प्यारे दोस्तों,
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।
हर साल सितंबर के आख़िरी हफ़्ते में दुनिया के नेता संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच पर अपनी बात रखने के लिए न्यूयॉर्क शहर पहुँचते हैं। आप उनके भाषणों का अनुमान पहले से ही लगा सकते हैं। या तो उन मूल्यों पर बात की जाती है जिनको कभी अमल में नहीं लाया जाता, या फिर युद्ध को रोकने के लिए बनाई गई इस संस्था से युद्ध की धमकियों से भरी आवाज़ें आती हैं।
फिर भी समय समय पर कोई न कोई साफ़गोई और ईमानदारी से भाषण दे देता है, और वह भाषण उस सभागार से बाहर निकलकर पूरी दुनिया में गूँजने लगता है। इस साल, कोलम्बिया के नये राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने इस तरह का एक भाषण दिया। उनकी संक्षिप्त टिप्पणियों में हमारी दुनिया की सभी बड़ी समस्याओं — सामाजिक संकट, धन और शक्ति की लत, जलवायु तबाही और पर्यावरण आपदा — पर स्पष्ट आकलन शामिल था। राष्ट्रपति पेट्रो ने कहा, ‘यह शांति का समय है। हम ग्रह के ख़िलाफ़ युद्ध कर रहे हैं। ग्रह के साथ शांति बनाए बिना राष्ट्रों के बीच शांति नहीं हो सकती। सामाजिक न्याय स्थापित किए बिना, सामाजिक शांति नहीं हो सकती’।
1810 में स्पेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से कोलम्बिया हिंसा की चपेट में है। यह हिंसा कोलम्बिया के अभिजात वर्ग ने शुरू की। क्योंकि उसकी धन की अतृप्त इच्छा लोगों की पूर्ण दरिद्रता और उदारवाद जैसा कुछ भी विकसित करने में देश की विफलता के रूप में सामने आया है। कोलम्बिया में जनता का विश्वास स्थापित करने के लिए दशकों से जारी राजनीतिक कारवाई के परिणामस्वरूप 2019 में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हुआ, जिसके कारण पेट्रो की चुनावी जीत मुमकिन हुई। नयी सेंटर-लेफ़्ट सरकार ने कोलम्बिया में सामाजिक लोकतांत्रिक संस्थानों का निर्माण करने और देश में हिंसा की संस्कृति को ख़त्म करने का संकल्प लिया है। हालाँकि कोलम्बियाई सेना, दुनिया भर की सशस्त्र सेनाओं की तरह, युद्ध के लिए तैयारी करती है, लेकिन राष्ट्रपति पेट्रो ने अगस्त 2022 में उनसे कहा कि उन्हें अब ‘शांति के लिए तैयारी’ करनी चाहिए और ‘शांति की सेना’ बनना चाहिए।
कोलम्बिया जैसे देश में हिंसा के बारे में बात करते हुए ड्रग्स, और विशेष रूप से कोकीन पर ध्यान केंद्रित करने का प्रलोभन होता है। अक्सर बताया जाता है कि कोलम्बिया में हिंसा अवैध कोकीन व्यापार का परिणाम है। लेकिन यह एक ग़ैर-ऐतिहासिक आकलन है। 1960 के दशक से बेहतरीन ढंग से प्रॉसेस की हुई कोकीन के तेज़ी से लोकप्रिय होने से बहुत पहले कोलम्बिया भयानक रक्तपात का अनुभव चुका था। देश का अभिजात वर्ग अपनी शक्ति को चुनौती देने वाली किसी भी ताक़त को रोकने के लिए जानलेवा हथकंडों का इस्तेमाल करता रहा है। इनमें 1948 में कोलम्बिया की राजधानी बोगोटा के पूर्व मेयर जॉर्ज गैटन की हत्या भी शामिल है, जिसके कारण उस दौर को हिंसा के दौर के रूप में जाना जाता है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका द्वारा समर्थित कोलम्बियाई अभिजात वर्ग के इशारे पर उदारवादी और कम्युनिस्ट नेताओं व कार्यकर्ताओं को कोलम्बियाई सेना और पुलिस के दमन का सामना करना पड़ा। अमेरिका ने दक्षिण अमेरिका में अपनी शक्ति का विस्तार करने के लिए कोलम्बिया का बख़ूबी इस्तेमाल किया है। कोलम्बियाई अभिजात वर्ग की महत्वाकांक्षाओं और वाशिंगटन में बैठे उनके संरक्षकों को कवर करने के लिए विभिन्न प्रकार के अंजीर के पत्तों का उपयोग किया गया था। 1990 के दशक में, ऐसा ही एक कवर था ड्रग्स के ख़िलाफ़ युद्ध।
ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडीसी) या अमेरिकी सरकार की ड्रग प्रवर्तन एजेंसी (डीईए) दोनों के आँकड़े यही बताते हैं कि अवैध नशीले पदार्थों (कैनबिस, ओपिओइड और कोकीन) के सबसे बड़े उपभोक्ता उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के देश हैं। संयुक्त राष्ट्र के एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि ‘संयुक्त राज्य अमेरिका में कोकीन के उपयोग में 2013 के बाद से लगातार उतार-चढ़ाव के साथ वृद्धि हो रही है और 2019 में इस [आँकड़े] में ज़्यादा स्थिरता देखी गई है’। संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा शुरू किए गए ड्रग्स के ख़िलाफ़ युद्ध का ड्रग संकट पर दो-आयामी दृष्टिकोण रहा है: पहला, पश्चिमी देशों में खुदरा विक्रेताओं को अपराधी बनाना और दूसरा, कोलम्बिया जैसे देशों में इन ड्रग्स में पड़ने वाले कच्चे माल का उत्पादन करने वाले किसानों के ख़िलाफ़ युद्ध करना।
उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में, लगभग बीस लाख लोग – असमान रूप से अश्वेत और लातीनी – जेल औद्योगिक परिसर में बंद हैं। इनमें से 4 लाख लोग अहिंसक ड्रग अपराधों के लिए क़ैद किए गए हैं या प्रोबेशन पर हैं। ये वे लोग हैं जो कि इस बड़े मुनाफ़े वाले ड्रग साम्राज्य में छोटे डीलरों के रूप में काम करते हैं। युवाओं के सामने ख़त्म होते रोज़गार के अवसर और ड्रग अर्थव्यवस्था से मिलने वाले वेतन की वजह से इस पेशे के ख़तरों के बावजूद वैश्विक ड्रग शृंखला के निम्न स्तर के कर्मचारी इस पेशे की ओर आकर्षित होते हैं। ड्रग्स के ख़िलाफ़ युद्ध इस पाइपलाइन पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं डाल पाया है, यही वजह है कि कई देशों ने अब ड्रग्स (विशेष रूप से भांग) को रखने और उसके सेवन को ग़ैर–आपराधिक मानना शुरू कर दिया है।
अमेरिकी सरकार द्वारा समर्थित कोलम्बियाई अभिजात वर्ग देश में किसी भी तरह का लोकतांत्रिक मंच नहीं चाहता था। उसकी इस ज़िद्द के ख़िलाफ़ वामपंथियों ने 1964 में सशस्त्र संघर्ष शुरू किया। 1990 के दशक में उन्हें फिर से बंदूक़ें उठानी पड़ीं, जब अभिजात वर्ग ने लोकतांत्रिक मार्ग का वादा तोड़ दिया। सशस्त्र वामपंथ और ड्रग्स के ख़िलाफ़ युद्ध के नाम पर कोलम्बियाई सेना और पुलिस देश में किसी भी तरह के असंतोष को कुचलती रही है। कोलम्बियाई अभिजात वर्ग, नार्को-अर्धसैनिकों और ड्रग कार्टेल (ड्रग उत्पादन करने वाली कंपनियों का समूह) के बीच वित्तीय और राजनीतिक संबंधों के साक्ष्य के बावजूद, संयुक्त राज्य सरकार ने इस युद्ध को और अधिक हमलावर बनाने के लिए 1999 में प्लान कोलम्बिया शुरू किया और कोलम्बियाई सेना को 12 बिलियन डॉलर दिए (2006 में, जब पेट्रो सेनेटर थे, तब उन्होंने इन शैतानी ताक़तों के बीच की सांठ-गांठ का ख़ुलासा किया था, जिसके लिए उनके परिवार को हिंसा की धमकियों का सामना करना पड़ा था)।
इस युद्ध के तहत, कोलम्बियाई सशस्त्र बलों ने ग्लाइफ़ोसेट जैसे ख़तरनाक रसायन को हथियार की तरह किसानों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया। किसानों की फ़सल को नष्ट करने के लिए इस रसायन की हवाई बारिश की। 2015 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि यह रसायन ‘मनुष्यों के लिए शायद कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाला)’ है और, 2017 में, कोलम्बियाई संवैधानिक न्यायालय ने फ़ैसला सुनाया कि इसका उपयोग प्रतिबंधित होना चाहिए। 2020 में, हार्वर्ड इंटरनेशनल रिव्यू ने कहा कि: ‘कोकीन उत्पादन को कम करने के बजाय, प्लान कोलम्बिया ने वास्तव में कोकीन उत्पादन और परिवहन को अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित करने का काम किया है। इसके अतिरिक्त, ड्रग्स के ख़िलाफ़ युद्ध के सैन्यीकरण ने देश में हिंसा को बढ़ावा दिया है’। ठीक यही बात राष्ट्रपति पेट्रो ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से दुनिया को बताई है।
डीएई की सबसे हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में कोकीन का उपयोग स्थिर रहा है और ‘2013 के बाद से हर साल कोकीन जैसे ड्रग्स के ज़हरीले असर से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है’। अमेरिका की ड्रग नीति क़ानून के प्रवर्तन (एन्फ़ॉर्स्मेंट) पर केंद्रित है, जिसका लक्ष्य केवल कोकीन की घरेलू उपलब्धता को कम करना है। वाशिंगटन अपने ड्रग बजट का 45% क़ानून प्रवर्तन पर, 49% ड्रग के एडिक्ट हो चुके लोगों के इलाज पर और केवल 6% ड्रग की रोकथाम पर ख़र्च करेगा। यह स्पष्ट है कि उनका ध्यान ड्रग के रोकथाम पर न के बराबर है। ड्रग संकट को मांग-पक्ष की समस्या के रूप में निपटने के बजाय, अमेरिका और दूसरी पश्चिमी सरकारें यह दिखाने की कोशिश करती हैं कि यह आपूर्ति-पक्ष की समस्या है जिससे कोका उगाने वाले छोटे किसानों और छोटे ड्रग डीलरों के ख़िलाफ़ सैन्य बल का उपयोग करके निपटा जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र के मंच से पेट्रो ने ड्रग संकट के मूल कारणों की ओर ध्यान दिलाने का प्रयास किया है:
दुनिया की तर्कहीन शक्ति के अनुसार, अस्तित्व को नष्ट करने वाला बाज़ार दोषी नहीं है; दोषी है जंगल और उसमें रहने वाले लोग। बैंक खाते असीमित रूप से भरे हुए हैं; पृथ्वी पर सबसे शक्तिशाली लोगों द्वारा बचाए गए धन को कई सदियों में भी ख़र्च नहीं किया जा सकता। प्रतियोगिता की कृत्रिमता से उत्पन्न ख़ाली अस्तित्व शोर और ड्रग्स से भरा जाता है। पैसे और संपत्ति की लत का एक और चेहरा है: मानवता का रूप बन चुकी झूठी दौड़ में प्रतिस्पर्धा हारने वाले लोगों की ड्रग्स की लत। अकेलेपन की बीमारी को जंगलों पर ग्लाइफ़ोसेट की बारिश कर ठीक नहीं किया जा सकता; जंगल का दोष नहीं है। दोष है आपके समाज का जिसने सीखा है अंतहीन उपभोग करना, जिसने उपभोग करने और ख़ुशी महसूस करने को एक बराबर मानना सीखा है, जिससे शक्तिशाली लोगों की जेबें पैसे से भरती रहती हैं।
पेट्रो ने कहा, ड्रग्स के ख़िलाफ़ युद्ध कोलम्बियाई किसानों के ख़िलाफ़ और पश्चिमी देशों के ग़रीबों के ख़िलाफ़ युद्ध है। हमें इस युद्ध की ज़रूरत नहीं है, उन्होंने कहा; इसके बजाय, हमें एक ऐसे शांतिपूर्ण समाज के निर्माण के लिए संघर्ष करने की ज़रूरत है, जो उन लोगों का हौसला न तोड़े जिन्हें सामाजिक तर्क अधिशेष मानता है।
अपने युवा दिनों में पेट्रो एम -19 गुरिल्ला आंदोलन का हिस्सा थे। यह आंदोलन उन संगठनों में से एक है जिन्होंने देश के लोकतंत्र पर कोलम्बिया के अभिजात वर्ग की के कसते शिकंजे को तोड़ने का प्रयास किया था। उनके साथियों की सूची में एक कवयित्री मारिया मर्सिडीज़ कैरान्ज़ा (1945-2003) भी शुमार थीं। कैरान्ज़ा ने अपनी पुस्तक होला, सोलेदाद (‘हेलो, अकेलेपन) (1987) में अपने देश पर हो रही हिंसा के बारे में गंभीरता के साथ लिखा था। उन्होंने कविता ला पैट्रीआ (मातृभूमि) में अपने उजड़ते देश की सच्चाई को बयान किया किया:
इस घर में सब कुछ खंडहर हो गया है,
खंडहर हो गए हैं आलिंगन और संगीत,
हर सुबह, क़िस्मत, हँसी,
आँसू, ख़ामोशी, सपने खंडहर हो गए हैं।
खिड़कियों से उजड़े नज़ारे दिखते हैं,
लोगों के चेहरे पर मांस और राख दिखती है,
उनके मुँह से निकले शब्दों में डर घुला हैं।
इस घर में हम सब ज़िंदा दफ़न हैं।
कोलम्बिया पर बढ़ते हमलों के दौरान कैरान्ज़ा ने अपनी जान ले ली।
2016 में हुए शांति समझौते, 2019 में हुए विरोध प्रदर्शनों, और अब 2022 में पेट्रो और फ्रांसिया मार्केज़ की चुनावी जीत ने कोलम्बियाई लोगों के चेहरे पर छाई उदासी को कम किया है और उन्हें अपने घर को फिर से बनाने की कोशिश करने का अवसर दिया है। ड्रग्स के ख़िलाफ़ युद्ध, यानी कोलम्बियाई किसानों के ख़िलाफ़ युद्ध का अंत, कोलम्बिया के शांति और लोकतंत्र के पक्ष में नाज़ुक संघर्ष को आगे ही बढ़ाएगा।
स्नेह-सहित,
विजय।