Kurt Nahar (Suriname), Untitled 2369, 2008.

कर्ट नाहर (सूरीनाम), शीर्षकहीन 2369, 2008.

 

प्यारे दोस्तों,

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।

20 जुलाई को, संयुक्त राष्ट्र ने शांति के लिए एक नया एजेंडानामक एक दस्तावेज़ जारी किया। रिपोर्ट के शुरुआती हिस्से में, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जो टिप्पणियाँ की हैं उन पर ध्यान देना जरूरी है:

हम परिवर्तन की दहलीज परखड़े हैं। शीतयुद्धोत्तर काल समाप्त हो चुका है। दुनिया एक नई वैश्विक व्यवस्था की ओर जा रही है। हालाँकि इसकी रूपरेखा अभी परिभाषित नहीं हो पाई है, लेकिन दुनिया भर के नेता बहुध्रुवीयता को इसके एक अहम लक्षण के रूप में देख रहे हैं। परिवर्तन के इस क्षण में, जब वैश्विक प्रभुत्व के नए धड़े उभर रहे हैं, नए आर्थिक गुट बन रहे हैं और प्रतिस्पर्धा नए सिरे से परिभाषित हो रही है, शक्ति का संतुलन तेजी से खंडित हो रहा है। प्रमुख शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज हुई है और वैश्विक उत्तर और दक्षिण के बीच आपसी विश्वास में कमी आई है। कई देश विभाजन की मौजूदा रेखाओं को पार करने की कोशिश कर रहे हैं व अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी और यूक्रेन युद्ध ने इस प्रक्रिया को और तेज़ कर दिया है।

शीतयुद्धोत्तर काल में संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके करीबी सहयोगियों का ट्रायड, यानी अमेरिका, यूरोप और जापान, दुनिया के बाकी हिस्सों पर अपनी एकध्रुवीय शक्ति का प्रयोग कर रहे थे। दुनिया अब उससे आगे एक नए युग की ओर बढ़ रही है, जिसे कुछ लोग बहुध्रुवीयताकह रहे हैं। कोविड-19 महामारी और यूक्रेन युद्ध ने 2020 से पहले ही दिखायी दे रहे इस परिवर्तन को तेज कर दिया है। पश्चिमी ब्लॉक के क्रमिक क्षरण ने ट्रायड और नई उभरती शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा को जन्म दिया है। यह प्रतिस्पर्धा वैश्विक दक्षिण में सबसे तीखी है, जहां वैश्विक उत्तर पर भरोसे में भारी कमी आई है। वर्तमान में गरीब देश खुद को कमजोर होते पश्चिम या उभरती नई शक्तियों के साथ जोड़ने के बारे में नहीं सोच रहे, वे अपनी रणनीतिक स्वतंत्रताकी मांग कर रहे हैं। यह आकलन काफी हद तक सही है और यह रिपोर्ट काफी दिलचस्प है, हालाँकि विशिष्टता की कमी के चलते रिपोर्ट में कुछ अधूरापन है।

ग्लैडविन के. बुश या मिस लस्सी (केमैन आइलैंड्स), केमैन आइलैंड्स का इतिहास.

रिपोर्ट में एक बार भी संयुक्त राष्ट्र ने किसी विशिष्ट देश का उल्लेख नहीं किया है, न ही उभरती शक्तियों की उचित पहचान करने की कोशिश की है। चूँकि यह रिपोर्ट वर्तमान स्थिति का विशिष्ट मूल्यांकन प्रदान नहीं करती, इसीलिए अंत में संयुक्त राष्ट्र ने ऐसे अस्पष्ट समाधान पेश किए हैं जो अब बेहद आम और अर्थहीन हैं (जैसे कि विश्वास बढ़ाना और एकजुटता का निर्माण करना)। हाँ, हथियारों के व्यापार के संदर्भ में एक विशिष्ट प्रस्ताव ज़रूर पेश किया गया है, लेकिन उस पर मैं इस न्यूज़लेटर के अंत में लौटूंगा। तेजी से बढ़ते हथियार उद्योग पर चिंता दिखाने के अलावा, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कठिन वास्तविकताओं का सीधे सामना करने की बजाय उन पर एक तरह का नैतिक ढांचा खड़ा करने का प्रयास करती दिखती है।

तो फिर क्या कारण हैं कि संयुक्त राष्ट्र वैश्विक बदलावों की पहचान कर रहा है? पहले तो, संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके निकटतम सहयोगियों की सापेक्ष शक्ति में गंभीर गिरावट आई है। पश्चिम में पूंजीपति वर्ग अपने व्यक्तिगत या कॉर्पोरेट करों का भुगतान करने से पीछे हट चुका है और दीर्घकालिक कर हड़ताल पर है (साल 2019 में, बहुराष्ट्रीय मुनाफे का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा टैक्स हेवन देशों में स्थानांतरित किया गया था)। त्वरित लाभ की इच्छा और कर अधिकारियों के ढुलमुल रवैए के कारण पश्चिम में निवेश में भारी कमी आई है, जिसने उनके बुनियादी ढांचे और उत्पादक आधार को खोखला कर दिया है। पश्चिम के सोशल डेमोक्रैट्स अब सामाजिक कल्याण के हिमायती नहीं रहे, वे अब नवउदारवादी कटौतियों की हिमायत करते हैं। इनसे उत्पन्न निराशा और ग़रीबी ने भावनात्मक स्तर पर दक्षिणपंथ के लिए दरवाज़े खोले हैं। वैश्विक नवऔपनिवेशिक व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने में ट्रायड की अक्षमता के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों पर वैश्विक दक्षिण के विश्वास में कमीआई है।

S. Sudjojono (Indonesia), Di Dalam Kampung (‘In the Village’), 1950.

एस. सुदजोजोनो (इंडोनेशिया), गाँव में, 1950.

दूसरा, चीन, भारत और इंडोनेशिया जैसे देशों के लिए यह आश्चर्यजनक था कि, जी20 देशों ने उनसे 2007-08 में पश्चिम की खस्ताहाल बैंकिंग प्रणाली को तरलता प्रदान करने का आग्रह किया था। इसलिए इन विकासशील देशों में पश्चिम के प्रति विश्वास कम हुआ, जबकि उनका अपना आत्मबोध बढ़ा। परिस्थितियों में आए इस बदलाव के कारण 2009 में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के ब्रिक्स ब्लॉक का गठन हुआ। इन देशों को 1980 के दशक में दक्षिण आयोग ने दक्षिण के लोकोमोटिवकहा था, 1991 में आई एक रिपोर्ट, जिसे बहुत कम पढ़ा गया था, में इस विचार को और भी गम्भीरता के साथ रखा गया था। चीन का विकास अपने आप में आश्चर्यजनक था। लेकिन, जैसा कि व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) ने 2022 में उल्लेख किया था, अहम बात यह थी कि चीन संरचनात्मक परिवर्तन प्राप्त करने, यानी कमउत्पादकता से उच्चउत्पादकता वाली आर्थिक विकास गतिविधियों की ओर बढ़ने में सक्षम रहा था। इस संरचनात्मक परिवर्तन से वैश्विक दक्षिण के बाकी देशों को भी सबक़ मिला, और यह सीख अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋणमितव्ययिता कार्यक्रम द्वारा पेश किए गए उपायों से कहीं अधिक व्यावहारिक थी।

ब्रिक्स परियोजना और चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) कोई सैन्य गतिविधियाँ नहीं हैं; ये दोनों संरचनाएँ मूलतः दक्षिणदक्षिण वाणिज्यिक संबंधों के विकास को दर्शाती हैं (जो कि दक्षिणदक्षिण सहयोग पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के एजेंडे के अनुरूप है)। चूँकि, पश्चिम इनमें से किसी भी पहल के साथ आर्थिक रूप से प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ है इसीलिए उसने एक उग्र राजनीतिक और सैन्य प्रतिक्रिया का रुख़ अपनाया है। 2018 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने आतंक के खिलाफ युद्ध की समाप्ति की घोषणा की और अपनी राष्ट्रीय रक्षा रणनीति में स्पष्ट रूप से कहा कि उसकी मुख्य समस्या चीन और रूस का उदय है। तत्कालीन अमेरिकी रक्षा सचिव जिम मैटिस ने स्पष्ट रूप से चीन और रूस की ओर इशारा करते हुए निकटसमकक्ष प्रतिद्वंद्वियोंके उदय को रोकने की आवश्यकता के बारे में बात की, और सुझाव दिया कि अमेरिकी शक्ति का पूरा उपयोग उन्हें घुटनों पर लाने के लिए किया जाएगा। संयुक्त राज्य अमेरिका के पास लगभग 800 विदेशी सैन्य अड्डों का एक विशाल नेटवर्क है जिनमें से सैकड़ों अड्डे यूरेशिया की परिधि में हैं। इसके अलावा जर्मनी से जापान तक अपने सैन्य सहयोगियों के सहारे अमेरिका रूस और चीन पर कभी भी हमला कर सकता है। कई वर्षों से, अमेरिका और उसके सहयोगियों के नौसैनिक बेड़े आर्क्टिक और दक्षिण चीन सागर में आक्रामक नौपरिवहन स्वतंत्रताअभ्यास आयोजित कर रूस और चीन की क्षेत्रीय अखंडता का अतिक्रमण कर रहे हैं। इसके अलावा, यूक्रेन में 2014 का अमेरिकी हस्तक्षेप और ताइवान के साथ 2015 के अमेरिकी हथियार सौदे, जैसे कई कदम रूस और चीन के लिए ख़तरा बढ़ाते हैं। 2018 में, संयुक्त राज्य अमेरिका एकतरफा रूप से मध्यम दूरी परमाणु शक्ति संधि (Intermediate Nuclear Forces (INF) Treaty) से पीछे हट गया था; इससे पहले वह 2002 में प्रक्षेपास्त्रविरोधी संधि (Anti-Ballistic Missile Treaty) से पीछे हटा था। अमेरिका के इन कदमों से परमाणु हथियार नियंत्रण गड़बड़ा गया है और यह दर्शाता है कि अमेरिका रूस और चीन, दोनों के विरुद्ध, ‘सामरिक परमाणु हथियारोंका उपयोग करने के बारे में सोच रहा है।

Enrico Baj (Italy), Al fuoco, al fuoco (‘Fire! Fire!’), 1964.

एनरिको बाज (इटली), आग! आग!, 1964.

संयुक्त राष्ट्र का यह आकलन सही है कि एकध्रुवीय दुनिया अब ख़त्म होने के कगार पर है और दुनिया एक नई, ज़्यादा जटिल वास्तविकता की ओर बढ़ रही है। एक तरफ़ विश्व व्यवस्था की नवऔपनिवेशिक संरचना काफी हद तक बरकरार है, लेकिन दूरी तरफ़ ब्रिक्स और चीन के उदय के साथ ताकतों के संतुलन में बदलाव उभर रहे हैं, और ये ताकतें अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ बनाने का प्रयास करते हुए स्थापित व्यवस्था को चुनौती दे रही हैं। वैश्विक शक्ति के विखंडन से दुनिया को ख़तरा नहीं है; लेकिन पश्चिम इन बड़े बदलावों के साथ सामंजस्य नहीं बिठाना चाहता है। पश्चिम का यह रवैया दुनिया के लिए खतरनाक है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘2022 में वैश्विक स्तर पर सैन्य खर्च 2.24 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया, और एक नया रिकॉर्ड बना‘, हालांकि संयुक्त राष्ट्र ने यह स्वीकार नहीं किया कि इस धन का तीनचौथाई हिस्सा उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य देशों द्वारा खर्च किया जाता है। आज जो देश अपनी रणनीतिक स्वतंत्रताका प्रयोग करना चाहते हैं उनके पास दो ही विकल्प हैं: या तो वे पश्चिम के नेतृत्व में दुनिया के सैन्यीकरण में प्रतिभागी बनें या फिर पश्चिमी हथियारों की तबाही का सामना करें।

शांति के लिए एक नया एजेंडाएक प्रक्रिया के तहत तैयार किया गया है, जिसका समापन सितंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र के भविष्य सम्मेलन (Summit for the Future) के साथ होगा। इस प्रक्रिया में, संयुक्त राष्ट्र नागरिक समाज से प्रस्ताव एकत्र कर रहा है। एक प्रस्ताव एओटेरोआ लॉयर्स फॉर पीस, बेसल पीस ऑफिस, मूव द न्यूक्लियर वेपन्स मनी कैम्पेन, अनफोल्ड जीरो, वेस्टर्न स्टेट्स लीगल फाउंडेशन और वर्ल्ड फ्यूचर काउंसिल ने रखा है। उन्होंने निम्नलिखित घोषणा को अपनाने के लिए शिखर सम्मेलन का आह्वान किया हैं:

संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 26 द्वारा प्रदत्त हथियार नियंत्रण और निरस्त्रीकरण की योजना स्थापित करने के दायित्व तथा आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए तय संसाधनों का अन्य मदों हेतु प्रयोग को निम्नतम स्तर पर रखने की पुनर्पुष्टि करना;

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र महासभा और संयुक्त राष्ट्र के अन्य प्रासंगिक निकायों से अनुच्छेद 26 के संबंध में कारवाई करने का आह्वान करना;

सभी राज्यों से द्विपक्षीय और बहुपक्षीय हथियार नियंत्रण समझौतों के अनुसमर्थन के माध्यम से इस दायित्व को लागू करने का आह्वान किया जाए; साथ ही सैन्य बजट में प्रगतिशील व व्यवस्थित कटौती करें और सतत विकास लक्ष्यों, जलवायु संरक्षण तथा संयुक्त राष्ट्र व उसकी विशेष एजेंसियों में राष्ट्रीय योगदान के लिए वित्त पोषण में आनुपातिक वृद्धि करें।

सुभाष मुंडा टीबीटी.

यह न्यूज़लेटर हमारे कॉमरेड सुभाष मुंडा (उम्र 34 वर्ष) को समर्पित है। मुंडा भारत की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPIM) के नेता थे। उनकी 26 जुलाई को दलादली चौक (रांची, झारखंड) में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। चौथी पीढ़ी के कम्युनिस्ट, सुभाष, आदिवासी समुदाय के नेता थे और भूमाफिया के खिलाफ संघर्ष करने के कारण मारे गए थे। दुनिया में भूमाफियाओं और पूंजीपतियों के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। लेकिन मानवीय जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। सुभाष मुंडा यह जानते थे और इसके लिए वो संघर्ष कर रहे थे।

स्नेहसहित,

विजय।