प्यारे दोस्तों,
ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।
24 सितंबर 2022 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में हैती के विदेश मंत्री जीन विक्टर जीनस ने कहा कि उनका देश एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है, जिसे ‘केवल हमारे भागीदारों के प्रभावी समर्थन से ही हल किया जा सकता है’। हैती की स्थिति पर नज़र रखने वाले कई लोगों को लगा कि ‘प्रभावी समर्थन’ कहते हुए जीनस यह कहना चाह रहे थे कि पश्चिमी शक्तियों द्वारा एक और सैन्य हस्तक्षेप ज़रूरी है। दरअसल, जीनस की टिप्पणी से दो दिन पहले द वाशिंगटन पोस्ट ने हैती की स्थिति पर एक संपादकीय प्रकाशित किया था, जिसमें ‘बाहरी शक्तियों से दबंगई भरी कार्रवाई’ करने का आह्वान किया गया था। 15 अक्टूबर को, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा ने एक संयुक्त बयान जारी कर घोषणा की कि उन्होंने हैती के सुरक्षा बलों को हथियार पहुँचाने के लिए अपने सैन्य विमान हैती भेजे हैं। उसी दिन, संयुक्त राज्य अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सामने हैती में ‘एक बहुराष्ट्रीय त्वरित कार्रवाई बल की तत्काल तैनाती’ का आह्वान करते हुए एक मसौदा प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
क्रांति के द्वारा हैती ने 1804 में फ्रांस से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। लेकिन उसके बाद से ही हैती लगातार आक्रमणों का सामना करता रहा है। इन हमलों में 1915 से 1934 तक, दो दशक लंबा अमेरिकी ऑक्युपेशन, 1957 से 1986 तक अमेरिका समर्थित तानाशाही, 1991 और 2004 में पूर्व प्रगतिशील राष्ट्रपति जीन-बर्ट्रेंड एरिस्टाइड के ख़िलाफ़ पश्चिम-समर्थित दो तख़्तापलट तथा 2004 से 2017 तक संयुक्त राष्ट्र सैन्य हस्तक्षेप शामिल हैं। इन आक्रमणों ने हैती को अपनी सम्प्रभुता हासिल करने और हैती के लोगों को सम्मानजनक जीवन जीने से रोका है। अमेरिकी और कनाडाई सैनिकों या संयुक्त राष्ट्र शांति सेना द्वारा एक और आक्रमण हैती के संकट को और गहरा ही करेगा। ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान, इंटरनेशनल पीपुल्स असेंबली, एएलबीए मूवमेंट्स, और प्लेटफ़ॉर्मे हाइटियेन डी प्लेडोयर पोर उन डेवलपमेंट अल्टरनेटिफ (पीएपीडीए) ने मिलकर हैती की वर्तमान स्थिति पर रेड अलर्ट तैयार किया है। इसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं और पीडीएफ़ के रूप में डाउनलोड भी कर सकते हैं।
हैती में क्या हो रहा है?
हैती में सन् 2022 में कमोबेश लगातार विरोध होते रहे हैं। ये विरोध अभी-अभी शुरू नहीं हुए हैं। इन्हें 1991 और 2004 के तख़्तापलट, 2010 में आए भूकंप और 2016 के मैथ्यू तूफ़ान से उत्पन्न हुए सामाजिक संकट के कारण 2016 में शुरू हुए प्रतिरोध की निरंतरता में देखा जाना चाहिए। एक सदी से भी अधिक समय से हैती की जनता अमेरिकी सैन्य क़ब्ज़े (1915-34) द्वारा थोपी गई नव-औपनिवेशिक प्रणाली से बाहर निकलने के अपने सभी प्रयासों के बदले सैन्य और आर्थिक हस्तक्षेपों का सामना कर रही है। उस प्रणाली द्वारा स्थापित वर्चस्व और शोषण की संरचनाओं ने हैती के लोगों को ग़रीब बना दिया है; देश की अधिकांश आबादी के पास पीने के पानी, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा या साफ़ आवास की सुविधा उपलब्ध नहीं है। हैती के 1.14 करोड़ लोगों में से 46 लाख खाद्य असुरक्षा से प्रभावित हैं और 70% लोग बेरोज़गार हैं।
हैती का क्रियोल शब्द डेचौकाज यानी ‘जड़ से उखाड़ना’ आज की प्रदर्शनों को परिभाषित कर रहा है। इस शब्द को 1986 के अमेरिका समर्थित तानाशाही के ख़िलाफ़ और लोकतंत्र समर्थक आंदोलनों में पहली बार इस्तेमाल किया गया था। कार्यकारी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति एरियल हेनरी के नेतृत्व में हैती की सरकार ने इस संकट के दौरान ईंधन की क़ीमतें बढ़ा दीं। इसके कारण ट्रेड यूनियनों का विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ तथा आंदोलन और तेज़ हुआ। हेनरी को इस पद पर 2021 में ‘कोर ग्रुप‘ ने अलोकप्रिय राष्ट्रपति जोवेनेल मोसे की हत्या के बाद बिठाया था। कोर ग्रूप छह देशों से बना है और अमेरिका, यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी देशों के संगठन (ओएएस) के नेतृत्व में काम करता है। हालाँकि यह हत्या अभी भी अनसुलझी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि मोसे को एक साज़िश के तहत मारा गया था, जिसमें सत्तारूढ़ दल, ड्रग की तस्करी करने वाले गिरोह, कोलंबिया से आए भाड़े के सैनिक और अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसियाँ शामिल थीं। संयुक्त राष्ट्र की हेलेन ला लाइम ने फ़रवरी में सुरक्षा परिषद को बताया था कि मोसे की हत्या की राष्ट्रीय जाँच बंद कर दी गई है; जिसके बाद से अफ़वाहें फैलने लगीं और देश के भीतर संदेह और अविश्वास में वृद्धि हुई है।
नवउपनिवेशवाद की ताक़तों ने कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त की है?
संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा अब हेनरी की ग़ैर-क़ानूनी सरकार को हथियारों से लैस कर रहा है और हैती में सैन्य हस्तक्षेप की योजना बना रहा है। 15 अक्टूबर को, अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सामने एक मसौदा प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसमें देश में ‘एक बहुराष्ट्रीय त्वरित कार्रवाई बल की तत्काल तैनाती’ का आह्वान किया गया था। हैती में पश्चिमी देशों का विनाशकारी हस्तक्षेप दो सदियों से भी ज़्यादा समय से जारी है, और यह उसका सबसे नया अध्याय होगा। 1804 की हैती क्रांति के बाद से, साम्राज्यवादी ताक़तें (जिनमें दास-मालिक भी शामिल हैं) नव-औपनिवेशिक व्यवस्था को समाप्त करने का प्रयास कर रहे जन-आंदोलनों के ख़िलाफ़ लगातार सैन्य और आर्थिक हमले कर रही हैं। अभी कुछ समय पहले, ये बल 2004 से 2017 तक संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में संयुक्त राष्ट्र स्थिरीकरण मिशन (MINUSTAH) के तहत हैती में हस्तक्षेप कर रहे थे। ‘मानवाधिकार’ के नाम पर इस तरह का एक और हस्तक्षेप न केवल एरियल हेनरी द्वारा प्रबंधित नव-उपनिवेशिक व्यवस्था की पुष्टि करेगा बल्कि यह हैती की जनता के लिए विनाशकारी भी होगा; कोर ग्रुप द्वारा समर्थित, और संयुक्त राज्य अमेरिका के हथियारों से लैस हैती के कुलीन वर्ग द्वारा संचालित गिरोह जन आंदोलनों को अवरुद्ध करते हैं।
दुनिया हैती के साथ एकजुटता कैसे दिखा सकती है?
हैती का संकट हैती के लोग ही हल कर सकते हैं, लेकिन उन्हें अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता की बहुत अधिक आवश्यकता है। दुनिया कई तरह के उदाहरणों से सीख सकती है, जैसे क्यूबा की मेडिकल ब्रिगेड पहली बार 1998 में हैती गई थी; विया कम्पेसिना/ अल्बा मोविमेंटोस की ब्रिगेड 2009 से हैती में वन संरक्षण तथा लोकप्रिय शिक्षा पर काम रहे जन-आंदोलनों के साथ मिलकर काम कर रही है; और वेनेज़ुएला की सरकार रियायती तेल देने के अलावा कई और तरह से हैती की सहायता कर रही है। हैती के साथ एकजुटता में खड़े लोगों को कम-से-कम निम्नलिखित माँगें करनी चाहिए:
1. कि फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका, 1914 में अमेरिका द्वारा चुराए गए सोने की वापसी के अलावा, 1804 के बाद से जारी हैती की संपत्ति की चोरी के लिए क्षतिपूर्ति दे। अकेले फ्रांस पर हैती का कम-से-कम 28 अरब डॉलर बक़ाया है।
2. कि संयुक्त राज्य अमेरिका नवासा द्वीप हैती को लौटा दे।
3. कि संयुक्त राष्ट्र MINUSTAH द्वारा किए गए अपराधों के लिए भुगतान करे; MINUSTAH की सेना ने हैती के हज़ारों लोगों का क़त्ल किया था, अनगिनत महिलाओं का बलात्कार किया था, और देश में पहली बार हैज़ा फैलाया था।
4. कि हैती के लोगों को अपने लिए एक संप्रभु, सम्मानजनक और न्यायपूर्ण राजनीतिक एवं आर्थिक ढाँचा तथा लोगों की वास्तविक ज़रूरतों को पूरा करने वाली शिक्षा व स्वास्थ्य प्रणाली बनाने दें।
5. कि सभी प्रगतिशील ताक़तें हैती में सैन्य घुसपैठ का विरोध करें।
इस रेड अलर्ट में उठाई गई साधारण माँगों को किसी स्पष्टीकरण की ज़रूरत नहीं है लेकिन इन्हें ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों तक पहुँचाने की ज़रूरत है। पश्चिमी देश इस नये सैन्य हस्तक्षेप के बारे में बात करते समय ‘लोकतंत्र की बहाली’ और ‘मानवाधिकारों की रक्षा’ जैसे वाक्यों का उपयोग करते हैं। लेकिन इस संदर्भ में ‘लोकतंत्र’ और ‘मानवाधिकार’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल इन शब्दों की अवहेलना करता है। सितंबर में हुई संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में इसका बेहतरीन प्रदर्शन हुआ था, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि उनकी सरकार ‘हमारे पड़ोसी हैती के साथ खड़ी’ है। इन शब्दों की निरर्थकता एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक नयी रिपोर्ट से स्पष्ट हो जाती है, रिपोर्ट की अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका में शरण माँग रहे हैती के लोगों को नस्लवादी दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका और कोर ग्रुप एरियल हेनरी या हैती के कुलीन लोगों के साथ खड़े हो सकते हैं, लेकिन वे हैती के लोगों या हैती के जो लोग अमेरिका में शरण माँग रहे हैं उनके साथ नहीं खड़े हैं।
1957 में, हैती के कम्युनिस्ट उपन्यासकार जैक्स-स्टीफ़न एलेक्सिस ने अपने देश के नाम ‘ला बेले अमौर ह्यूमेन’ ख़त लिखा था। एलेक्सिस ने लिखा, ‘मुझे नहीं लगता कि इंसानों की मेहनत के बिना नैतिकता अपने आप जीत सकती है। 1804 में फ्रांसीसी शासन को उखाड़ फेंकने वाले क्रांतिकारियों में से एक क्रांतिकारी, जीन-जैक्स डेसलिन्स, के वंशज एलेक्सिस ने मानवीय भावना के उत्थान पर उपन्यास लिखा, जो कि उनके देश में भावनाओं की लड़ाई (बैटल ऑफ़ इमोशंज़) में एक बड़ा योगदान था।
1959 में, एलेक्सिस ने पार्टि पुअर ल’एंटेंटे नेशनेल (‘जन सहमति पार्टी’) की स्थापना की। 2 जून 1960 को एलेक्सिस ने अमेरिका समर्थित तानाशाह फ्रांकोइस ‘पापा डॉक’ डुवेलियर को एक पत्र लिखकर बताया किया कि वो और उनका देश उसकी तानाशाही की हिंसा को हरा देंगे। एलेक्सिस ने लिखा, ‘एक इंसान और एक नागरिक के रूप में हर दिन हमारे लोगों को मांस के घायल लोथड़ों की तरह हाथियों के क़ब्रिस्तान में धकेल रही [इस] भयानक बीमारी, धीमी मौत, की ओर बढ़ते देश को महसूस न करना नामुमकिन है’। इस बीमारी की ओर बढ़ते क़दमों को केवल जनता ही रोक सकती है। एलेक्सिस को मॉस्को में निर्वासित होना पड़ा। वहाँ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कम्युनिस्ट पार्टियों की एक बैठक में भाग लिया। एलेक्सिस अप्रैल 1961 में हैती वापस आए, और कुछ ही समय में तानाशाही सरकार ने उन्हें मोले-सेंट-निकोलस में अपहरण कर मार दिया। डुवेलियर को लिखे पत्र में, एलेक्सिस ने कहा था कि, ‘हम भविष्य के बच्चे हैं’।
स्नेह-सहित,
विजय।