला रही है कि त्रासदी ही सब कुछ नहीं होती, बल्कि लोगों में एकदूसरे की सहायता के लिए आगे आने की अच्छी आदत मदद का वादा है’, भविष्य की आशा है।

बारिश

भीगी हुई सड़कों,

धोखेबाज़ ठेकेदार,

और असफल राज्य की

कलई उतार देती है। 

यह पक्षी के पंखों से लेकर

बिल्लियों के फर तक 

सब कुछ धो देती है।

यह ग़रीबों को याद दिलाती है

उनकी बेजान छतों

और उनके मैलेकुचैले कपड़ों की।

यह घाटियों से उबासी की धूल

और सूखी पपड़ी हटाकर

उन्हें जगा देती है।

बारिश

अच्छाई की निशानी है,

मदद का वादा है

ख़तरे की घंटी है।

 

स्नेहसहित,

विजय।